अपने 'भाई-बहनों' को खूनी मौत दे रहा दुर्लभ किस्म का तारा, हबल स्पेस टेलीस्कोप ने देखा भयानक नजारा
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अपने 'भाई-बहनों' को खूनी मौत दे रहा दुर्लभ किस्म का तारा, हबल स्पेस टेलीस्कोप ने देखा भयानक नजारा

Hubble Space Telescope Discovery: एस्ट्रोनॉमर्स ने हबल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से एक दुर्लभ किस्म के तारे का पता लगाया है जो अपने साथ जुड़े हुए 'भाई-बहनों' से पदार्थ खींच रहा है.

अपने 'भाई-बहनों' को खूनी मौत दे रहा दुर्लभ किस्म का तारा, हबल स्पेस टेलीस्कोप ने देखा भयानक नजारा

Science News in Hindi: हबल स्पेस टेलीस्कोप ने एक दुर्लभ 'ब्लू लर्कर' तारे की खोज की है. यह अपने दो जुड़े हुए भाई-बहनों से सामग्री खाकर बड़ा हो रहा है. यह तारा 'किंग कोबरा क्लस्टर' कहे जाने वाले M67 क्लस्टर का हिस्सा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्लू लर्कर सतह से सूर्य जैसा दिखता है, लेकिन इसकी खासियत इसका तेज रोटेशन है. यह तीन तारों की संयुक्त ऊर्जा से इतनी तेजी से घूमता है कि यह अपने धीमे पड़ोसी सितारों में 'छुपा हुआ' सा लगता है. इस तारे को 'ब्लू' इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि गर्म सितारे आमतौर पर नीले दिखाई देते हैं.

क्या है 'ब्लू लर्कर' स्टार का रहस्य?

M67 क्लस्टर, 500 तारों का समूह है जो 4 अरब साल पुराना है और पृथ्वी से 2,800 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है. इस क्लस्टर के तारे एक ही उम्र के हैं और आम तौर पर समान गति से घूमते हैं. लेकिन इनमें से कुछ तारे, जैसे ब्लू लर्कर, आश्चर्यजनक रूप से तेज गति से घूमते हैं.

इलिनॉइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की खगोलशास्त्री एमिली लेनर के मुताबिक, 'एक सामान्य तारा लगभग 25 दिनों में एक बार घूमता है, जो हमारे सूर्य की गति के समान है, लेकिन ब्लू लर्कर कुछ ही दिनों में अपनी धुरी पूरी कर लेता है.'

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LiveScience में छपी रिपोर्ट के अनुसार, लेनर और उनकी टीम ने हबल टेलीस्कोप को इस लर्कर पर फोकस किया. उन्होंने पाया कि इसके साथ एक व्हाइट ड्वार्फ है, जो एक मृत तारे का अवशेष है. लेकिन यह व्हाइट ड्वार्फ इतना बड़ा है कि यह केवल एक तारे का अवशेष नहीं हो सकता.

कैसे बना होगा यह सिस्टम?

रिसर्चर्स का मानना है कि यह ब्लू लर्कर शुरुआत में दो बाइनरी तारों के साथ परिक्रमा कर रहा था. समय के साथ, दोनों बाइनरी तारे आपस में मिलकर एक बड़ा तारा बने. बाद में, यह बड़ा तारा अपने जीवन के अंत में फूला और लर्कर ने इस तारे से सामग्री खींचनी शुरू की. इस प्रक्रिया ने लर्कर को और तेज घुमाया, और इसी दौरान व्हाइट ड्वार्फ बना.

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ब्रह्मांड में दुर्लभ हैं ऐसे तारों के दर्शन!

ब्लू लर्कर जैसी घटनाएं असामान्य नहीं हैं. लगभग 10% तारे ऐसे मल्टीपल-स्टार सिस्टम्स का हिस्सा होते हैं, लेकिन उनके विकास की कहानी को इस तरह साफ तौर पर देख पाना दुर्लभ है.

सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉमर, एरिक सैंडक्विस्ट ने कहा कि यह समझना दिलचस्प होगा कि ब्लू लर्कर जैसे तारे कितने सामान्य हैं. साथ ही, क्या ये किसी अन्य ब्रह्मांडीय घटनाओं, जैसे टाइप Ia सुपरनोवा, से जुड़े हैं.

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