Siddaramaiah: मेरी कुर्सी खाली नहीं, फिर भी अटकलें क्यों? सीएम सिद्धरमैया ने पत्रकारों को दिया करारा जवाब
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Siddaramaiah: मेरी कुर्सी खाली नहीं, फिर भी अटकलें क्यों? सीएम सिद्धरमैया ने पत्रकारों को दिया करारा जवाब

Siddaramaiah: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने रविवार को पत्रकारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी कुर्सी खाली नहीं है, लेकिन फिर भी सत्ता परिवर्तन की अफवाहें फैलाई जा रही हैं.

Siddaramaiah: मेरी कुर्सी खाली नहीं, फिर भी अटकलें क्यों? सीएम सिद्धरमैया ने पत्रकारों को दिया करारा जवाब

Siddaramaiah: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने रविवार को पत्रकारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी कुर्सी खाली नहीं है, लेकिन फिर भी सत्ता परिवर्तन की अफवाहें फैलाई जा रही हैं. उन्होंने "अटकलबाजी वाली पत्रकारिता" पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मीडिया को खबरें लिखने से पहले सच्चाई की पड़ताल करनी चाहिए. सिद्धरमैया ने प्रेस क्लब ऑफ बेंगलुरु (पीसीबी) अवॉर्ड-2024 के मंच से यह बात कही.

पत्रकारिता पर सिद्धरमैया का कटाक्ष

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि कुछ पत्रकार बिना तथ्य जांचे धारणाओं के आधार पर खबरें बना रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच कोई मतभेद नहीं है, लेकिन मीडिया में लगातार यह खबरें आ रही हैं कि राज्य में सत्ता परिवर्तन होने वाला है. उन्होंने कहा, "मेरी कुर्सी खाली नहीं है, लेकिन फिर भी खबरें बनाई जा रही हैं कि मुख्यमंत्री बदले जाएंगे."

रात्रिभोज बैठकों पर उठे सवाल

सिद्धरमैया ने मंत्रियों द्वारा आयोजित रात्रिभोज बैठकों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ऐसी बैठकों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि सत्ता परिवर्तन की चर्चा हो रही है. जबकि, वास्तविकता में इन बैठकों में अन्य विषयों पर चर्चा होती है. उन्होंने कहा, "अगर लोग रात के खाने के लिए एकत्र होते हैं, तो यह खबर बना दी जाती है कि वहां सत्ता परिवर्तन की चर्चा हुई होगी."

अटकलों पर आधारित पत्रकारिता को बताया खतरनाक

सिद्धरमैया ने कहा कि अटकलों पर आधारित पत्रकारिता एक खतरनाक प्रवृत्ति बनती जा रही है. उन्होंने पत्रकारों से अपील की कि वे खबरें लिखने से पहले सत्यापन करें और सच्चाई के करीब रहने की कोशिश करें. मुख्यमंत्री ने कहा, "आपकी खबरें समाज को प्रभावित करती हैं. इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपकी रिपोर्टिंग तथ्यों पर आधारित हो."

स्वस्थ आलोचना की जरूरत पर जोर

सिद्धरमैया ने स्वस्थ आलोचना को जरूरी बताते हुए कहा कि यह लोगों को सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करती है. उन्होंने कहा, "आलोचना होनी चाहिए, लेकिन वह तथ्यात्मक हो. इससे सरकार और समाज दोनों को सुधारने का मौका मिलता है."

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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