Quiz: ऐसा कौन सा शहर है जहां मरना है 'गुनाह'
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Quiz: ऐसा कौन सा शहर है जहां मरना है 'गुनाह'

Trending GK Quiz GK Question In Hindi: क्या आप जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) से हो रहे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर जीवित इंसानों के साथ मृतकों को भी प्रभावित कर रहा है. क्लाइमेट चेंज की मार से मुर्दे तक अछूते नहीं हैं ये वो स्थिति है जिसके बारे में बहुत से लोग कुछ भी नहीं जानते हैं.

Quiz: ऐसा कौन सा शहर है जहां मरना है 'गुनाह'

General Knowledge Quiz GK trending Question: नॉर्वे (Norway) का स्वालबार्ड (svalbard) आइलैंड प्रकति की खूबसूरती के साथ रोमांच से भरपूर है. यहां ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का खतरा जिंदा लोगों को ही नहीं, बल्कि मरे हुए लोगों को भी है. जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पहला बड़ा असर यहां पर तब दिखा जब यहां का कब्रिस्तान इसकी भेंट चढ़ गया. स्वालबार्ड के प्रमुख शहर लॉन्गईयरब्येन (Longyearbyen) की आबादी करीब 2500 हजार है. नॉर्थ पोल और नॉर्वे के बीच बसे इस शहर में 4 महीने तक सूरज नहीं निकलता है. धरती का एक कोना होने की वजह से यहां भीषण सर्दी पड़ती है तब तापमान माइनस 30 डिग्री चला जाता है. 

तापमान बढ़ना नहीं रुका तो सबकुछ खत्म!

फरवरी में नॉर्वेजियन सेंटर फॉर क्लाइमेट सर्विसेज द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 1970 के बाद से, स्वालबार्ड में औसत वार्षिक तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है, जबकि सर्दियों का तापमान 7 डिग्री से अधिक बढ़ गया है. 'क्लाइमेट इन स्वालबार्ड 2100' नाम से प्रकाशित एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस सदी के अंत तक स्वालबार्ड में औसत तापमान 7 से 10 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है.

धरती फाड़कर बाहर निकले ताबूत!

इस खूबसूरत घाटी में मकान मजबूत आधार की बजाय छोटी लकड़ी के फट्टों से बनाए जाते हैं. ताकि प्रकृति पर कोई बुरा असर न पड़े. 2016  तक यहां का काफी बड़ा हिस्सा गायब हो चुका था. तब स्वालबार्ड चर्च ने कहा गया था लोगों में डर बढ़ता जा रहा है. चर्च के तत्कालीन फादर ने कहा था तापमान बढ़ने से पर्माफ्रॉस्ट पिघलते हैं, तब जमीन के अंदर दबी चीजें ऊपर खिंचने लगती हैं. दुर्भाग्य से ये लगातार हो रहा है, इसलिए वहां की कब्रें ताबूत समेत ऊपर आ गई थीं.

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(ऐसे थे हालात)

यहां मरने की मनाही!

इस इलाके के बारे में कहा जाता है कि यहां मरना ‘गैर कानूनी’ है. ये बात कुछ हद तक सही भी है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां विषम हैं. यहां शवों को दफनाने की इजाजत नहीं है क्योंकि बॉडी गलती ही नहीं है. कुछ खास परिस्थितियों में लोगों का अंतिम संस्कार हो सकता है. यहां पर सात शव 1918 से दफन हैं. 1998 में जब कुछ शवों को निकाला गया, तो उनमें 80 साल बाद भी फ्लू के ट्रेस पाए गए थे. इसी वजह से अगर कोई गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो उसे इलाज के लिए फौरन नॉर्वे जाना पड़ता है क्योंकि यहां पर सुविधाएं नहीं हैं. 

यहां करीब 40 देशों के 2500 लोग रहते हैं. स्वालबोर्ड में लगी नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights) देखने के लिए बड़ी तादाद में सैलानी आते हैं. यहीं दुनिया का सबसे बड़ा अनछुआ इलाका है. इस संवेदनशील जगह जहां बढ़ रहे तापमान से पूरी दुनिया को खतरा है वो पहाड़ों और प्राचीन ग्लेशियरों के साथ साथ ध्रुवीय भालू (पोलर बियर), वालरस, रेनडियर और विलुप्त प्राय ध्रुवीय लोमड़ियों का घर है.

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