नई दिल्लीः वीरता, भक्ति, बुद्धि, चतुरता और करुणा इन पांचों गुणों के सम्मेलन की बात होती है तो ध्यान में सिर्फ एक ही आकृति उभरती है. इस आकृति का ध्यान आते ही मन श्रद्धा से भर जाता है, हाथ जुड़ जाते हैं, सिर झुक जाता है और वाणी से निकलता है तो बस एक ही नाम, जय हनुमान...मंगलवार के दिन जन्में और मंगल ही मंगल करने वाले वीर हनुमान की लीला ही निराली है. मंगलवार का पावन दिन उनकी भक्ति और आराधना करने का दिन है. इस पावन दिन के मौके पर जानते हैं महावीर हनुमान जी से जु़ड़ी खास बातें...
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हनुमान चालीसा में 3 दोहे और 40 चौपाई
महादेव शिव के रुद्रावतार हनुमान जी को बजरंग बली, पवनपुत्र, मारुती नंदन, केसरी जैसे नामों से भी जाना जाता है. मान्यता है कि हनुमान जी अजर-अमर हैं. बजरंगबली हर भक्त और कुछ जाने या न जाने लेकिन हनुमान चालीसा उसे कंठस्थ रहती है. रोग और शत्रु के सताए हुए लोग हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. हनुमान चालीसा को सिर्फ मंगलवार ही नहीं बल्कि किसी भी दिन लोग अपने मन से भय भगाने के लिए इसकी कुछ चौपाई पढ़ने लग जाते हैं. शक्ति और साहस के प्रतीक माने जाने वाले वीर हनुमान की इस चालीसा में 3 दोहे और 40 चौपाई लिखी गई हैं.
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कितनी पंक्तियों में किसका बखान, जानिए यहां
हनुमान जी को सभी देवताओं में श्रेष्ठ माना गया है. वो अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं. महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति नहीं ठहर सकती. उनकी विशेषता और महिमा का बखान हनुमान चालीसा में मिलता है. हनुमान चालीसा के पहले 10 चौपाई उनकी शक्ति के बारे में बताती है. 11 से 20 तक की चौपाई में भगवान राम के बारे में कहा गया जिसमें 11 से 15 तक चौपाई भगवान राम के भाई लक्ष्मण पर आधारित है. आखिर की चौपाई में फिर हनुमान जी की व्याख्या की गई है.
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सबसे पहले हनुमान जी ने ही सुनी चालीसा
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श्रीराम चरित मानस की तरह हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की रचना भी भक्तकवि तुलसी दास ने की है. उन्होंने हनुमान चालीसा को अवधी भाषा में लिखा है. अपने अंतिम दिनों में कवि तुलसीदास वाराणसी में रहे, जहां आज उनके नाम पर तुलसी घाट है. यहीं गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान मंदिर भी बनाया जिसका नाम है संकटमोचन मंदिर. श्रीगुरु हनुमान चालीसा के शुरूआत के दोहे का पहला शब्द है. इसमें श्री का संदर्भ माता सीता है जिन्हें हनुमान जी अपना गुरु मानते थे. प्रसिद्ध कथा के अनुसार जब तुलसीदास ने रामचरितमानस बोलना समाप्त किया तब तक सभी व्यक्ति वहां से जा चुके थे लेकिन एक बूढ़ा आदमी वहीं बैठा रहा. वो आदमी और कोई नहीं बल्कि खुद भगवान हनुमान थे. हनुमान चालीसा को सबसे पहले स्वयं हनुमान जी ने ही सुना था.
चालीसा पढ़ते हुए रखें सावधानी
हनुमान चालीसा में वीर हनुमान के लिए 40 चौपाई लिखी गई हैं. यह चालीसा शब्द इन्हीं 40 अंकों से मिला है. हनुमान चालीसा का पाठ करने के खास विधि है पर ज्यातर भक्तों को इसका ज्ञान नहीं. ऐसे भक्त गलत तरीकों से हनुमान चालीसा का पाठ कर लेते हैं और लाभ से वंचित रह जाते हैं. हनुमान चालीसा का पाठ करते वक्त सावधानी भी रखनी चाहिए. आम तौर पर हनुमान भक्त नहाने के तुरंत बाद सिर्फ टॉवेल लपेटकर और भीगे शरीर से ही हनुमान चालीसा का पाठ करने बैठ जाते हैं लेकिन यह गलत तरीका है. सुबह स्नान आदि करने के बाद लाल धोती पहनकर हनुमानजी के चित्र या मूर्ति के सामने बैठकर नियमपूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए तभी लाभ मिल पाता है.
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ऐसे करेंगे पाठ तो नहीं मिलेगा फल
कई बार लोग अस्वच्छ अवस्था यानी गंदे कपड़ों और रजस्वला स्त्री के स्पर्श के बाद में ही हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं यह भी पूर्णतः गलत है क्योंकि इससे हनुमान चालीसा का लाभ नहीं मिल पाता है. हनुमान चालीसा का पाठ करते समय बैठने के लिए ऊनी या कुशा के आसन का उपयोग करना चाहिए क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता. जिस स्थान पर हनुमान चालीसा का पाठ करें, वो जगह ही साफ-स्वच्छ होनी चाहिए.
सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा
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चालीसा का पाठ करते समय ध्यान सिर्फ ईश्वर भक्ति में ही लगा होना चाहिए. कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है श्री हनुमान चालीसा में जो 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है. हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई. हनुमान जी को प्रतिदिन याद करने और उनके मंत्र जाप करने से मनुष्य के सभी भय दूर होते हैं.
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