Hijab Controversy: SG तुषार मेहता ने कहा कि साल 2021 से पहले कोई हिजाब नहीं पहन रहा था, ना ही इस पर कोई सवाल उठा था. 29 मार्च 2013 को स्कूलों ने यूनिफार्म को लेकर प्रस्ताव भी पास किया. 2021 में छात्राओं ने दाखिले के वक़्त सभी नियमों को मानने को लेकर अंडरटेकिंग भी दी थी.
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कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा है कि हिज़ाब विवाद के पीछे पीएफआई (PFI) की सोची समझी साजिश है. PFI ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर छात्रों को हिजाब पहनने के लिए उकसाया. छात्राएं वही कह रही है,जो उन्हें समझाया गया है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह दलील कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान रखी.
'2021 से पहले हिजाब को लेकर सवाल नहीं था'
सॉलिसीटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि साल 2021 से पहले कोई हिजाब नहीं पहन रहा था, ना ही इस पर कोई सवाल उठा था. 29 मार्च 2013 को स्कूलों ने यूनिफार्म को लेकर प्रस्ताव भी पास किया. 2021 में छात्राओं ने दाखिले के वक़्त सभी नियमों को मानने को लेकर अंडरटेकिंग भी दी थी. लेकिन साल 2022 में PFI ने सोशल मीडिया पर हिजाब पहनने के लिए अभियान शुरू कर दिया. सोशल मीडिया पर इससे जुड़े मैसेज फैलाए गए. यह कोई अचानक नहीं हुआ कि एकेडमिक सेशन के बीच छात्राएं हिजाब पहनने की जिद करने लगीं. ये सोची समझी साजिश थी और बच्चे उसी हिसाब से काम कर रहे थे, जैसा उनको समझाया गया था. कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी इसकी जांच करने को कहा था. सरकार जांच कर रही है और इसको लेकर चार्जशीट भी दायर हो चुकी है.
‘सिर्फ हिजाब ही नहीं, भगवा गमछे पर भी बैन’
SG तुषार मेहता ने कहा कि हिजाब समर्थक पक्ष की ओर से दलील दी जा रही है कि सरकार अल्पसंख्यकों का गला घोटने की कोशिश कर रही है, ये सब बेबुनियाद बाते हैं. सरकार का आदेश यूनिफॉर्म के लिए है. सब धर्मों पर ये नियम लागू होता है. इस आदेश के मुताबिक सिर्फ हिजाब पर ही बैन नहीं है, भगवा गमछे पर भी बैन है. हंगामे के बीच क़ानून व्यवस्था बनी रहे, इसको लेकर सरकार ने सर्कुलर जारी किया, तब से स्कूल के बाहर प्रदर्शन हो रहे थे. कोई हिज़ाब तो कोई भगवा शॉल पहनने पर अड़ा था.
‘स्कूलों में धार्मिक पोशाक की इजाज़त नहीं’
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर यूनिफॉर्म तय नहीं होता तो क्या ऐसी सूरत में भी हिजाब पर बैन होता? इसका जवाब देते हुए SG तुषार मेहता ने कहा कि ऐसी स्थिति में जब मैनेजमेंट की ओर से कोई यूनिफॉर्म तय नहीं है, तब भी नियमों के मुताबिक छात्राओं को वो ड्रेस पहननी होगी, जो समानता को बढ़ावा दे, उनकी ड्रेस किसी धर्म विशेष की पहचान से जुड़ी न हो. ना हिजाब की इजाज़त होगी, ना किसी भगवा गमछे की.
'सिखों की पगड़ी से हिजाब की तुलना ग़लत'
हिजाब समर्थक वकीलों ने अपनी दलीलों के समर्थन में सिखों की पगड़ी का बार-बार हवाला दिया था. इसका भी जबाब कर्नाटक सरकार की ओर SG तुषार मेहता ने दिया. तुषार मेहता ने कहा कि सिखों के केस में पगड़ी, कड़ा उनकी अनिवार्य धार्मिक परंपरा है. आप दुनियां के किसी भी कोने में इनके बिना किसी सिख की कल्पना नहीं कर सकते. लेकिन हिजाब कोई अनिवार्य धार्मिक परंपरा नहीं है.
'हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य धार्मिक परंपरा नहीं'
SG तुषार मेहता ने कहा याचिकाकर्ता ये साबित नहीं कर पाए कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक परंपरा है या हिजाब न पहनने से कोई इस्लाम का अनुयायी हो नहीं रह जाएगा. कर्नाटक हाईकोर्ट का भी यह मानना था कि कोई परंपरा उस धर्म की अनिवार्य धार्मिक परंपरा साबित हो, इसके लिए ज़रूरी है कि वो उस धर्म में शुरूआत से हो, ये धर्म के साथ-साथ हमेशा कायम रहनी चाहिए, लेकिन हिजाब के केस में ऐसा नहीं है.
‘ईरान में हिजाब के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई’
SG तुषार मेहता ने ईरान में हिजाब के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि कई इस्लामिक देश में महिलाएं हिजाब के खिलाफ लड़ रही हैं. मसलन ईरान में महिलाओं का यह संघर्ष चल रहा है. इसलिए मेरा मानना है हिजाब कोई इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक परंपरा नहीं है. सिर्फ कुरान में उसका जिक्र मात्र हो जाने से वो अनिवार्य धार्मिक परंपरा नहीं हो जाती.
'कोर्ट के सवाल-SG के जवाब'
सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने अमेरिका के फैसले का हवाला दिया कि कैसे उस फैसले के मुताबिक सैन्य बलों में बाल बढ़ाने पर रोक लगाई. इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि हमारे यहां भी वायु सेना के मुस्लिम अधिकारी को दाढ़ी रखने की इजाज़त न देने का फैसला दिया गया है. लेकिन आर्म्ड फोर्सज में जो अनुशासन है, उसकी उम्मीद स्कूली बच्चों से तो नहीं की जा सकती.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने SG तुषार मेहता से यह भी पूछा कि क्या स्कूल यूनिफॉर्म का मतलब ये है कि उसमें कुछ घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता! अगर चश्मा, बेल्ट और ड्रेस से मिलते जुलते मफलर,कैप की इजाजत है तो फिर ड्रेस के रंग वाले हिजाब की इजाजत क्यों नहीं हो सकती?
इस पर तुषार मेहता ने कहा कि हिजाब की तरह ये सब चीजें किसी धर्म विशेष की पहचान से जुड़ी नहीं हैं. ये छात्रों के बीच समानता, एकता में बाधक नहीं हैं. छात्राएं हिजाब कोई स्वास्थ्य कारणों से या ठंड की वजह से नहीं पहन रही हैं. मामले की सुनवाई 21 सितम्बर को जारी रहेगी.
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