कहीं जान जा रही, कहीं... दो राज्यों में दो बीमारियों का रहस्य गहराया; केंद्र सरकार एक्टिव
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कहीं जान जा रही, कहीं... दो राज्यों में दो बीमारियों का रहस्य गहराया; केंद्र सरकार एक्टिव

Rajouri death mystery: राजौरी और श्रीनगर में मौजूद डॉक्टरों का कहना है कि रहस्यमयी बीमारी से पीड़ित मरीजों ने मौत से पहले बुखार, दर्द, मतली और चेतना में कमी की शिकायत की थी. ये लक्षण अस्पताल में भर्ती होने के कुछ ही दिनों के भीतर तेजी से बिगड़े और लोगों की हालत गंभीर हो गई.

 

कहीं जान जा रही, कहीं... दो राज्यों में दो बीमारियों का रहस्य गहराया; केंद्र सरकार एक्टिव

Death mystery Rajouri: देश के दो राज्यों के लोग रहस्यमयी बीमारी की चपेट में हैं. बात केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र की, जहां के लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. हालात इस कदर बेकाबू हुए कि केंद्र सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश पर ICMR और AIIMS की टीमों ने बड़े पैमाने पर सैंपल कलेक्श करके जांच के लिए भेजा है. इसके साथ ही सभी पीड़ित परिवारों की सेहत की लगातार मॉनिटरिंग हो रही है. बुलढाणा से लेकर राजौरी जिले तक लोग अनहोनी की आशंका से सहमें हुए हैं, दरअसल राजौरी में कुछ परिवारों के 17 लोगों की मौत रहस्यमयी बीमारी से हुई तो न सिर्फ जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश में हलचल मच गई.

Buldhana Hairfall Issueकहीं जान जा रही, कहीं गंजे हो रहे लोग

वहीं महाराष्ट्र बुलढाणा के 11 गांवों में रहने वाले लोग अचानक से गंजे होने लगे हैं. हालात बेकाबू होने के बाद केंद्र सरकार एक्टिव हुई और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भेजी गई एक्सपर्ट टीम मेडिकल टीमें मौके पर पहुंचकर जांच कर रही हैं. डॉक्टर्स PPE किट में पीड़ित परिवारों के सदस्यों की जांच कर रहे हैं.  

राजौरी में रहस्यमयी मौतों का शिकार हुए अधिकांश बच्चों को गंभीर हालत में जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल बख्शी नगर रेफर किया जाता है, लेकिन वो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

बीमारी पर राजनीति!

शिवसेना (यूबीटी) ने बुलढाणा के मामले को लेकर केंद्र सरकार के उपायों को नाकाफी बताते हुए डब्लूएचओ (WHO) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम बुलाने की मांग की है. हिंदी सामना में लिखे आर्टिकिल के जरिए शेगांव तालुका में पिछले तीन हफ्तों से रहस्यमयी बाल झड़ने की तमाम घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि भले ही इस रहस्यमयी बीमारी को लेकर प्रभावित इलाके में 50 से अधिक मेडिकल एक्सपर्ट्स, ICMR, पुणे के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और स्थानीय डॉक्टरों की कई टीमें जांच कर रही हैं, लेकिन ये सब नाकाफी है.

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता नरेंद्र खेडेकर ने सरकार से नई गाइडलाइंस जारी करने के साथ WHO की टीम बुलाने की मांग की है. उस इलाके में पानी की गुणवत्ता को लेकर पहले से चिंताएं रही हैं. उधार इस बीमारी का कनेक्शन स्थानीय भू-जल से होने को लेकर जिला कलेक्टर पाटील ने कहा कि पानी आपूर्ति परियोजनाओं की समीक्षा की जाएगी, लेकिन इन योजनाओं पर अभी तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है.

कलेक्टर किरण पाटील ने कहा कि बाल झड़ने की घटनाएं रुक चुकी हैं. इलाके के 40 फीसदी नमूनों में नाइट्रेट की अधिकता पाई गई है, लेकिन घबराने की कोई जरूरत नहीं है. कलेक्टर ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में बाल उगने की रिपोर्ट मिली है और अन्य में बाल गिरना रुक चुका है.
वाडेगांव (नांदुरा तालुका) में 7 केस मामले सामने आए, जिसमें 3 से 45 साल तक के लोग प्रभावित हुए. वहीं शेगांव तालुका के बोंडगांव, कलवाड़, काथोरा, मचिंद्रखेड, हिंगना, घुल, तरोडा खुर्द, पाहरजिरा, मटर्गांव और निम्बी गांव भी प्रभावित हुए हैं.

आपको बताते चलें कि बाल झड़ने की घटनाओं के चलते लोगों का सामाजिक बहिष्कार होने की खबरें आई है. बोंडगांव निवासी एक शख्स ने कहा मुझे शादी के प्रस्ताव रद्द होने की खबरें मिली हैं. एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उन्हें सामाजिक आयोजनों से बाहर किया गया है. हालांकि ज़ी न्यूज़ सामाजिक बहिष्कार की खबरों की पुष्टि नहीं करता है.

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राजौरी पहुंची केंद्र की टीम

वहीं राजौरी में लोग अनहोनी की आशंका से सहमे हुए हैं. उन्हें लगता है कि कहीं रहस्यमयी बीमारी पड़ोसियों को निगलने के बाद उन्हें अपनी चपेट में तो नहीं ले लेगी. प्रशासन ने लोगों से पैनिक न करने और सतर्क रहने को कहा है. केंद्र सरकार की भेजी गई टीमें और स्थानीय जिला अस्पताल प्रसासन का अमला लगातार लोगों के संपर्क में है. टीम में शामिल 16 एक्सपर्ट्स राजौरी में कैंप कर रहे हैं. बधाल गांव का दौरा हो चुका है. फिलहाल ये टीमें किसी नतीजे पर नहीं पहुंची हैं. मामले की गंभीरता देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) की टीम ने भी राजौरी का दौरा किया है. वो टीम पीड़ित परिवारों से मिलकर हालात समझने की कोशिश कर रही है. सभी टीमों का फोकस मौतों के रोकने पर है. 

मौत से पहले लोगों के साथ क्या हुआ?

राजौरी और श्रीनगर में मौजूद डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों ने मौत से पहले बुखार, दर्द, मतली और चेतना में कमी की शिकायत की थी. ये लक्षण अस्पताल में भर्ती होने के कुछ ही दिनों के भीतर गंभीर रूप से बिगड़ते चले गए.

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