Gujarat Elections: जरीवाला को लेकर सिसोदिया ने बोला झूठ? अपहरण नहीं, दबाव की वजह से 'आप' उम्मीदवार ने नामांकन लिया वापस
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Gujarat Elections: जरीवाला को लेकर सिसोदिया ने बोला झूठ? अपहरण नहीं, दबाव की वजह से 'आप' उम्मीदवार ने नामांकन लिया वापस

Kanchan Jariwala: आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कंचन जरीवाला ने नामांकन वापस ले लिया है. आप ने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कहने पर जरीवाला का अपरहण किया गया. जरीवाला ने नामांकन वापस क्यों लिया उन्होंने ये भी बताया है.

Gujarat Elections: जरीवाला को लेकर सिसोदिया ने बोला झूठ? अपहरण नहीं, दबाव की वजह से 'आप' उम्मीदवार ने नामांकन लिया वापस

Gujarat Elections: गुजरात की सूरत पूर्व विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार कंचन जरीवाला ने बुधवार को अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया, जिसके बाद ‘आप’ ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कहने पर जरीवाला का अपरहण किया गया और उन पर नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया गया. भाजपा ने इस आरोप का खंडन किया है.

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जरीवाला और उनके परिवार के सदस्य मंगलवार से लापता हैं. सिसोदिया ने कहा, भाजपा गुजरात चुनाव में बुरी तरह हार रही है और वह परेशान होकर इतने निचले स्तर पर गिर गई कि उसने सूरत पूर्व से हमारे उम्मीदवार का अपहरण कर लिया.

उन्होंने कहा, हार के डर से भाजपा के गुंडों ने सूरत से आप के उम्मीदवार कंचन जरीवाला का अपहरण कर लिया. सिसोदिया ने आरोप लगाया कि भाजपा के गुंडों ने जरीवाला का नामांकन रद्द कराने की भी कोशिश की थी, लेकिन निर्वाचन अधिकारी ऐसा नहीं कर सके क्योंकि उनके कागजात में कोई कमी नहीं थी. सिसोदिया ने कहा, यह केवल हमारे उम्मीदवार का ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र का अपहरण है. गुजरात में हालात बहुत खतरनाक है. आप नेता ने गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पर भी जरीवाला का पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए उचित कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया. 

मनीष सिसोदिया ने क्या आरोप लगाया

सिसोदिया ने आरोप लगाया कि उम्मीदवार के पिछले 24 घंटे से लापता होने के बावजूद सीईओ यही कहते रहे कि जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक इस मामले को देख रहे हैं. उन्होंने कहा, इस घटना ने सीईओ की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इस मामले में बातचीत करने के लिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार से मिलने का समय मांगा.

भाजपा ने इस सीट से मौजूदा विधायक अरविंद राणा को खड़ा किया है. गुजरात विधानसभा की 182 सीटों के लिए एक दिसंबर एवं पांच दिसंबर को चुनाव होगा और मतगणना आठ दिसंबर को होगी.

आप की राज्य इकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने दावा किया कि जरीवाला सत्तारूढ़ दल के दबाव में अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए बुधवार को निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में भारी पुलिस सुरक्षा के बीच पहुंचे थे और इस दौरान ‘‘भाजपा के गुंडों’’ ने उन्हें घेर रखा था. उन्होंने कहा कि जब मीडियाकर्मियों ने जरीवाला से सवाल किए, तो उनके आसपास मौजूद लोग उन्हें तुरंत वहां से ले गए.

इटालिया ने आरोप लगाया कि जरीवाला लापता थे और उन्हें भाजपा के गुंडे किसी अज्ञात स्थान पर ले गए और उन पर चुनाव से दूर रहने का दबाव बनाया गया. उन्होंने कहा कि जरीवाला जिस प्रकार नामांकन लेने आए, उससे संकेत मिलता है कि उन पर भारी दबाव था.

इटालिया ने कहा, यदि कोई स्वयं अपनी उम्मीदवारी वापस लेना चाहता है, तो वह पुलिस की भारी सुरक्षा और 50 से 100 गुंड़ों के साथ कार्यालय क्यों आएगा. उन्होंने निर्वाचन आयोग से मामले का संज्ञान लेने का आग्रह किया. बहरहाल, भाजपा की सूरत शहर इकाई के अध्यक्ष निरंजन झांझमेरा ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि आप को ऐसा करने के बजाय अपने घर पर ध्यान देना चाहिए. इटालिया ने कहा कि आप इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी मामलों के विशेषज्ञों के अपने दल से सलाह लेगी.

आप की गुजरात इकाई के सह-प्रभारी राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि भाजपा के गुंडों ने मंगलवार को जरीवाला का अपहरण कर लिया ताकि उन पर उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव बनाया जा सके. चड्ढा ने कहा कि पार्टी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इस बारे में सूचित कर दिया है और मामले में एक लिखित शिकायत सौंपी जाएगी. उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन को भी इसकी सूचना दे दी गई है.

सूरत के पुलिस आयुक्त अजय तोमर ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है. उन्होंने कहा, हमें कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन यह मामला मेरे संज्ञान में आया है, इसलिए मैं इस पर काम कर रहा हूं.  कथित अपहरण को लेकर सिसोदिया और पार्टी के अन्य नेताओं ने निर्वाचन आयोग के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.

जरीवाला ने क्या कहा

चुनाव लड़ने से पीछे हटने पर कंचन जरीवाला ने कहा, मेरे नामांकन वापस लेने का कारण यह था कि सूरत (पूर्व) विधानसभा में (आप) कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया था. कर्मचारी पैसे की मांग करने लगे. मैं इतना सक्षम नहीं हूं कि 80 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये खर्च कर सकूं. उनकी मांग इतनी थी कि मैं उसे पूरा नहीं कर सका. उन्होंने कहा, पार्टी का काफी दबाव था. लोग बार-बार फोन कर परेशान कर रहे थे. मैं अपने बेटे के दोस्तों के साथ चला गया, वहां बीजेपी का कोई नहीं था. अब मुझे क्या करना है, 5-7 दिन बाद बताऊंगा .

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