नहीं होती अंगदान की कोई उम्र...मरने के बाद भी कई लोगों को जिंदगी देंगी 76 साल की बुजुर्ग
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नहीं होती अंगदान की कोई उम्र...मरने के बाद भी कई लोगों को जिंदगी देंगी 76 साल की बुजुर्ग

Delhi Aiims Organ Donation: 76 वर्ष की प्रेमवती दिल्ली के संगम विहार की रहने वाली हैं. 3 फरवरी को वो सीढ़ियों से गिर गई. मौत के बाद प्रेमवती के बेटे ने मां के ऑर्गन्स को डोनेट करने का फैसला लिया. प्रेमवती के ऑर्गन (लिवर, दोनों किडनी और आंखों) को डोनेट कर दिया गया.

नहीं होती अंगदान की कोई उम्र...मरने के बाद भी कई लोगों को जिंदगी देंगी 76 साल की बुजुर्ग

Organ Donation: दिल्ली की रहने वाली 76 वर्षीय प्रेमवती ने मौत के बाद अंगदान कर कई लोगों को नई जिंदगी की उम्मीद दी. अंगदान को लेकर हमारे देश के लोगों के मन में अलग-अलग धारणाएं हैं. लेकिन अब इस विषय पर लोग जागरूक हो रहे हैं और बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. देश में जरूरत के हिसाब से अंगदान की गति अभी धीमी है. इस दिशा में लोगों को और ज्यादा अवेयर होने की जरूरत है.

प्रेमवती ने अंगदान कर न लोगों को नई जिंदगी की उम्मीद तो दी ही, साथ ही समाज को सीख भी दी है. संगम विहार की प्रेमवती 3 फरवरी को सीढ़ियों से गिर गईं थीं. उन्हें एम्स ट्रॉमा सेंटर में एडमिट कराया गया था. डॉक्टरों ने प्रेमवती को ब्रेन डेड घोषित कर दिया.

जब डॉक्टरों ने परिवार को अंगदान के बारे में समझाया तो प्रेमवती के बेटे ने मां के ऑर्गन्स को डोनेट करने का फैसला लिया. मौत के बाद प्रेमवती के ऑर्गन (लिवर, दोनों किडनी और आंखों) को डोनेट कर दिया गया. लिवर और किडनी को दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में रखा गया है. आंखों को एम्स के नेत्र बैंक में रखा गया है.

भारत में धीरे-धीरे ऑर्गन डोनेट करने वालों की संख्या बढ़ रही है. केंद्र सरकार के आयुष्मान भव योजना के तहत लोगों को अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. पिछले 6 महीनों में 1.5 लाख लोगों ने इस योजना के तहत अंगदान के लिए रजिस्टर किया है. हालांकि अभी भी जरूरत के हिसाब से ऑर्गन डोनेट करने वालों की संख्या बहुत कम है. इसका सबसे बड़ा कारण धार्मिक सोच है. मौत के बाद धर्म से जुड़ी कुछ मान्यताओं की वजह से लोग अंगदान से कतराते हैं.

ऑर्गन न मिलने से रोज होती है 20 मरीजों की मौत-

आंकड़ों की मानें तो भारत में 3 लाख मरीज अंगदान की वेटिंग लिस्ट में हैं. रोज औसतन 20 मरीजों की मौत ऑर्गन(Organ) न मिलने की वजह से होती है. हैरान करने वाली बात ये है कि हर 10 मिनट में वेटिंग लिस्ट में एक मरीज का नाम जुड़ता जा रहा है. भारत में ऑर्गन ट्रांसप्लांट(Organ Transplant) की रफ्तार काफी धीमी है. आंकड़े बताते हैं कि 2013 की तुलना में 2022 में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की संख्या बढ़ी है.

किडनी ट्रांसप्लांट(Kidney Transplant)

-2022 में जीवित व्यक्ति से लेकर 9834 किडनी ट्रांसप्लांट किए गए. 2013 में ये संख्या 3495 थी.

-2022 में मृत व्यक्ति के डोनेशन से 1589 किडनी ट्रांसप्लांट हुए, जबकि 2013 में केवल 542 थी.

लिवर ट्रांसप्लांट (Liver Transplant)

-2022 में जीवित व्यक्ति के लिवर से 2957 लिवर ट्रांसप्लांट किए गए. जबकि 2013 में ये संख्या 658 थी.    

-2022 में मृत व्यक्ति के डोनेशन से 761 लिवर ट्रांसप्लांट हुए. जबकि 2013 में ये संख्या 240 थी.

हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant)

-2022 में कुल 250 हार्ट ट्रांसप्लांट किए गए. 2013 में ये संख्या 30 थी.

लंग ट्रांसप्लांट (Lung Transplant)

2022 में कुल 138 लंग ट्रांसप्लांट किए गए. 2013 में ये संख्या 23 थी.

पैंक्रियास ट्रांसप्लांट (Pancreas Transplant)

2022 में कुल 24 पैंक्रियास ट्रांसप्लांट किए गए. 2013 में ये संख्या 0 थी.

भारत में 2022 में मृत लोगों के ऑर्गन से कुल 2765 ट्रांसप्लांट संभव हो पाए थे. ये संख्या 2013 में मात्र 837 थी. जीवित लोगों से ट्रांसप्लांट की बात की जाए तो पहले से संख्या में बढ़ोतरी आई है. 2022 में कुल 12791 ट्रांसप्लांट हो सके थे. ये संख्या 2013 में 3153 थी. वैसे तो ये बड़ा बदलाव है. लेकिन ट्रांसप्लांट के वेटिंग लिस्ट में इंतजार कर रहे लोगों की तुलना में ये संख्या बहुत कम है.

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