Balwant Singh Rajoana: पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी को उम्रकैद में बदलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने केंद्र सरकार को 18 मार्च तक फैसला लेने को कहा है. जानें पूरी बात.
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SC on Balwant Singh Rajoana: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर केंद्र सरकार को 18 मार्च तक फैसला लेने को कहा है. कोर्ट ने साफ किया कि वो केंद्र सरकार को आखिरी मौका दे रहा है. सरकार या तो इस दरमियान कोई फैसला ले ले अन्यथा कोर्ट फिर ख़ुद इस याचिका को मेरिट पर सुनवाई करेगा. राजोआना करीब 29 साल से जेल में बंद है. 12 साल से उसकी दया अर्जी राष्ट्रपति के पास पेंडिंग है. उसने दया याचिका के निपटारे में हो रही देरी का हवाला देते हुए रिहाई की मांग की है.
सरकार और राजोआना की दलील
केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक राज्य के मुख्यमंत्री और 16 लोगो की हत्या का संजीदा मामला है. सरकार इस पर विचार कर रही है. तुषार मेहता ने कोर्ट से 6 हफ्ते का वक़्त और दिए जाने की मांग की. वही राजोआना की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि अब सरकार के जवाब का इतंज़ार करने की ज़रूरत नहीं है. कोर्ट पहले ही इसके लिए सरकार को बहुत वक़्त दे चुका है. राजोआना करीब 29 साल से जेल में बंद है.15 साल से उसकी फांसी का मसला अटका हुआ है.सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के आधार पर वो रिहाई के हकदार है .सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका के निपटारे में हुई देरी के आधार पर देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर की सज़ा को भी उम्रकैद में बदला था.इसी राहत का अधिकरी राजोआना भी है,
2007 में फांसी की सज़ा दी गई थी
पंजाब पुलिस में कांस्टेबल रह चुके बलवंत सिंह राजोआना को 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 दूसरे लोगों की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था.जुलाई 2007 में स्पेशल कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद हाई कोर्ट ने भी फांसी की सज़ा पर मुहर लगा दी. राजोआना ने दोषी ठहराए जाने या फांसी की सज़ा के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती नहीं दी थी.
SGPC ने दायर की थी दया याचिका
राजोआना को 31 मार्च 2012 को फांसी की सज़ा होनी थी लेकिन इसी बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर कर दी. इसके चलते 28 मार्च को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उसकी फांसी की सज़ा पर रोक लगा दी.इसी बीच राष्ट्रपति ने दया याचिका को केंद्र सरकार के पास भेज दिया. तभी से यह दया याचिका सरकार के पास पेंडिंग है .उस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया.