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SC News: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना 3,000 टन से अधिक ठोस कचरे का निस्तारण नहीं होने को लेकर दिल्ली नगर निगम (MCD) से नाराजगी जताते हुए शुक्रवार को कहा कि दिल्ली में यह खुलेआम हो रहा है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने एमसीडी के एक हलफनामे का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी में अशोधित ठोस कचरे को दिसंबर, 2027 तक साफ कर दिया जाएगा.
हम हलफनामे को पढ़कर हैरान: SC
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के लोगों की सेहत से जुड़े इस अहम मुद्दे की सुनवाई करते हुए कहा, ‘राष्ट्रीय राजधानी में क्या हो रहा है? हम इस हलफनामे को पढ़कर हैरान हैं, जिसमें कहा गया है कि इसे साफ करने में दिसंबर 2027 तक का समय लगेगा.’ शीर्ष कोर्ट ने कहा, ‘कचरे का यह ढेर 2027 तक रहेगा. यह क्या है?’ शीर्ष कोर्ट ने इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में निर्माण गतिविधियों को रोकने के निर्देश जैसे कुछ कठोर आदेश पारित करने की चेतावनी दी. दिल्ली में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के क्रियान्वयन से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने पाया कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन 3,000 टन ठोस अपशिष्ट अनुपचारित रहता है.
‘हम उन्हें साथ बैठाएंगे: SC
बेंच ने सवाल किया, ‘यह अनुपचारित ठोस अपशिष्ट कहां जाता है?’ MCD के वकील ने कहा कि कचरा भलस्वा और गाजीपुर में लैंडफिल स्थलों पर ले जाया जाता है. SC ने ये भी कहा, ‘दिल्ली में ये सब नहीं चलेगा आगे ये सब चीजें जारी नहीं रह सकती हैं.’ न्यायमित्र के रूप में सुप्रीमक कोर्ट की मदद कर रहीं सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह ने कहा कि समस्या यह है कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर सामंजस्य से काम नहीं कर रहे. बेंच ने केंद्र से इस मुद्दे पर ध्यान देने को कहा. उसने कहा, ‘हम उन्हें साथ बैठाएंगे.’ कोर्ट ने कहा, ‘हमें कुछ कठोर निर्देश जार करने के लिए मजबूर न करें. ऐसे मुद्दों से कठोर तरीके से निपटना होगा.’ (इनपुट: भाषा)