संक्रांति पर्व के ईष्ट देव सूर्य हैं. दान की बात होती है तो सूर्य से बड़ा दानी कौन है, जो खुद को तपाकर हमें प्रकाश देता है. उनके अंशपुत्र दानवीर कर्ण भी प्रतिदिन सूर्य उपासना के बाद दान दिया करते थे
14 या 15 जनवरी (इस साल 14 जनवरी) सिर्फ राशियों के बीच संयोग की क्रांति नहीं होती है, बल्कि यह हमारे मन में विचारों की भी क्रांति होती है . सर्दी का मौसम जम जाने-जड़ हो जाने का प्रतीक है.
आखिर क्या है बाबा की कथा, क्यों चढ़ रही है लगातार खिचड़ी, कब पूरी होगी बाबा की तपस्या? आध्यात्म की ओर उठते सवाल कई हैं, जवाब एक, केवल आस्था. आस्था भी ऐसी वैसी नहीं जो सिर्फ मान्यताओं पर बनती हो और पीढ़ी दर पीढ़ी सिर्फ मुंह जुबानी चलती हो, यह आस्था ठोस है
पोंगल सूर्य उपासना का पर्व है. यह उत्साह के साथ नवीनता को अपनाने और पुराने को पीछे छोड़ देने का समय है. तमिलवासी इसे अपने नए साल के तौर पर भी देखते हैं.
देवभूमि के नाम से विख्यात हरिद्वार यूं ही देव भूमि नहीं है, बल्कि यह वह स्थल है जहां गंगा अपने दोनों आराध्यों महादेव और महाविष्णु के चरण स्पर्श करती है. हरिद्वार से थोड़ी ही दूर स्थित कनखल तीर्थ, जो की प्राचीन नगर सभ्यता का भी परिचायक है
मंगलवार का दिन विशेष तौर पर महावीर हनुमान का समर्पित होता है. मंगल को जन्म लेने वाले भक्त शिरोमणि मंगल ही मंगल करते हैं, जानिए उनकी पावन चालीसा की खास बातें
जिन जातकों पर मंगल ग्रह का असर होता है और वह परेशान हो रहे हैं तो इससे उबरने के लिए मंगलवार का दिन उनके लिए विशेष होता है. वीर हनुमान सभी ग्रहों की बाधा दूर करने में सक्षम हैं और मंगल ग्रह उनका विशेष अनुग्रही है.
ईश्वर को धन प्राप्ति का साधन नहीं समझना चाहिए, आप बस उन्हें प्रेरणा मानिए, उनकी कृपा प्राप्त कीजिए और अपने सत्कर्म में लगे रहिए. महावीर हनुमान खुद आपके कष्ट दूर करेंगे.
त्रिदेव के तीनों ही देवताओं का सान्निध्य पाने वाली गंगा अपनी ममता से मानव जाति का युगों से कल्याण करती आ रही है. हर-हर गंगे की ध्वनि हममें विश्वास जगाती है कि हम सब गंगा की तरह शुद्ध हैं, पवित्र हैं और एक हैं.
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है, लेकिन बहुत ही कम लोग इन अवतारों के बारे में जानते हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के कुल 19 अवतार हुए थे. आइए आपको उनके कुछ प्रख्यात अवतारों के बारे में बताएं.
शनि ग्रह को कर्मफल दाता के रूप में देखा जाता है. ग्रहों की स्थिति के मुताबिक शनि ग्रह पौष कृष्ण नवमी (7 जनवरी 2021) शाम 4:00 बजे करीब अस्त हो गए हैं. अब यह माघ कृष्ण चतुर्दशी (10 फरवरी 2021) बुधवार को रात 1.32 बजे तक अस्त ही रहेंगे
11 जनवरी (आज) को पौष कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. इस बार मासिक शिवरात्रि पर विशेष संयोग बन रहा है. इस बार सोमवार के दिन मासिक शिवरात्रि का पर्व पड़ रहा है.
वैष्णव परंपरा के तौर पर शुरुआत की स्पष्टता नहीं बताई जा सकती, लेकिन देवर्षि नारद को इसका श्रेय जाता है. वह परम विष्णु भक्त थे और नारायण-नारायण ही रटते थे. उन्होंने ध्रुव-प्रहलाद जैसे बालकों तक को नारायण एकादश अक्षरी मंत्र दिया था. ओंम् नमो भगवते वासुदेवाय.
Haridwar में होने वाले महाकुंभ के आयोजन के लिए तैयारियां जारी हैं. Corona संक्रमण के बीच 12 के बजाय 11 साल में ही कुंभ का आयोजन कैसे होने वाला है, पढ़िए कुंभ की तैयारियों से जुड़ी ये रिपोर्ट
Mahakumbh के दौरान सनातन परंपरा में अलग-अलग ईष्ट को मानने वाले लोग एक ही स्थान पर एकत्रित होते हैं. इनमें शैव और वैष्णव शाखा के लोग प्रमुख हैं. सनातन परंपरा में शैव और वैष्णव का संबंध सीधे महादेव शिव और श्रीहरि विष्णु से हैं
आदि गुरु शंकराचार्य ने सुझाव दिया कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह भारत की सनातनी परंपरा में अखाड़ों की शुरुआत हुई. आज के दौर में देश में 13 अखाड़े हैं. किन्नर अखाड़ा भी अभी हाल में सामने आया है.
वृंदावन में Kumbh पर्व का आयोजन किया जाता है. इसे दिव्य कुंभ या वैष्णव कुंभ भी कहते हैं. संत समाज बताते हैं कि यहां Kumbh लगने की परंपरा बहुत पुरानी है. हालांकि ऐतिहासिक तथ्य पर इसकी प्राचीनता की गणना स्पष्ट नहीं है. लेकिन यह दावा किया जाता है है कि औरंगजेब के शासन काल में जब सनातन धर्म के लिए संकटपूर्ण समय था उस समय भी यहां लोगों का समागम यमुना किनारे होता था.