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Guruwar ke Upay: हिंदू शास्त्रों के अनुसार सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है. गुरुवार का दिन भगवान श्री हरि और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है. इस दिन विधिविधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों के सभी दुख खत्म होते हैं और संकटों का नाश होता है. वहीं, कहते हैं कि इस दिन कुछ आसान से उपायों को करने से कुंडली में बृहस्पति की स्थिति भी मजबूत होती है.
बता दें कि बृहस्पति को भाग्य का कारक माना जाता है. जब किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति मजबूत स्थिति में होता है, तो उसे हर मोड़ पर भाग्य का साथ मिलता है. वहीं, गुरु ग्रह को सुख, वैभव, धन, वैवाहिक जीवन, संतान और विवाह का कारक भी माना जाता है. आइए जानें गुरुवार के दिन बृहस्पति चालीसा करने के लाभ के बारे में.
श्री बृहस्पति देव चालीसा
दोहा
प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान।
श्री गणेश शारद सहित, बसों ह्रदय में आन॥
अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान।
दोषों से मैं भरा हुआ हूँ तुम हो कृपा निधान॥
चौपाई
जय नारायण जय निखिलेशवर। विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर॥
यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता।भारत भू के प्रेम प्रेनता॥
जब जब हुई धरम की हानि। सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी॥
सच्चिदानंद गुरु के प्यारे। सिद्धाश्रम से आप पधारे॥
उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा। ओय करन धरम की रक्षा॥
अबकी बार आपकी बारी। त्राहि त्राहि है धरा पुकारी॥
मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा। मुल्तानचंद पिता कर नामा॥
शेषशायी सपने में आये। माता को दर्शन दिखलाए॥
रुपादेवि मातु अति धार्मिक। जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख॥
जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की। पूजा करते आराधक की॥
जन्म वृतन्त सुनायए नवीना। मंत्र नारायण नाम करि दीना॥
नाम नारायण भव भय हारी। सिद्ध योगी मानव तन धारी॥
ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित। आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित॥
एक बार संग सखा भवन में। करि स्नान लगे चिन्तन में॥
चिन्तन करत समाधि लागी। सुध-बुध हीन भये अनुरागी॥
पूर्ण करि संसार की रीती। शंकर जैसे बने गृहस्थी॥
अदभुत संगम प्रभु माया का। अवलोकन है विधि छाया का॥
युग-युग से भव बंधन रीती। जंहा नारायण वाही भगवती॥
सांसारिक मन हुए अति ग्लानी। तब हिमगिरी गमन की ठानी॥
अठारह वर्ष हिमालय घूमे। सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें॥
त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन। करम भूमि आए नारायण॥
धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी। जय गुरुदेव साधना पूंजी॥
सर्व धर्महित शिविर पुरोधा। कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा॥
ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा। भारत का भौतिक उजियारा॥
एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता। सीधी साधक विश्व विजेता॥
प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता। भूत-भविष्य के आप विधाता॥
आयुर्वेद ज्योतिष के सागर। षोडश कला युक्त परमेश्वर॥
रतन पारखी विघन हरंता। सन्यासी अनन्यतम संता॥
अदभुत चमत्कार दिखलाया। पारद का शिवलिंग बनाया॥
वेद पुराण शास्त्र सब गाते। पारेश्वर दुर्लभ कहलाते॥
बृहस्पति चालीसा करने के लाभ
- शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन गुरु बृहस्पति चालीसा का पाठ करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, व्यक्ति की बुद्धि में वृद्धि होती है. जीवन में हर कार्य में सफलता मिलती है.
- कहते हैं कि जिन लोगों की कुंडली में गुरु बृहस्पति कमजोर स्थिति में होते हैं, उन्हें नियमित रूप से इस चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है. कहते हैं कि नियमित ये चालीसा पाठ करने से व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति होती है.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु दोष से छुटकारा पाने के लिए बृहस्पति चालीसा का पाठ करना शुभ माना गया है. दोष के दुष्प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)