Prices of Petrol: बढ़ती कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्री ने तोड़ी चुप्पी, बताई वजह
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Prices of Petrol: बढ़ती कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्री ने तोड़ी चुप्पी, बताई वजह

Petroleum Minister on Prices of Petrol: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्री ने कहा- पीएम मोदी के दायित्व संभालने से पहले हुई लापरवाही. अब SEDIMENTARY BASIN के ज्यादा इस्तेमाल और एथेनॉल की ज्यादा ब्लैंडिंग पर ध्यान दिया जा रहा है. 

फाइल फोटो

Petroleum Minister on rising Prices of petrol and diesel: आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के सूरत में हुए 'Smart Cities Smart Urbanisation' conclave में 'India Smart Cities Awards Contest 2020’ के विजेताओं को अवॉर्ड देने के बाद प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने विस्तार से पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने देश में तेजी से बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल के दामों के लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के कार्यकाल से पहले की सरकार को जिम्मेदार ठहराया. 

इस वजह से बढ़ रहे दाम

प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर किए गए सवाल पर केंद्रीय पेट्रोलियम एवं नैचुरल गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कांग्रेस के साल 2010 में तेल के दामों को De-Regulate करने के फैसले, कोरोना वायरस के कारण किए गए लॉकडाउन और Russia-Ukraine युद्ध की वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ी कीमतों का जिक्र करते हुए कहा, '2010 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब तेल को डी-रेगुलेट कर दिया था. डी-रेगुलेट मतलब जो भी इंटरनेशनल प्राइस होगा पेट्रोल का उस पर कॉस्ट ऑफ रेट, कॉस्ट ऑफ इंश्योरेंस, डीलर का कमीशन फिर एक्सचेंज रेट करके ये सब लगाकर उसका प्राइस होगा. महामारी, लॉकडाउन के कारण इकॉनोमिक एक्टिविटी बिल्कुल कम हो गई थी. उस समय पेट्रोल का दाम काफी गिर गया था. 19 डॉलर प्रति बैरल के करीब चला गया. अब जब इकॉनोमिक एक्टिविटी रिवावइ हुई और यूक्रेन में मिलिट्री एक्शन हो रहा है उसके कारण पेट्रोल का दाम 130 डॉलर पर बैरल भी चला गया था.'

इन देशों के मुकाबले कम बढ़े दाम

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आंकड़ों के जरिए बताया कि भारत में तेल के दामों में बढ़ोतरी अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों के मुकाबले काफी कम रही है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, '1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च 2022 तक बाकी देशों में कितना दाम बढ़ा है और भारत में कितना बढ़ा है, ये इन आंकड़ों में देखिए कि USA में 50.6%, कनाडा में 50.7%, जर्मनी में 50%, UK में 58.9%, फ्रांस में 33%, स्पेन में 58.5%, श्रीलंका में 31.5% और भारत में 16% के करीब बढ़ा है.'

पिछली सरकार की है लापरवाही

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'स्थिति काबू में आने की बात ऐसी है, जब मिलिट्री एक्शन चल रहा हो तब इसमें हम कुछ नहीं सकते हैं, शॉर्ट टर्म में और क्या कर सकते हैं मीडियम टू लांग टर्म में क्या हो सकता है इस पर बात होनी चाहिए. असलियत ये है कि पीएम मोदी के दायित्व संभालने से पहले थोड़ी सी लापरवाही हुई. हमारे 3.5 मिलियन स्कवायर किलोमीटर के Sedimentary Basin का जो एरिया अंडर एक्सपलोरेशन एंड प्रोडक्शन है उसका केवल 7% Explit करते हैं. अभी हम उसको बढ़ाकर 15%, 30% पर ले जा रहे हैं. एथेनॉल जो है, 2014 में एथेनॉल ब्लैंडिंग होती थी सिर्फ 1.4% उसको हम 10% पर ले आए हैं. अब हम उसको 20 प्रतिशत तक ले जाने वाले हैं 2025 तक हालांकि ये टारगेट पहले 2030 तक का था. पीएम ने भी कहा है हमारी आधिकारिक बयान भी है कि लड़ाई बंद हो. लेकिन ये सिर्फ एक स्टेटमेंट हो सकती है. OPEC से भी हम कहते रहते हैं कि आप Oil Availability बढ़ाइए.'

कांग्रेस ने कीमत कम रखने के लिए Oil Bond Float किए

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने बताया कि 'इस समय स्थिति क्या है गैस के जो हमारे बैंचमार्क हैं. अप्रैल 2020 से 286% बढ़ा है. 2022 में 38% बढ़ा है. हमारी जो OMCs ने कीमत बढ़ाई है वो सिर्फ 5% बढ़ाई है. हम लोग अपनी तरफ से जो Mesures हो सकते हैं वो लेंगे. मैं ये नहीं कह रहा कि कांग्रेस सरकार ने 2010 में दामों को डी-रेगुलेट करने का जो फैसला लिया था वो सही था या गलत. एक तरीके से आप इसमें एडिमिनिस्टर प्राइसिंग कर भी नहीं सकते. इसिलए हमने कभी उसकी निंदा नहीं की. उन्होंने अपने समय दाम को रीजनेबल रखने के लिए Oil Bond Float किए थे. जहां तक मुझे याद है 1 लाख 40 हजार करोड़ रूपए के Oil Bond Float किए थे. जिसके लिए हमें आज 3 लाख 20 हजार करोड़ रूपए वापस देना पड़ रहा है.'

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सस्ता तेल आएगा तो जनता को मिलेगा फायदा

प्रेस कॉफ्रेंस में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी से पूछा गया कि रूस से जो सस्ता तेल देने का ऑफर मिला है उसका फायदा जनता तक क्यों नहीं पहुंच रहा? इसके जवाब में उन्होंने बताया, 'फायदा कितना हो रहा है. इसको समझने की कोशिश कीजिए. भारत कहां पर है. हमारी जो बाकी खरीद है वो कहां से है. हम अपनी खपत का 85% इंपोर्ट करते हैं. हमारे जो नजदीकी देश हैं गल्फ कंट्रीज हैं वहां से तेल आयात करते हैं. रशिया हमसे काफी दूर है. 31 मार्च 2022 तक हमारा टोटल एनर्जी इंपोर्ट्स तेल का वो रशिया से जो था वो सिर्फ 0.2% प्रतिशत था. रशिया ने ऑफर दिया है उस पर बात होगी. लेकिन उसके लिए हमें फ्रेट देखना होगा, डिलिवरी कहां होगी, उसका क्या इंश्योरेंस है. इस चीज पर हमारी कंपनी बात कर रही हैं. तेल आएगा, सस्ता आएगा तो वो जनता तक जरूर पहुंचेगा. पहले शुरू तो हो. OPEC के जो प्राइस हैं जहां से अभी तेल आ रहा है, उसमें एशियन प्रीमियम भी बढ़ गया है, 10 डॉलर हो गया है. तो ये International Situation की बात है.'

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