धर्मराज युधिष्ठिर जब वन में थे तो श्रीकृष्ण ने इस पूरे दौरान उनसे व्रत-साधना करने के लिए कहा था. प्रत्येक एकादशी को वासुदेव कृष्ण उन्हें एकादशी व पूर्णिमा के व्रत का महत्व बताते थे. इसी तरह जब आश्विन मास की एकादशी के महत्व का वर्णन भी श्रीकृष्ण ने किया.
महाभारत में श्रीकृष्ण ने शमी को सत्य और धर्म का प्रतीक बताया था और बुआ कुंती से उसकी पूजा कराई थी. श्रीराम ने शमी पूजन कर पूर्वजों का आशीर्वाद तो लिया ही, देवी दुर्गा की दो शक्तियों जया-विजया का वरद हस्त भी पाया
राजस्थान के पाली के भाटुंड गांव में शीतला माता का एक चमत्कारी मंदिर है. जहां एक चमत्कारी ओखली या घड़ा है जिसे साल में दो बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है और पूजा अर्चना के बाद पूरे गांव की औरतें उस घड़े में पानी उड़ेलती हैं लेकिन वो घड़ा कभी भरता नहीं है.
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी का जन्म 4 अरब 60 करोड़ साल पहले हुआ. लेकिन इंसान का जन्म एक जटिल प्रकिया के बाद हुआ. वैज्ञानिक तर्कों पर जाएं तो इंसानी सभ्यता का सबसे पहला काल, पाषाण काल कहा जाता है और अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर के पास से पाषाण काल के सबूत मिलते हैं.
उत्तराखंड में स्थित चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा कर दी गई है. उत्तराखंड में हर वर्ष चार धाम कपाट बंद होने की तिथि और खोलने की तिथि निर्धारित की जाती है.
समय इतना बदल गया है कि हम श्रीराम और रावण को महज इतना ही जानते हैं कि दोनों ने एक युद्ध किया था. विजयदशमी केवल रावण दहन का प्रतीक है और बीते कई दशकों से बुराई पर अच्छाई की जीत की Tagline इतनी बड़ी हो गई है, उसके आगे श्रीराम और रावण दोनों का कद कहीं न कहीं बौना हो रहा है. जरूरत है तो रावण को पहचानने की और यह भी कि उससे गलती कहां हुई.
श्रीराम ने कहा- हे लक्ष्मण, तुम भी रावण के प्रति अपना हठीला क्रोध त्याग दो और मेरी ओर से जाकर उनसे ज्ञान की ज्योति ले आओ. निश्चित ही उनका ज्ञान हमें बड़ा ज्ञान आएगा. आज जो इस धरा से विदा ले रहा है वह महान विद्वान है. इसलिए कोई अशुभ हो, उससे पहले शीघ्र जाओ.
विजय के बाद भी श्रीराम दल में कोई उत्सव नहीं था. देवताओं के वापस चले जाने के बाद शांति छाई थी. विभीषण शोक में थे और राम उन्हें सहारा दे रहे थे. सहसा उन्हें कोई विचार कौंधा जिसे उन्होंने तुरंत लक्ष्मण से कहा. श्रीराम ने उस पल जो कहा वही भारत और भारतीयता का श्रेष्ठ चिह्न है.
गोरखपुर शहर से कुछ ही दूर थाना एरिया है गगहा. यह इलाका कभी दुर्गम जंगल था. 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम से पहले यहां पर अंग्रेजों की बलि चढ़ाई जाती थी. जंगल के बीच से यहां गुर्रा नदी होकर गुजरती थी. यहीं स्थित है पवित्र तरकुलहा देवी धाम
कश्मीर के मां खीर भवानी मंदिर से कश्मीरी पंडितों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी मां खीर भवानी का मंदिर श्रीनगर से 27 किलोमीटर की दूरी पर तुलमुल गांव में स्थित है. यहां हर साल मई महीने में पूर्णिमा के आठवें दिन बड़ी संख्या में भक्त इकट्ठे होते हैं. माता के मंदिर में मौजूद चमत्कारी कुंड काफी प्रसिद्ध है.
ये शक्तिपीठ सतयुग से असम में स्थापित है. सतयुग में इस मंदिर के कपाट सतयुग में हर 16 साल में. द्वापरयुग में हर 12 साल में, त्रेतायुग में हर 7 साल में बंद हो जाता था लेकिन अब कलियुग में मंदिर के कपाट हर साल तीन से चार दिन के लिए बंद हो जाते है. सतयुग, त्रेतायुग और द्वापयुग में तो मंदिर के कपाट खुद ब खुद बंद हो जाया करते थे लेकिन अब मंदिर के कपाट बंद करने पड़ते हैं.
प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक खास शक्तिपीठ है सुगंधा. यह शक्तिपीठ भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में स्थित है. बरीसाल से 21 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में शिकारपुर नामक ग्राम में सुंगधा (सुनंदा) नदी के तट पर स्थित उग्रतारा देवी का मंदिर ही शक्तिपीठ माना जाता है.
वो है आप मानो चाहे ना मानो ! हम किसी भूत-प्रेत या काले जादू की बात नहीं कर रहें. हम बात कर रहे हैं पौराणिक हिंदू मान्यताओं के आस्था के केंद्र में सदियों से रहे ऐसे चमत्कारों की जिसके आगे इंसान तो क्या विज्ञान भी सिर झुकाता है.
वर्तमान इंटरनेट क्रांति के जमाने में अगर आपसे कहा जाए कि किसी देव प्रतिमा से कोई सवाल किया जाए और वो उस सवाल का जवाब हां या ना में अपना सिर हिला कर दे? तो शायद आप यकीन नहीं करेंगे. लेकिन हमारे देश के एक राज्य हिमाचल प्रदेश में कुछ ऐसा ही होता है. जो आपको आश्चर्य में डाल देगा.
माता मुंबा का मंदिर, जो महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में स्थित है. समुद्र किनारे स्थित देवी के परमधाम में भक्तों की बड़ी आस्था है. माना जाता है कि मुंबा देवी समुद्र से नगरी की रक्षा करती हैं. वह समुद्र सुता के रूप में पूजित हैं.
अपने करीब 12 मिनट के इस संदेश में PM Modi ने कई गूढ़ बातें कहीं. जन-जन के मन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए उन्होंने जनता जनार्दन के पटल पर बसे महापुरुषों-संतों की वाणी का आश्रय लिया. जिसमें वेदों से निकली सूक्ति, कबीर संत की अमृत वाणी और गोस्वामी तुलसी दास की मोक्षदायी लेखनी रामचरिक मानस के उदाहरण को सामने रखा. PM Modi ने सबसे पहले कहा सेवा परमो धर्मः.
शक्तिपीठ मां वाराही का मंदिर जिसे देवीधुरा के नाम से भी जाना जाता हैं. देवीधुरा में बसने वाली मां वाराही का मंदिर 52 पीठों में से एक माना जाता है. आषाढ़ की सावन शुक्ल पक्ष में यहां गहड़वाल, चम्याल, वालिक और लमगड़िया खामों के बीच बग्वाल (पत्थरमार युद्ध) होता है.
नवरात्रि का पवित्र समय चल रहा है. ऐसे में बहुत से लोगों के मन में सवाल होता है कि इन विशेष दिनों में क्या किया जाए और क्या नहीं? आईए हम करते हैं आपकी शंका का समाधान-
अवंतिका देवी मंदिर उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले में अनूपशहर तहसील के जहांगीराबाद से करीब 15 किमी. दूर गंगा नदी के तट बना हुआ है. यह मंदिर रुक्मिणी-श्रीकृष्ण के विवाह का साक्षी है.