भारतीय नौसेना का एक बाहुबली फिर से समंदर की लहरों पर राज करने के लिये लौट रहा है. इस विध्वंसक युद्धपोत का नाम है INS नीलगिरि. आज से 53 साल पहले पहली बार ये युद्धपोत नौसेना में शामिल हुआ ये युद्धपोत साल 1996 में रिटायर हो गया.
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INS Nilgiri: भारतीय नौसेना का एक बाहुबली फिर से समंदर की लहरों पर राज करने के लिये लौट रहा है. इस विध्वंसक युद्धपोत का नाम है INS नीलगिरि. आज से 53 साल पहले पहली बार ये युद्धपोत नौसेना में शामिल हुआ ये युद्धपोत साल 1996 में रिटायर हो गया. अब करीब तीस साल बाद 2025 में फिर से इसी नाम के साथ एक नया बाहुबली भारत की समुद्री सीमा की रखवाली करने और दुश्मन को धूल चटाने के लिए आने वाला है. आज से ठीक तीन दिन बाद 15 जनवरी को INS नीलगिरि का फिर से नौसेना में कमीशन होने जा रहा है. आपको बताते चलें कि इस खबर के आते ही भारत को दो दुश्मन पड़ोसी घबराए हुए हैं. रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक ये युद्धपोत भारत के सबसे आधुनिक युद्धपोतों में से एक होगा और इसकी संघारक क्षमता के आगे कोई भी दुश्मन टिक नहीं पाएगा.
फ्रंटलाइन वॉरशिप और न्यूक्लियर सबमरीन का करिश्मा
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फ्रंटलाइन वारशिप के चर्चे पड़ोसी देशों में हो रहे हैं. आईएनएस नीलगिरी के भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने से भारत की युद्ध क्षमता में बड़ा इजाफा होगा. प्रधानमंत्री मोदी इसे नौसेना को सौंपेंगे. आइए बताते हैं कि इस वारशिप की खासियत यानी फीचर्स.
माना जा रहा है कि इसकी तैनाती से चीन की संदिग्ध गतिविधियों का मुकाबला करने में आसानी होगी. आपको बताते चलें कि चीन, हिंद महासागर में लगातार नौसैनिक गतिविधियां बढ़ा रहा है. वैसे भी नंबर गेम के हिसाब से, चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है. एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक चीन की नेवी के पास करीब 370 से ज्यादा वारशिप और सबमरीन हैं. इसलिए भारत तेज रफ्तार से समंदर में चीन को काउंटर कर रहा है.
INS नीलगिरि की ताकत की बात करें तो यह 6670 टन का विशालकाय विध्वंसक युद्धपोत है. जिसका निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में हुआ है, ये प्वाइंट भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और रक्षा उत्पादन में बढ़ती ताकत का माइल स्टोन है.
INS नीलगिरि प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाए जा रहे 7 फ्रिगेट में से पहला है, जिसमें महत्वपूर्ण स्टील्थ विशेषताएं हैं, जिससे यह दुश्मन के रडार से छिप सकता है. इसमें दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलें तैनात हो सकती हैं इन दोनों वजहों से चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश अभी से परेशान हैं.