नई दिल्लीः New Year 2021 के शुरुआती 10 दिन बीते हैं. इन 10 दिनों में भारत समेत विश्व भर में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जो अप्रत्याशित हैं. साल के पहले ही दिन भारत और इटली में पक्षियों का मरना, अमेरिका में राजनीतिक संकट और भारत में लगातार होने वाले पक्षियों की खासकर कौवों की मौत ने लोगों को डरा दिया है.
एक तरफ जहां विज्ञान पक्षियों की मौत को Bird Flu के नजरिेए से देख रहा तो वहीं लोग इसे अपशकुन मान रहे हैं. साथ ही भविष्य में होने वाली घटनाओं-दुर्घटनाओं से जोड़कर देख रहे हैं.
सनातन परंपरा और ज्योतिष के नजरिए से देखें तो लोगों का ऐसा सोचना गलत भी नहीं है. वहीं शकुन शास्त्र भी पक्षियों की अचानक मौत को बुरे संकेत के तौर पर देखता है.
क्या है हाल में हुई आपदाओं के संकेत?
इनके पीछे भले ही जो भी सामाजिक या ऐतिहासिक कारण रहे हों, लेकिन सनातनी परंपरा और ज्योतिष इसे अलग ही नजरिये से देख रहा है. ज्योतिष के मुताबिक देखें तो यह समय एक तरह का संक्रमण काल है.
इस समय में ग्रहों की दिशा भी बदल रही है और राशियों के साथ उनके संयोग इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि आगे आने वाले समय में इसके दु्ष्प्रभाव दिख सकते हैं. यह प्रभाव आपदा, संक्रामक रोग, अर्थहानि किसी भी प्रकार की हो सकती है.
शनिदेव हो गए हैं अस्त
ग्रहचाल की बात करें तो ग्रहमंडल में शनि की चाल बड़ा परिवर्तन लाती है. इसी कारण से शुभ-अशुभ फल एक क्षण में बदल जाते हैं. शनि ग्रह को कर्मफल दाता के रूप में देखा जाता है. ग्रहों की स्थिति के मुताबिक शनि ग्रह पौष कृष्ण नवमी (7 जनवरी 2021) शाम 4:00 बजे करीब अस्त हो गए हैं.
अब यह ग्रह माघ कृष्ण चतुर्दशी (10 फरवरी 2021) बुधवार को रात 1.32 बजे तक अस्त ही रहेंगे. हालांकि कुछ पंचांग मतों के अनुसार शनिदेव 4 जनवरी को ही अस्त हो गए थे. इस तरह देखा जाए तो शनिदेव तकरीबन 35 दिनों तक अस्त रहेंगे. यह पूरा एक महीने से अधिक का समय संक्रमण काल है.
अब शनि ग्रह के अस्त होने को भी समझें तो ज्योतिष के मुताबिक यह स्थति तब बनती है जब ग्रह सूर्य से 15 अंश से भी कम की दूरी पर आ जाता है. जब कोई भी ग्रह सूर्य से बेहद पास आ जाता है तो तीव्र प्रकाश के कारण वह आसमान में दिखाई नहीं दे सकता है. ग्रहों की चाल के कारण बनी इसी स्थिति को उनका अस्त होना कहा जाता है.
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शनि का अस्त होना और कौवों की मौत, क्या है कनेक्शन?
इन दिनों देश में देश भर में कौवों की मौत की कई खबरें सामने आ रही हैं. हाल ही में दिल्ली में सैकड़ों कौवों की मौत हुई. इसके पहले बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत 10 राज्यों में लगातार कौवों की मौत की खबर सामने आई है. Bird Flu के अलावा शास्त्र के लिहाज से भी यह बहुत बुरा और नकारात्मक घटना है.
सनातनी परंपरा में शनि न्याय प्रिय देवता हैं जो कर्म फलों का निर्धारण करते हैं. उन्हें क्रोधी स्वभाव का बताया गया है, लेकिन शनि केवल अन्याय होने पर क्रोध करते हैं. उनके वस्त्र नीले हैं और कौवा उनका वाहन है. कौवे के जरिए शनि कई संकेत देते हैं और इस तरह कौवों का मरना एक आशंकित करने वाला संकेत है.
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शनि के अस्त होने का प्रभाव
शनि ग्रह के अस्त होने का प्रभाव उनकी प्रकृति के अनुसार पड़ता है. सूर्य से दूरी के कारण यह ठंडा ग्रह है. इसलिए अस्त होने पर मौसम में बड़े बदलाव दिखाई देते हैं. पर्यावरण और प्रकृति पर शनि के अस्त होने का सबसे अधिक असर पड़ता है. इस दौरान कई तरह की आपदाएं आ सकती है. मौसम में परिवर्तन हो सकता है. फसलों को नुकसान और कई प्राकृतिक हलचलों का सामना करना पड़ सकता है.
कैसा रहेगा 35 दिन का अस्तकाल, आगे क्या पड़ेगा असर
35 दिन का यह अस्तकाल भारत पर असरकारी दिख सकता है. उत्तर-पश्चिम राज्यों में बर्फबारी, आंधी-तूफान, तापमान में बदलाव दिख सकता है. प्राकृतिक आपदाएं भूस्खलन, भूकंप के झटके भी सामने आ सकते हैं. फसलों पर कीट प्रकोप, ओलों से नुकसान की आशंका रह सकती है.
कई तरह के संक्रामक रोग बढ़ सकते हैं. Corona और New Strain तो सामने हैं ही. आशंका है कि क्या कुछ नए रोग भी सामने आ सकते हैं. पशु-पक्षियों के लिए भी संकट काल है. कौवों की मौत और Bird Flu चर्चा में ही है. शनि ग्रह आगाह कर रहे हैं कि यह संभलने का वक्त है. सवाल है कि क्या शनिदेव का वाहन कौवा किसी नए रोग की ओर इशारा कर रहा है?
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