Bhagavad Gita: जीवन तबाह कर देती है इन चीजों की ख्‍वाहिश, धन-दौलत, पद-प्रतिष्‍ठा हो जाती है खत्‍म!
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Bhagavad Gita: जीवन तबाह कर देती है इन चीजों की ख्‍वाहिश, धन-दौलत, पद-प्रतिष्‍ठा हो जाती है खत्‍म!

Bhagavad Gita in Hindi: श्रीमद्भागवत गीता में खुशहाल जीवन जीने का तरीका बताया गया है. गीता का एक-एक श्‍लोक जीवन के सार की तरह है. इसमें बताया गया है कि कुछ चीजों से दूरी ही आपको खुश रख सकती है.

Bhagavad Gita: जीवन तबाह कर देती है इन चीजों की ख्‍वाहिश, धन-दौलत, पद-प्रतिष्‍ठा हो जाती है खत्‍म!

Bhagavad Gita Quotes Hindi: श्रीमद्भागवत गीता हिंदू धर्म का महत्‍वपूर्ण ग्रंथ है लेकिन इस ग्रंथ में बताई गई बातों को धर्म से ऊपर उठकर पूरी दुनिया ने माना है. माना जाता है कि भागवत गीता में जीवन की हर समस्‍या का समाधान है. साथ ही खुशहाल जीवन जीने के तरीके भी बताए गए हैं. यदि व्‍यक्ति इन नियमों से हटकर कुछ करता है तो उसे दुख, समस्‍याएं झेलनी पड़ती हैं. आज हम गीता में बताई गई उन बातों के बारे में बताया गया है, जिनसे दूरी बनाने की सलाह दी गई है. वरना ये चीजें व्‍यक्ति की धन, दौलत, मान, प्रतिष्‍ठा, सुख सब खत्‍म कर देता है. 

इन चीजों से हमेशा रहें दूर 

पराया अन्न: भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्‍ण कहते हैं कि कभी भी पराए अन्‍न पर अपनी बुरी नजर ना डालें. बल्कि हमेशा अपनी मेहनत से कमाए पैसों से ही अपना और परिवार का पेट भरें. बुरी नजर या धोखे से लिया गया अन्‍न या किसी का हक मारकर लिया गया अन्‍न सेहत पर बुरा असर डालता है. साथ ही जीवन में कष्‍ट लाता है. 

पराया धन: कभी भी पराया धन हड़पना अच्‍छा नहीं होता है. छल से कमाया गया या धोखे से लिया गया धन आपको कुछ समय के लिए तो अमीर बना सकता है या लाभ दे सकता है. लेकिन ऐसा धन आपको नुकसान ही पहुंचाता है. ऐसा धन किसी ना किसी जरिए निकल ही जाता है. 

पराया दान: ऐसा पैसा जो किसी सामाजिक या धार्मिक काम के लिए इकट्ठा किया गया हो, उसे हड़पना या उसमें गड़बड़ी करना बड़ा पाप देता है. बल्कि ऐसे काम में तो अपने कमाए हुए धन का एक हिस्‍सा दान करें. ऐसा करना आपको पुण्‍य दिलाएगा और आपकी धन-संपत्ति बढ़ाएगा. 

पराई स्त्री: पराई स्‍त्री पर नजर रखना या उस पर बुरी नजर डालना महापाप है. ऐसा काम आपकी पद-प्रतिष्‍ठा को बर्बाद कर देता है. आपकी और परिवार की मान हानि कराता है. आपको संकट में फंसाता है इसलिए हमेशा परस्‍त्री के मामले में अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखें. 

निंदा: कभी भी दूसरों की निंदा ना करें. निंदा करने से आप खुद का ही नुकसान करते हैं. निंदा आपकी सोच में नकारात्‍मकता लाती है. यह आपके जीवन को बर्बादी की ओर ले जाती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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