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Science

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Ancient Star Discovered: वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा (Milky Way) के बाहर मौजूद सबसे पुराने तारों में से एक की खोज की है. ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों में बना यह सितारा मिल्की वे की सैटेलाइट गैलेक्सी- लार्ज मैजेलेनिक क्लाउड (LMC) में स्थित है. LMC को करीब 2.4 बिलियन साल के भीतर मिल्की वे में मिल जाना है. वैज्ञानिकों ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के गैया स्पेस टेलीस्कोप के डेटा में LMC के पुराने तारों को खोजा. फिर उन्होंने चिली में मौजूद टेलीस्कोप की मदद से 10 ऐसे तारों की खोज की जिनमें बाकी तारों से करीब 100 गुना कम आयर्न मिला. इसका मतलब यह था कि ये तारे बेहद प्राचीन थे. LMC-119 नाम के तारे ने वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा. रिसर्च के मुताबिक, LMC-119 कम से कम 13 बिलियन साल पुराना है. अगर तुलना करनी ही है तो जान लें कि ब्रह्मांड की आयु 13.8 बिलियन साल मानी जाती है. इस तारे पर रिसर्च से वैज्ञानिकों को उस समय के बारे में पता चला है जब हमारा सूर्य बना भी नहीं था. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में चली रिसर्च के नतीजे Nature Astronomy जर्नल में छपे हैं. (Photos : ESO/ESA/NASA)
Apr 25,2024, 15:43 PM IST
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China Tiantong Satellite: मोबाइल तकनीक के मामले में चीन बाकी दुनिया से कई कदम आगे निकल गया है. चीन ने दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट बना लिया है जिससे सीधे स्मार्टफोन से कॉल हो सकती है. इसके लिए धरती पर टावरों का नेटवर्क या अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं पड़ेगी.  मेनस्ट्रीम होने के बाद, सैटेलाइट फोन की जरूरत भी नहीं रह जाएगी. सैटेलाइट कम्युनिकेशंस की फील्ड में चीन की यह उपलब्धि 'मील का पत्थर' साबित साबित हो सकती है. चीन ने इस प्रोजेक्ट को 'टियांटांग' (Tiantong) नाम दिया है जिसका मतलब होता है, 'स्वर्ग से जुड़ना'. Tiantong-1 सैटेलाइट सीरीज का पहला लॉन्‍च 6 अगस्त, 2016 को हुआ था. अब ऐसे तीन सैटेलाइट 36,000 किलोमीटर वाले ऑर्बिट में मौजूद हैं. इनकी मदद से चीन पूरे एशिया-पैसिफिक को कवर कर लेता है. पिछले साल सितंबर में Huawei ने दुनिया का पहला स्मार्टफोन लॉन्च किया था जिससे सैटेलाइट कॉल की जा सकती थी. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, Xiaomi, Honor और Oppo जैसे अन्य मोबाइल निर्माता भी ऐसे स्मार्टफोन डेवलप कर रहे हैं. चीन की यह खोज आपातकालीन परिस्थितियों में कारगर साबित हो सकती है. (Photo : Dall-E AI)
Apr 15,2024, 15:14 PM IST
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Apr 12,2024, 15:01 PM IST
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NASA LRO Images: अमेरिकी स्पेस एजेंसी, नासा के लूनर ऑर्बिटर (LRO) ने चांद के चक्कर लगाते हुए दिलचस्प तस्वीरें भेजी हैं. इन तस्वीरों में सर्फबोर्ड जैसी कोई चीज चांद पर मंडराती दिख रही है. यह कोई UFO या एलियन ऑब्जेक्ट नहीं है. दरअसल, NASA के LRO ने साउथ कोरिया के लूनर ऑर्बिटर 'दानुरी' को देख लिया था. दोनों ही स्पेसक्राफ्ट चांद के चक्कर लगाते हैं. चूंकि दोनों लगभग समानांतर कक्षा में घूम रहे थे, इसलिए नासा की टीम फोटो ले पाई. यह घटना 5-6 मार्च के बीच हुई. नासा के LRO में जो कैमरा लगा है, उसका शार्ट एक्सपोजर टाइम बेहद कम (0.338 मिली सेकंड) है. इस वजह से दानुरी का फोटो लेना बड़ा मुश्किल हो गया था. फिर भी LRO ने दो-तीन फोटो तो ले ही लिए. 'दानुरी' साउथ कोरिया का पहला स्पेसक्राफ्ट है जो चांद की कक्षा में पहुंचा था. (All Photos: NASA/Goddard/Arizona State University)
Apr 11,2024, 17:48 PM IST
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Peter Higgs God Particle Discovery: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक पीटर हिग्स का निधन हो गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग ने उनकी मृत्यु की जानकारी दी. हिग्स 94 साल के थे. हिग्स ने अपने काम से यह समझाया कि ब्रह्मांड में द्रव्यमान कैसे है. यह फिजिक्स की सबसे बड़ी गुत्थियों में से एक था. पीटर हिग्स ने छह दशक पहले हिग्स बोसॉन 'गॉड पार्टिकल' के होने की भविष्यवाणी की थी. करीब 50 साल चली रिसर्च के बाद हिग्स की भविष्यवाणी सच साबित हुई. यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) के लॉर्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) में चले प्रयोगों ने 2012 में हिग्स को सही साबित किया. अगले साल उन्हें बेल्जियन फिजिसिस्ट फ्रेंकोइस एंगलर्ट के साथ फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. हिग्स बोसॉन या 'गॉड पार्टिकल' की खोज ने पीटर हिग्स को अल्बर्ट आइंस्टीन और मैक्स प्लांक जैसे वैज्ञानिकों की कतार में ला दिया था. (Photos : Reuters)
Apr 10,2024, 10:45 AM IST
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अंटार्कटिका को बाकी दुनिया बर्फ में दबे एकांत महाद्वीप के रूप में जानती है. लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं. बाकी भूभाग की तरह, अंटार्कटिका के नीचे भी जमीन धधक रही है. अंटार्कटिका में बर्फ की मोदी चादर के नीचे सैकड़ों ज्वालामुखी मौजूद हैं. यहां पर मौजूद बर्फ की पश्चिमी परत को दुनिया का सबसे बड़ा ज्वालामुखी क्षेत्र माना जाता है. वहां कम से कम 138 ज्वालामुखी मौजूद हैं. इनमें से 91 की खोज पहली बार 2017 में छपी एक स्टडी में की गई थी. क्या अंटार्कटिका में मौजूद ज्वालामुखियों में कभी विस्फोट हो सकता है? जियोलॉजिस्‍ट्स की मानें तो यह ज्वालामुखी पर निर्भर करता है. 2017 वाली स्‍टडी में रिसर्चर्स ने कहा था कि तमाम ज्वालामुखी बेहद नौजवान हैं. वैज्ञानिक यह पता नहीं लगा पाए थे कि वे ज्वालामुखी के लिहाज से सक्रिय हैं या नहीं. अभी अंटार्कटिका के केवल दो ज्वालामुखियों को सक्रिय माना जाता है- डिसेप्‍शन आइलैंड और माउंट एरेबस. (All Photos : NASA)
Apr 8,2024, 15:11 PM IST
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Megadroughts In Australia: ऑस्ट्रेलिया पर भयानक सूखे का खतरा मंडरा रहा है. वैज्ञानिकों ने चेताया है कि जल्द ऐसा सूखा पड़ सकता है जो 20 साल से ज्यादा समय तक रहेगा. Hydrology and Earth System Sciences जर्नल में यह स्टडी छपी है. ऑस्‍ट्रेलिया की कई यूनिवर्सिटीज ने मिलकर एक मॉडल तैयार किया है. इसके मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में जल्‍दी ही एक मेगाड्रॉट (भयंकर सूखा) देखने को मिल सकता है दशकों तक चलेगा. रिसर्चर्स ने अभी इस मॉडल में औद्योगिक क्रांति के बाद से जलवायु पर पड़े इंसानी प्रभाव को शामिल नहीं किया है. साइंटिस्‍ट्स ने यह भी पाया कि 20वीं सदी में पड़े सूखे भी औद्योगिक क्रांति से पहले के सूखों से ज्यादा लंबे थे. मेगाड्रॉट बेहद गंभीर, लंबे चलने वाले और बड़े इलाके में फैले सूखे को कहते हैं. वे कई दशकों यहां तक कि सदियों तक चल सकते हैं. अमेरिका के दक्षिणपश्चिमी इलाके में 21वीं सदी की शुरुआत में सूखा पड़ा था. अभी तक उस एरिया को सूखे से राहत नहीं मिली है. (Photo : Reuters)
Apr 3,2024, 16:52 PM IST
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NASA CADRE Mission Rovers: नासा के मिनी ऑटोनॉमस रोवर्स की टेस्ट ड्राइव सफल रही. सूटकेस के साइज वाले ये रोवर्स अगले साल चांद पर जाएंगे. वहां चहलकदमी करते हुए ये चांद की सतह का मैप बनाएंगे. इन रोवर्स को Cooperative Autonomous Distributed Robotic Exploration यानी (CADRE) के तहत बनाया गया है. यह ऐसा मिशन है जिसके जरिए वैज्ञानिक यह दिखाने की कोशिश करेंगे कि बिना इंसान के कंट्रोल किए भी रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट साथ काम कर सकते हैं. NASA ने सूटकेस जितने साइज वाले इन रोवर्स को जेट प्रपल्‍शन लैबोरेटरी (JPL) के मार्स यार्ड में दौड़ाया. इस यार्ड की सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है, काफी कुछ वैसी ही जैसी चांद की है. NASA की ओर से जारी बयान के मुताबिक, मिनी CADRE रोवर्स ने एक साथ चलकर दिखाया. रास्ते में आई रुकावटों पर उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया. (Photos : NASA-JPL)
Apr 2,2024, 18:39 PM IST
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South Korea Artificial Sun: साउथ कोरिया के वैज्ञानिकों ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है. उन्होंने 'आर्टिफिशियल सूर्य' के तापमान  को 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक ले जाने में सफलता पाई है. यही नहीं, न्यूक्लियर फ्यूजन एक्सपेरिमेंट के दौरान, वैज्ञानिक इस तापमान को 48 सेकेंड तक बरकरार रख पाए. इससे पहले का वर्ल्‍ड रिकॉर्ड सिर्फ 31 सेकेंड तक का था. साउथ कोरियाई वैज्ञानिकों ने लैब के भीतर हमारे सूर्य के कोर से सात गुना ज्यादा गर्म तापमान पैदा किया. यह भविष्‍य की एनर्जी टेक्नोलॉजी के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है. न्यूक्लियर फ्यूजन वह प्रक्रिया होती है जिससे सूर्य के भीतर ऊर्जा पैदा होती है. इसमें दो परमाणुओं को एक साथ लाया जाता है जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा बाहर निकलती है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि न्यूक्लियर फ्यूजन से क्‍लीन एनर्जी हासिल की जा सकती है. इस प्रक्रिया से ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार कार्बन प्रदूषण नहीं निकलता. हालांकि, पृथ्वी पर न्यूक्लियर फ्यूजन की प्रक्रिया को मास्टर करने में अभी काफी मुश्किलें आएंगी.
Apr 2,2024, 22:13 PM IST
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Antarctica Ice Shelf Melting News: अंटार्कटिका में मौजूद बर्फ का समंदर डोल रहा है. हर दिन यह थोड़ा इधर-उधर खिसक जाता है. एक नई स्टडी में यह बात पता चली है. Ross Ice Shelf अंटार्कटिका की सबसे बड़ी बर्फीली चट्टान है. हालिया रिसर्च के मुताबिक, फ्रांस के आकार की यह चट्टान रोज एक-दो बार 6 से 8 सेंटीमीटर खिसकती है. इस चट्टान का नाम ब्रिटिश एक्सप्लोरर सर जेम्स क्लार्क रॉस के नाम पर रखा गया है. रॉस ने ही 19वीं सदी में इस चट्टान की खोज की थी. जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपी स्टडी के अनुसार, Ross Ice Shelf के रोज खिसकने की वजह एक बर्फीली धारा है. स्टडी के लीड ऑथर, डग वीन्‍स के मुताबिक, यह धारा सीधे चट्टान में बहती है. वैज्ञानिक बर्फीली धाराओं और बर्फीली चट्टानों के बीच ऐसी घटनाओं से चकित हैं. अंटार्कटिका में मौजूद कई बर्फीली चट्टानों को ग्लोबल वार्मिंग की वजह से खतरा पैदा हो गया है. वैज्ञानिकों को चिंता है कि बर्फीली चट्टानों पर दबाव का नतीजा बड़े भूकंप के रूप में सामने आ सकता है.
Apr 1,2024, 16:40 PM IST
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Six Legged Mouse Embryo: पुर्तगाल के बायोसाइंटिस्‍ट्स ने लैब में छह पैरों वाला चूहा बनाया है. चूहे के भ्रूण में जहां पर जननांग होने चाहिए थे, वहां पर दो अतिरिक्त पैर हैं. 'नेचर कम्युनिकेशंस' जर्नल में छपी स्टडी में पुर्तगाली वैज्ञानिकों ने इस अजीब प्रयोग की जानकारी दी. नई रिसर्च से यह समझने में मदद मिली कि DNA के 3D स्‍ट्रक्‍चर में बदलाव का भ्रूण के विकास पर कैसा असर होता है. पुर्तगाली वैज्ञानिक एक तरह के रिसेप्‍टर प्रोटीन Tgfbr1 पर स्‍टडी कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने लैब में चूहे के कई भ्रूण बनाए. जब भ्रूण आधे विकसित हो चुके थे, तब उन्‍होंने Tgfbr1 जीन को निष्क्रिय कर दिया, यह देखने के लिए उससे स्‍पाइनल कॉर्ड के विकास पर क्‍या असर पड़ता है. फिर एक दिन, जूनियर साइंटिस्ट ने देखा कि एक भ्रूण के जननांग ऐसे दिख रहे हैं जैसे कि एक्स्ट्रा पैर हों.
Mar 30,2024, 14:08 PM IST
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