Muslim Woman Maintenance Case: दूसरी शादी हो गई तो क्या? तलाक के बाद मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देना जरूरी
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Muslim Woman Maintenance Case: दूसरी शादी हो गई तो क्या? तलाक के बाद मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देना जरूरी

Divorced Muslim Woman Maintenance Verdict: मुस्लिम महिला को तलाक के बाद मिलने वाले गुजारा भत्ता के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर मुस्लिम महिला की दूसरी शादी हो गई है तो भी उसके पहले पति को मेंटेनेंस देना होगा.

Muslim Woman Maintenance Case: दूसरी शादी हो गई तो क्या? तलाक के बाद मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देना जरूरी

Maintenance For Divorced Muslim Woman: बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले साफ हो गया है कि मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने से पति नहीं बच सकता है. भले ही महिला की दूसरी शादी हो गई हो. हां, मुंबई के एक केस में हाईकोर्ट ने यही फैसला सुनाया है और शख्स को आदेश दिया है कि वह अपनी पूर्व पत्नी को 9 लाख रुपये का गुजारा भत्ता दे. मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन डिवोर्स) एक्ट (MWPA), 1986 में इसके बारे में बताया गया है. धारा 3 (1) (a) के तहत पति-पत्नी का तलाक ही गुजारा भत्ता के क्लेम के लिए पर्याप्त है. ये तलाक वाले दिन ही से साफ हो जाता है.

दूसरी शादी हो गई फिर भी देना होगा मेंटेनेंस

द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में एक पति ने कोर्ट के दो ऑर्डर के बाद भी मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता का पैसा नहीं दिया था. पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पति से मुस्लिम महिला को 4.30 लाख गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. इसे पति ने सेशन कोर्ट में चैलेंज किया था. फिर सेशन कोर्ट में अपने ऑर्डर में गुजारा भत्ता को बढ़ा दिया था और पति से 9 लाख रुपये गुजारा भत्ता देने को कहा था. हालांकि, पति नहीं माना और इस केस को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गया.

क्या है ये पूरा मामला?

बता दें कि फरवरी, 2005 में दोनों की शादी हुई थी. फिर दिसंबर, 2005 में मुस्लिम महिला को एक बेटी हुई. फिर इसके बाद पति कमाई के लिए विदेश चला गया. और बाद में जून, 2007 में मुस्लिम महिला अपनी बेटी के साथ मायके चली गई और वहां रहने लगी. फिर 2008 में पति ने रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए उसे तलाक का संदेशा भेज दिया.

मजिस्ट्रेट कोर्ट से पति को लगा था झटका?

इसके बाद महिला ने कोर्ट का रुख किया और फिर अगस्त, 2014 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया और पति को आदेश दिया कि वह गुजारा भत्ता के रूप में मुस्लिम महिला को 4 लाख 30 हजार रुपये दे. लेकिन पति नहीं माना और उसने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को सेशन कोर्ट में चैलेंज किया.

दूसरी शादी का गुजारा भत्ता पर असर नहीं

3 साल बाद मई, 2017 में सेशन कोर्ट ने मुस्लिम महिला के पक्ष में ही फैसला सुनाया. और पति को मेंटेनेंस देने का आदेश दिया. सेशन कोर्ट ने अपने फैसले में मेंटेनेंस को बढ़ाकर 4.3 लाख से 9 लाख कर दिया. फिर सेशन कोर्ट के फैसले शख्स ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी. पति ने दलील दी कि उसकी पूर्व पत्नी की तो दूसरी शादी हो चुकी है तो अब कैसा मेंटेनेंस? लेकिन यहां भी फैसला मुस्लिम महिला के पक्ष में ही सुनाया गया और आदेश में कहा गया कि उसे मेंटेनेंस देना होगा.

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