Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव में कम हुई सांसदों के वोट की कीमत, जानें क्या है इसकी वजह
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Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव में कम हुई सांसदों के वोट की कीमत, जानें क्या है इसकी वजह

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर सहित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य मतदान करते हैं. मनोनीत सांसद और विधायक सहित विधान परिषद के सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए वोट नहीं दे सकते हैं.

Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव में कम हुई सांसदों के वोट की कीमत, जानें क्या है इसकी वजह

Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव 2022 में प्रत्येक सांसद के मत का मूल्य (वैल्यू) 708 से घटकर 700 रह गया है, जिसका कारण जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का नहीं होना है.राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के लिए निर्वाचित सदस्यों की संख्या पर आधारित होता है.

मुख्य चुनाव आयुक्त ने क्या कहा?

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा के अभाव में प्रत्येक सांसद के मत मूल्य के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि प्रत्येक सांसद के मत का मूल्य 700 होगा. उन्होंने कहा, ‘‘ पहले यह 708 था. यह अब बदल गया है. एक समय यह 702 भी था. ’’

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर सहित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य मतदान करते हैं. मनोनीत सांसद और विधायक सहित विधान परिषद के सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए वोट नहीं दे सकते हैं.

अगस्त 2019 में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 83 विधानसभा सीटें थीं. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख पर सीधे केंद्र का शासन होगा. 

सरकार ने घोषणा की थी कि विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन पूरा होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा. पिछले महीने, जम्मू-कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग ने अपने अंतिम आदेश को अधिसूचित किया जिसमें उसने नवगठित केंद्रशासित प्रदेश के लिए 90 सदस्यीय विधानसभा की सिफारिश की है. लेकिन इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा सदस्यों के निर्वाचन में कुछ समय लग सकता है.

यह पहली बार नहीं होगा कि किसी राज्य विधानसभा के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं ले पाएंगे. वर्ष 1974 में 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा को नवनिर्माण आंदोलन के बाद मार्च में भंग कर दिया गया था. राष्ट्रपति चुनाव से पहले गुजरात विधानसभा का गठन नहीं किया जा सका था. इस चुनाव में फखरुद्दीन अली अहमद निर्वाचित हुए थे.

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वर्ष 1997 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से संसद सदस्य के मत का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है. वर्ष 1952 में हुए पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संसद सदस्य के मत का मूल्य 494 था. वर्ष 1957 के राष्ट्रपति चुनाव में यह मामूली रूप से बढ़कर 496 हो गया था. इसके बाद 493 (1962) और 576 (1967 एवं 1969 में) रहा. 

तीन मई, 1969 को राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के कारण वर्ष 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था. वर्ष 1974 के राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य 723 था. यह वर्ष 1977 से 1992 तक के राष्ट्रपति चुनावों के लिए इसे 702 निर्धारित किया गया.

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