मारबर्ग वायरस एक जानलेवा बीमारी है, जिससे संक्रमित मरीजों में 50% तक मृत्यु दर देखी गई है. इसे ब्लीडिंग आई वायरस भी कहा जाता है. इस वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है.
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मारबर्ग वायरस एक जानलेवा बीमारी है, जिससे संक्रमित मरीजों में 50% तक मृत्यु दर देखी गई है. इसे ब्लीडिंग आई वायरस भी कहा जाता है. इस वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है, क्योंकि रिकवरी के बाद भी यह शरीर के कुछ अंगों में छिपा रह सकता है और लंबे समय तक असर डाल सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बार फिर इस वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया है.
मारबर्ग वायरस रेयरेस्ट वायरस में से एक है, जो आमतौर पर चमगादड़ों में पाया जाता है. यह वायरस इबोला फैमिली से संबंधित है और पहली बार 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट शहरों में पहचाना गया था. संक्रमित व्यक्ति या उसके उपयोग में लाई गई वस्तुओं के संपर्क में आने से यह फैलता है.
मारबर्ग वायरस के लक्षण
* तेज बुखार
* खून की उल्टी
* नाक से खून बहना
* सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द
* पीलिया
* पेट और सीने में दर्द
* डायरिया
* सिर चकराना
शरीर के इन अंगों में छिपा रह सकता है वायरस
WHO के अनुसार, रिकवरी के बाद भी यह वायरस पुरुषों के टेस्टिकल्स और आंखों के अंदरूनी हिस्सों में छिपा रह सकता है. इसके अलावा, यह संक्रमित महिलाओं के प्लेसेंटा और ब्रेस्ट मिल्क के जरिए बच्चों में भी पहुंच सकता है. वायरस रिकवरी के 7 हफ्ते बाद तक सीमन के जरिए भी एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है.
मारबर्ग वायरस से कैसे बचें?
* फिजिकल रिलेशन बनाते समय सावधानी बरतें और कॉन्डम का इस्तेमाल करें.
* वायरस से रिकवर होने के बाद नियमित जांच कराएं.
* संक्रमित मरीजों की देखभाल करते समय विशेष सतर्कता रखें.
* डॉक्टर से सलाह लेकर वायरस से बचाव के उपाय अपनाएं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.