Yen Rachinsky: नोबेल शांति पुरस्कार के रूसी विजेता रैचिंस्की का दावा- सरकार ने दी थी प्राइज लौटाने की सलाह
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Yen Rachinsky: नोबेल शांति पुरस्कार के रूसी विजेता रैचिंस्की का दावा- सरकार ने दी थी प्राइज लौटाने की सलाह

Nobel Peace Prize: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता रूस के येन रैचिंस्की ने यूक्रेन में रूस के हमले की आलोचना की है. इसके साथ उन्होंने इसे पागलपन और आपराधिक भी करार दिया है. रैचिंस्की रूसी नागरिक हैं. वह मेमोरियल नाम की एख संस्था चलाते हैं. इसकी गिनती रूस की सबसे पुरानी मानवाधिकार संस्थाओं में होती है. 

येन रैचिंस्की

Russia Government Advised Yen Rachinsky to Return Nobel Prize: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में अब हर तरफ से रूस को मुंह की खानी पड़ रही है. अब खुद अपने ही देश में रूसी सरकार को युद्ध के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. नागरिकों के साथ ही अब रूस की बड़ी शख्शियतें भी आवाज बुलंद करने लगी हैं. इसी कड़ी में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता रूस के येन रैचिंस्की ने यूक्रेन में रूस के हमले की आलोचना की है. इसके साथ उन्होंने इसे पागलपन और आपराधिक भी करार दिया है. यही नहीं, उन्होंने कहा है कि रूसी अधिकारियों ने उनसे नोबेल शांति पुरस्कार ठुकराने के लिए कहा था.

सरकार की सलाह को किया नजरअंदाज

रैचिंस्की ने दावा किया है कि रूस की सरकार ने उनकी संस्था से अवॉर्ड को अस्वीकार करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इस सलाह पर ध्यान नहीं दिया. रैचिंस्की रूसी सरकार की आलोचना करते हुए कहते हैं, भले ही मेरी सुरक्षा को ख़तरा हो, लेकिन मैं मेमोरियल का काम जारी रखूंगा. यह काम वर्तमान हालात में और भी जरूरी हो गया है.

रूस में कोई भी नहीं है सुरक्षित 

उनका कहना है कि ‘अभी जो स्थिति है उसमें रूस में कोई भी सुरक्षित नहीं है. इस युद्ध में बहुत से लोगों की मौत हुई है. हम इस बात से भी अच्छे से परिचित हैं कि राज्य की निरंकुशता उसे किस तरफ ले जाती है. हमें अब किसी तरह इस गड्ढे से बाहर निकलने की ज़रूरत है.’

कौन हैं येन रैचिंस्की

येन रैचिंस्की रूसी नागरिक हैं. वह मेमोरियल नाम की एख संस्था चलाते हैं. इस संस्था की गिनती रूस की सबसे पुरानी मानवाधिकार संस्थाओं में होती है. इस संस्था को रूसी सरकार ने पिछले साल बंद करा दिया था. दरअसल, यह संगठन सोवियत संघ के ऐतिहासिक दमन का दस्तावेज़ीकरण करता है. रैचिंस्की ने यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबरटीज़ और बेलारूस के जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की के साथ संयुक्त रूप से विजेता घोषित किया गया था.

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