DNA analysis: चीन-ताइवान विवाद से भारत के लिए क्या संभावनाएं? ताइवान को पसंद मेक इन इंडिया
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DNA analysis: चीन-ताइवान विवाद से भारत के लिए क्या संभावनाएं? ताइवान को पसंद मेक इन इंडिया

China-Taiwan tension: भारत के ताइवान से रिश्तों में अब तक बहुत ज्यादा नजदीकी नहीं रही है. लेकिन बीते कुछ वर्षों में विशेष तौर पर साल 2016 के बाद दोनों देशों के संबंधों में नजदीकी आई है. साल 2020 में गलवान की घटना के बाद चीन से जहां भारत के संबंध बिगड़े हैं तो वहीं ताइवान से और बेहतर हुए हैं.

DNA analysis: चीन-ताइवान विवाद से भारत के लिए क्या संभावनाएं? ताइवान को पसंद मेक इन इंडिया

India-Taiwan relation: क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो, उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो. ये पंक्तियां आजकल चीन को लेकर सही साबित हो रही हैं. दरअसल चीन लगातार ताइवान और अमेरिका को धमका रहा है लेकिन ना तो ताइवान पर कोई असर हो रहा है और ना ही अमेरिका पर. शायद ताइवान और अमेरिका दोनों देशों को ये समझ आ चुका है कि चीन केवल धमकी ही दे सकता है. चीन-ताइवान के बीच चल रहे विवाद से भारत के लिए क्या संभावनाएं हैं, इस सवाल का जवाब इस रिपोर्ट में खोजने की कोशिश करेंगे. चीन-ताइवान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है. चीन के विरोध के बावजूद रविवार को अमेरिकी राज्य इंडियाना के गवर्नर इरिक होलकांब ताइवान पहुंचे और उन्होंने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन से मुलाकात की है.

चीन की हर धमकी रही बेअसर

ताइवान में अमेरिकी प्रतिनिधियों के आने का चीन लगातार विरोध कर रहा है. इसके बावजूद 20 दिनों में अमेरिका से अलग-अलग 3 प्रतिनिधिमंडल ताइवान पहुंचे. सबसे पहले 2 अगस्त को अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी पहुंचीं. फिर अमेरिका के सांसद एड मार्के (Ed Markey) के नेतृत्व में पांच अमेरिकी सांसदों का एक समूह ताइवान पहुंचा. अब अमेरिकी राज्य इंडियाना के गर्वनर इरिक होलकांब ताइवान पहुंचे हैं. आज जापान का भी एक प्रतिनिधमंडल ताइवान पहुंचा. हालांकि चीन लगातार युद्धाभ्यास के जरिए ताइवान को धमका रहा है. दरअसल चीन हमेशा से ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है और अमेरिका, जापान जैसे देश ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं.

भारत भी चीन की वन चाइना पॉलिसी को समर्थन देता रहा है, इसलिये भारत के ताइवान से रिश्तों में अब तक बहुत ज्यादा नजदीकी नहीं रही है. लेकिन बीते कुछ वर्षों में विशेष तौर पर साल 2016 के बाद दोनों देशों के संबंधों में नजदीकी आई है. साल 2020 में गलवान की घटना के बाद चीन से जहां भारत के संबंध बिगड़े हैं तो वहीं ताइवान से और बेहतर हुए हैं.

ताइवन के साथ पनपते भारत के रिश्ते

ताइवान आज भारत में ज्यादा से ज्यादा निवेश करना चाहता है. ताइवान की कंपनियों का पहले ही चेन्नई और पुणे में निवेश है. ताइवान की पहचान सेमीकंडक्टर के लिए है. लेकिन ताइवान की ड्राइवरलेस Electric Vehicle Bus में काफी चर्चित है. ताइवान में बनी ड्राइवरलेस बस ताइवान के अलावा थाइलैंड में चल रही है. इसलिए आज हम आपको ताइवान से ड्राइवरलेस Electric Vehicle Bus के बारे में बताना चाहते हैं जिसे बनाने वाली कंपनी अब Make in India के साथ जुड़कर इसे आगे बढ़ाना चाहती है.

भारत-ताइवान के रिश्ते लगातार और बेहतर हो रहे हैं. 2020 में भारत और ताइवान के बीच 45 हजार 600 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था. साल 2021 में ये बढ़कर 56 हजार करोड़ रुपये हो गया. यानी केवल 1 साल में दोनों देशों के बीच 23 प्रतिशत कारोबार बढ़ा. दरअसल 2018 में भारत-ताइवान में निवेश पर द्विपक्षीय करार हुआ था और उसके बाद से निवेश भी बढ़ा और कारोबार भी. ऐसे में चीन और ताइवान के विवाद के बीच निवेश के लिए भारत अब ताइवान का सबसे पसंदीदा देश बन गया है.

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