Science: हमारे कानों का है मछली से खास कनेक्शन... वैज्ञानिकों ने समंदर से खोज निकाली वो मछली जिसने हमें कान दिये!
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Science: हमारे कानों का है मछली से खास कनेक्शन... वैज्ञानिकों ने समंदर से खोज निकाली वो मछली जिसने हमें कान दिये!

Science News: जरा कान के बिना जीवन की कल्पना कर के देखिये... कितना सूनापन लगेगा. चेहरा भी अजीब लगेगा. कान हम सभी के लिए कितना जरूरी है, इससे हर कोई वाकिफ है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे दोनों कानों की उत्पत्ति कैसे हुई होगी.

Science: हमारे कानों का है मछली से खास कनेक्शन... वैज्ञानिकों ने समंदर से खोज निकाली वो मछली जिसने हमें कान दिये!

Science News: जरा कान के बिना जीवन की कल्पना कर के देखिये... कितना सूनापन लगेगा. चेहरा भी अजीब लगेगा. कान हम सभी के लिए कितना जरूरी है, इससे हर कोई वाकिफ है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे दोनों कानों की उत्पत्ति कैसे हुई होगी. वैज्ञानिकों ने इंसानों के कान को लेकर चौंकाने वाली खोज की है. वैज्ञानिकों की मानें तो हमारे बाहरी कान का संबंध लाखों साल पहले की मछलियों के गिल्स से हो सकता है. वैज्ञानिकों ने नई रिसर्च में यह चौंकाने वाली बात कही है. इस स्टडी के अनुसार मछलियों के गिल्स का कार्टिलेज समय के साथ विकसित होकर हमारे कानों का हिस्सा बन गया.

कान और मछली के गिल्स का गहरा रिश्ता

यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया के प्रोफेसर गेज क्रम्प और उनकी टीम ने यह चौंकाने वाली रिसर्च की है. उन्होंने बताया कि बाहरी कान का विकास कैसे हुआ.. यह अब तक एक रहस्य था. लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि हमारे कानों का आधार प्राचीन मछलियों में पाया जाता है.

मछलियों के गिल्स में मिला खास कार्टिलेज

हमारे बाहरी कान और अन्य स्तनधारियों के कान एक खास तरह के कार्टिलेज से बने होते हैं. जिसे 'इलास्टिक कार्टिलेज' कहते हैं. यह अन्य कार्टिलेज की तुलना में अधिक लचीला होता है. वैज्ञानिकों ने पाया कि यह इलास्टिक कार्टिलेज मछलियों के गिल्स में भी पाया जाता है.

जीन-एडिटिंग से मिली नई जानकारी

वैज्ञानिकों ने जीन-एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर यह पता लगाया कि मछलियों के गिल्स और इंसान के कान के बीच क्या संबंध है. उन्होंने मछलियों की प्रजातियों जैसे जेब्रा फिश और अटलांटिक सैल्मन में इलास्टिक कार्टिलेज की मौजूदगी को देखा. इसके बाद उन्होंने मछली के जीन को चूहों में डालकर यह परीक्षण किया कि यह कार्टिलेज कान के विकास को कैसे प्रभावित करता है.

31.5 करोड़ साल पहले शुरू हुआ बदलाव

इस रिसर्च में यह भी पता चला कि इलास्टिक कार्टिलेज का विकास 31.5 करोड़ साल पहले शुरू हुआ था. उस समय मछलियों के गिल्स से यह कार्टिलेज धीरे-धीरे बाहरी कान की ओर विकसित होने लगा. यह प्रक्रिया सरीसृपों (रिप्टाइल्स) और उभयचरों (एम्फीबियंस) में भी देखी गई.

क्या कहती है यह खोज?

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज हमारे विकास के सफर को समझने में मदद करती है. उन्होंने बताया कि कैसे एक ही संरचना समय के साथ अलग-अलग कार्यों के लिए विकसित हो सकती है. मछलियों के गिल्स से कान बनने की यह प्रक्रिया दिखाती है कि प्रकृति किस तरह से नए अंगों का निर्माण करती है.

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