Nobel Price Money: नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (8 करोड़ 31 लाख रुपये) का नकद इनाम दिया जाता है. यह राशि इस पुरस्कार के संस्थापक स्वीडिश नागरिक अल्फ्रेड नोबेल की संपत्ति में से दिया जाता है जिनका 1896 में निधन हो गया था.
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Katalin Kariko and Drew Weissman: इस बार मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार काटालिन कारिको और ड्रयू वीसमैन को दिया जाएगा. कोविड-19 से लड़ने के लिए एमआरएनए टीकों के विकास से संबंधित खोजों के लिए उनको इस अवॉर्ड से नवाजा जाएगा. नोबेल असेंबली के सचिव थॉमस पर्लमैन ने सोमवार को स्टाकहोम में पुरस्कारों का ऐलान किया. नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (8 करोड़ 31 लाख रुपये) का नकद इनाम दिया जाता है. यह राशि इस पुरस्कार के संस्थापक स्वीडिश नागरिक अल्फ्रेड नोबेल की संपत्ति में से दिया जाता है जिनका 1896 में निधन हो गया था.
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The 2023 #NobelPrize in Physiology or Medicine has been awarded to Katalin Karikó and Drew Weissman for their discoveries concerning nucleoside base modifications that enabled the development of effective mRNA vaccines against COVID-19. pic.twitter.com/Y62uJDlNMj— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 2, 2023
mRNA वैक्सीन विकसित करने वाले इन वैज्ञानिकों की खोज ने दुनियाभर में लोगों की सोच बदल दी. इसके कारण दुनिया के लोग और वैज्ञानिक ह्यूमन बॉडी में होने वाले इम्यून सिस्टम के एक्शन और रिएक्शन को बेहतर तरह से जान पाए. कोविड महामारी के कारण पूरी दुनिया में कहर मचा हुआ था. लोग मर रहे थे और सिस्टम घुटनों पर आ गया था. बीमारी का इलाज कुछ ना नहीं. ऐसे में वैज्ञानिक वैक्सीन खोजने में लगे थे. उन पर इस बात का जबरदस्त प्रेशर था कि ऐसी वैक्सीन बनाई जाए, जिससे तुरंत कोरोना महामारी को कंट्रोल किया जा सके.
mRNA वैक्सीन कैसे काम करती है?
कोरोना मानव शरीर में कैसे फैल रहा है और किस हिस्से को अपनी चपेट में ले रहा है. दोनों वैज्ञानिकों ने इसको समझ लेने के बाद mRNA वैक्सीन का फॉर्मूला बनाया. इसके बाद वैक्सीन तैयार की. हमारी कोशिकाओं में जो DNA मौजूद होता है, को मैसेंजर RNA यानी mRNA में तब्दील किया गया. इस प्रक्रिया को विट्रो ट्रांसक्रिप्शन कहा जाता है. कैटेलिन इस प्रक्रिया को 90 के दशक से तैयार कर रही थीं. तब उनके साथ आए ड्रयू वीसमैन. वह एक शानदार इम्यूनोलॉजिस्ट हैं. उन्होंने मिलकर डेंड्रिटिक सेल्स की जांच-पड़ताल की. उन्होंने कोविड के पेशेंट्स की इम्यूनिटी चेक की. फिर वैक्सीन से मिलने वाले इम्यून रेस्पॉन्स को बढ़ाया. mRNA प्रक्रिया के जरिए वैक्सीन बनाई. इस कारण से कोरोना महामारी धीरे-धीरे काबू में आ गई.