Uniform Civil Code: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की चर्चा हर तरफ है. इसमें लिव इन रिलेशनशिप को लेकर भी कानून लाया गया है. लेकिन कहीं ना कहीं यह एकतरफे हक की बात करता है, जो कि यूसीसी के परिभाषा के विपरीत है.
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बरखा त्रेहन प्रेसिडेंट, पुरुष आयोग एनजीओ,
उत्तराखंड में समान कानून संहिता अर्थात यूनिफॉर्म सिविल कोड पास हो गया है, इसमें लिव इन संबंधों को लेकर बहुत चर्चा हो रही है और इसे लेकर कुछ प्रावधान इसमें किए गए हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है इसे रजिस्टर करना. लिव इन संबंधों का अर्थ होता है बिना शादी के बंधन में बंधे हुए एक साथ रहना और सहुलियत के अनुसार रिश्ते को खत्म कर देना.
मगर अमूमन ऐसा होता नहीं है. इस रिश्ते में जाना तो आसान होता है, मगर इसे तोड़ना बहुत ही पेचीदा होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि लड़के की ओर से पहल होती है तो लड़के पर लड़की के द्वारा शादी का बहाना बनाकर बलात्कार का मुकदमा कर दिया जाता है. वहीं कई मामले ऐसे भी आए हैं, जिनमें लिव-इन में रहने वाली लड़कियों का हर प्रकार से शोषण आदमियों द्वारा किया गया है. ऐसे में जब पीड़ित पुरुष और महिला दोनों ही हो सकते हैं तो फिर केस रजिस्टर कराने का अधिकार सिर्फ महिलाओं को ही क्यों?
लिव इन रिलेशन लव जिहाद का एक टूल
आए दिन लिव इन रिलेशन से जुड़े अपराध के मामले सामने आते रहते हैं. यह लव-जिहाद का भी एक बहुत बड़ा टूल है. कई हिन्दू लड़कियों के अंतहीन शोषण के लिए भी यह सम्बन्ध जिम्मेदार हैं. इसलिए इसे लेकर नियम बनाना बहुत ही अनिवार्य था. लेकिन इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि पुरुष भी इस रिलेशनशिप में धोखे के शिकार होते हैं. तो जो नया क़ानून बना है. उसमें दोनों के शोषण को ध्यान में रखते हुए ही सजा के प्रावधान रखे जाने थे.
इंसाफ का हक एकतरफा
पुरुष आयोग की अध्यक्ष होने के नाते मैं जब पुरुषों के अधिकारों की बात इस यूसीसी में लिव इन कानूनों में देखती हूं, तो मुझे बहुत बड़ा पेंच दिखाई देता है. क्योंकि यदि किसी महिला को इन संबंधों में धोखा दिया जाता है तो वह न्यायालय से संपर्क करके रखरखाव का दावा कर सकती है. परन्तु यह कानून इस विषय में बहुत कुछ विस्तार से नहीं कहता है कि अगर पुरुष को इस सम्बन्ध में धोखा मिलता है तो महिला को क्या दंड मिलेगा? या फिर पुरुष को किस प्रकार की क्षतिपूर्ति होगी?
यूसीसी का मतलब ही है समान अधिकार
यूसीसी का अर्थ ही समान नागरिक संहिता है, इसका अर्थ ही होता है कि हर नागरिक समान है. ऐसे में सबके लिए न्याय का अधिकार समान होना चाहिए सबके लिए कानून समान होना चाहिए, न कि कम्युनिस्ट फेमिनिज्म जैसा पुरुष विरोधी.