Lal Krishna Advani Jinnah: पाकिस्तान के कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ करना लालकृष्ण आडवाणी को महंगा पड़ गया था और उन्हें बीजेपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ गया था. 'किस्सा कुर्सी का' में आज इसके बारे में जानते हैं.
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Lal Krishna Advani Pakistan Visit: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) को लेकर सरगर्मी तेज है. नेताओं की बयानबाजी भी जोरों पर है. पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर जमकर हमला बोल रहे हैं. इस बीच, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) और जसवंत सिंह पाकिस्तान गए थे और वहां जिन्ना की तारीफ की थी. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा कभी नहीं किया. जयराम नरेश के इस बयान के बाद लालकृष्ण आडवाणी की पाकिस्तान यात्रा और जिन्ना की तारीफ वाले बयान की चर्चा फिर से शरू हो गई है. आइए जानते हैं कि लालकृष्ण आडवाणी की पाकिस्तान यात्रा की पूरी कहानी क्या है.
जब जिन्ना की तारीफ कर बैठे लालकृष्ण आडवाणी
दरअसल, 2005 में जून का महीना लालकृष्ण आडवाणी के लिए खास नहीं रहा था. जून के महीने में लालकृष्ण आडवाणी पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे. वहां, लालकृष्ण आडवाणी, पाकिस्तान के कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना की मजार पर गए. वहां, लालकृष्ण आडवाणी ने जिन्ना को श्रद्धाजंलि दी थी और फिर भाषण में जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष बता दिया था. लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि जिन्ना एक अलग शख्सियत थे. उन्होंने इतिहास बनाया था.
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लालकृष्ण आडवाणी को देना पड़ गया था इस्तीफा
जिन्ना की तारीफ के बाद 6 जून को लालकृष्ण आडवाणी जब पाकिस्तान वापस दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा. लालकृष्ण आडवाणी के विरोध में 'जिन्ना समर्थक वापस जाओ' के नारे लगाए गए. कहते हैं कि पार्टी में भी इसका विरोध हुआ और 7 जून को लालकृष्ण आडवाणी ने बीजेपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. उसी शाम बीजेपी के कई नेताओं ने लालकृष्ण आडवाणी से इस्तीफा वापस लेने की मांग की. लेकिन लालकृष्ण आडवाणी फैसला कर चुके थे.
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2 साल बाद वापस बने बीजेपी के अध्यक्ष
हालांकि, 2 साल बाद लालकृष्ण आडवाणी फिर से बीजेपी के अध्यक्ष बने और बाद में 2009 में लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री कैंडिडेट के रूप में भी पार्टी ने आगे किया. लेकिन बीजेपी को 2004 के बाद 2009 में भी कामयाबी नहीं मिली. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार हुई. और लालकृष्ण आडवाणी देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए.