NASA ने बनाया सुपरस्ट्रॉन्ग टायर, मुड़ने के बाद फिर पहले जैसा गोल हो गया; मंगल और चंद्रमा पर करेगा कमाल!
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NASA ने बनाया सुपरस्ट्रॉन्ग टायर, मुड़ने के बाद फिर पहले जैसा गोल हो गया; मंगल और चंद्रमा पर करेगा कमाल!

NASA Rover Wheels: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भविष्य के मिशनों को ध्‍यान में रखते हुए रोवर्स के लिए नए तरह के टायर विकसित किए हैं जो 'शेप मेमोरी' से लैस हैं.

NASA ने बनाया सुपरस्ट्रॉन्ग टायर, मुड़ने के बाद फिर पहले जैसा गोल हो गया; मंगल और चंद्रमा पर करेगा कमाल!

Science News in Hindi: अंतरिक्ष मिशनों पर मानव को भेजना बेहद जोखिम का काम है और बेहद खर्चीला भी. इस वजह से दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां रोवर्स का सहारा लेती हैं. चार पहियों पर चलने वाले रोवर को किसी दूसरे ग्रह-उपग्रह पर उतारा जा सकता है जिसके बाद वे चहलकदमी करते हुए अपने मिशन को अंजाम देते हैं. मंगल ग्रह पर कई रोवर्स मौजूद हैं जिनमें से अधिकांश अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA के हैं. वहां रोवर्स के साथ सबसे बड़ी परेशानी उनके टायरों से जुड़ी है. मंगल की ऊबड़-खाबड़ और कठोर जमीन रोवर्स के टायरों को बहुत नुकसान पहुंचाती है. NASA के इंजीनियर्स ने यह परेशानी दूर करने को नए तरह का टायर बनाया है.

NASA अब 'शेप मेमोरी अलॉय स्प्रिंग' वाली टायर तकनीक पर फोकस कर रहा है. शेप मेमोरी अलॉय ऐसे धातु होते हैं जो मोड़े, खींचे, गर्म किए या ठंडे किए जाने के बाद भी अपने मूल आकार में लौट आते हैं. क्लीवलैंड में ग्लेन रिसर्च सेंटर की टीम ने गुडइयर टायर एंड रबर के साथ मिलकर एक नई तकनीक विकसित की है. इससे रोवर्स की लाइफ बढ़ सकती है.

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मंगल जैसी सतह पर टेस्ट रोवर के साथ पोज देते NASA के ग्लेन रिसर्च सेंटर और एयरबेस डिफेंस एंड स्पेस के रिसर्चर्स (Credit: NASA)

मंगल पर टायरों को नुकसान

मंगल की सतह पृथ्‍वी की तुलना में कहीं अधिक चट्टानी है. इसमें बोल्डर्स, कंकड़ और विशाल चट्टानी संरचनाएं हैं. ये रोवर्स के टायरों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. नासा के क्यूरियोसिटी रोवर के टायरों में भी खासा नुकसान देखा गया. NASA इंजीनियर्स ने पाया कि टायरों में छेद हो गए और कट-फट गए. इससे रोवर को अपने रास्ते और चलने के तरीके में बदलाव करना पड़ा.

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NASA के नए टायर

एक बयान में नासा ने नए टायरों के बारे में बताया है. टेस्ट के दौरान, रिसर्चर्स लगातार रोवर्स की निगरानी करते रहे जब उनके टायर चट्टानों पर से गुजर रहे थे. इस बात पर खास ध्यान दिया गया कि टायरों के क्राउन कितना शिफ्ट हुए, कोई नुकसान हुआ या नहीं, और ढलान पर फिसलन रही या नहीं. टीम ने फिसलन और शिफ्टिंग की उम्मीद की थी, लेकिन यह बहुत कम था.

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ये नए टायर न केवल मंगल पर रोवर्स की चहलकदमी को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि चंद्रमा पर भी मददगार हो सकते हैं. रिसर्चर्स के मुताबिक, वे इन टायरों को अत्यधिक तापमान पर भी काम करने के लिए तैयार कर रहे हैं ताकि ये चंद्रमा की चरम स्थितियों का सामना कर सकें.

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