नई दिल्लीः भारत की सनातन परंपरा में दान का महत्व बताया है, शुभ अवसर और त्योहारों के दौरान किए जाने वाले दान का प्रभाव कई गुणा पुण्य प्राप्ति के रूप में बताया गया है. पुण्य प्राप्ति और त्योहारों पर दान की अवधारणा इसलिए रखी गई होगी ताकि हर मनुष्य समाज में एक-दूसरे के सुख-दुख का भागी बन सके.
वह सबके सुख में सुखी और सबके दुख में दुखी होना सीखे. व्यवहार में देखा जाए तो हमारा जीवन अकेले कट ही नहीं सकता. कदम-कदम पर, सुबह से लेकर शाम तक मनुष्यता एक-दूसरे का हाथ थाम कर ही आगे बढ़ पाती है.
यह भी दीगर है कि यूनानी दार्शनिक अरस्तु ने मनुष्य के सामाजिक प्राणी होने का जो सिद्धांत दिया, प्राचीन भारतीय ऋषियों ने इसी सिद्धांत को बड़ी आसानी दान का परंपरा के रूप में हमारे समाज में विकसित किया.
सूर्य हैं पर्व के ईष्ट देव
संक्रांति पर्व के ईष्ट देव सूर्य (Sun) हैं. दान की बात होती है तो सूर्य से बड़ा दानी कौन है, जो खुद को तपाकर हमें प्रकाश देता है. उनके अंशपुत्र दानवीर कर्ण भी प्रतिदिन सूर्य उपासना के बाद दान दिया करते थे. उनका यह सिलसिला युद्ध में वीरगति पाने तक चला था.
14 जनवरी के दिन लोग गंगा में अन्य किसी नदी में स्नान कर तिल का दान करते हैं. हरियाणा में इस दिन बहुएं सास को साड़ी-स्वेटर-शॉल आदि दान करती हैं. समाज में भी जरूरत मंदों को उनी वस्त्र दान किए जाते हैं. खरमास की समाप्ति के कारण एक बार फिर से शादी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं और इनके बाद भी दान दिया जाता है.
मकर संक्रांति पर दान का महत्व
दान करने पुण्य तो मिलता ही है, ज्योतिष के अनुसार यह कई संकटों को टालने और दूर करने का विशेष उपाय भी है. हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के दिन का बेहद ही खास महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि, यदि कोई व्यक्ति साल भर या पूरे महीने में कभी दान पुण्य ना कर सके तो उसे मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य ज़रुर करना चाहिए.
ऐसा करने से इंसान के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, घी, दाल चावल की खिचड़ी और तिल का दान करने से गलती से भी हुए पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है. इसके अलावा भी कई उपाय हैं जो व्यक्ति कर सरता है और हर बाधा से पार पा सकता है.
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इन उपायों से आएगी समृद्धि
मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के पानी में काले तिल डालें. तिल के पानी से स्नान करना बेहद ही शुभ माना जाता है. साथ ही ऐसा करने वाले व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है. यदि कोई बीमार है तो, उसे मकर संक्रांति के दिन तिल का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की काया निरोगी बनी रहती है.
मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और सूर्य देव को चढ़ाए जाने वाले जल में तिल अवश्य डालें. ऐसा करने से इंसान की बंद किस्मत के दरवाज़े खुलते हैं. पितरों की शांति के लिए इस दिन उन्हें जल देते समय उसमें तिल अवश्य डालें. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
सूर्य देव को ऐसे करें प्रसन्न
अगर व्यक्ति की कुंडली में सूर्य नीच का है तो, मकर संक्रांति के दिन घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करें और सूर्य मंत्र का 501 बार जाप करें. सूर्य देव की प्रसन्नता हासिल करने के लिए पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाना चाहिए.
इसके अलावा इस दिन गुड़ और कच्चे चावल को बहते जल में प्रवाहित करने से भी सूर्य देव की प्रसन्नता हासिल होती है. कुंडली में मौजूद किसी भी तरह का सूर्य दोष को कम करने के लिए तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करें.
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