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Brain dead child donate organs: राजधानी दिल्ली के एम्स अस्पताल से एक ऐसी खबर आई है जो आपको खुश भी करती है और थोड़ा उदास भी कर जाती है. एम्स अस्पताल में 16 महीने के एक बच्चे ने दम तोड़ दिया लेकिन उसके बाद उसके माता-पिता ने अपने 16 महीने के मासूम के सभी अंगों को दान करने का फैसला लिया. मासूम के अंगों ने दो लोगों को नया जीवन भी दे दिया है और अब हम आपको विस्तार से बताते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और कैसे एक मासूम ने अपना जीवन गंवाकर भी दो लोगों को जीवनदान देने का काम किया है. हालांकि यह प्रकिया काफी जटिल होती है क्योंकि ऑर्गन को सही टाइम पर बॉडी से निकालना और वक्त रहते उसे नई बॉडी में ट्रांसप्लाट करने में कड़ी मेहनत लगती है. एक पल की देरी से भी पूरी कवायद बेकार हो सकती है.
मासूम के सिर में लगी गंभीर चोट
दरअसल 17 अगस्त 2022 को दिल्ली के यमुना पार्क में रहने वाला 16 महीने का रिशांत खेलते-खेलते गिर पड़ा जिससे उसके सिर में तेज चोट लग गई. बच्चे के माता-पिता ने पहले उसे आसपास के प्राइवेट अस्पतालों में दिखाया और फिर सीधे उसे लेकर एम्स के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे. इतने छोटे बच्चे के सिर में गंभीर चोट लगने की वजह से उसकी हालत काफी गंभीर थी. 24 अगस्त को डॉक्टरों ने इस बच्चे को ब्रेन डेड घोषित कर दिया इसके बाद परिवार को समझाया गया कि वह चाहें तो बच्चे के अंग दान कर सकते हैं.
रिशांत के पांच बड़ी बहने हैं उसके पिता एक प्राइवेट नौकरी करते हैं. बहुत मन्नतों के बाद पैदा हुआ रिशांत घर में सभी का लाडला था. लेकिन इससे पहले कि वह ठीक से अपने पैरों पर खड़ा हो पाता वह दुनिया छोड़ कर चला गया. ऐसे में उसके माता-पिता को यह विचार अच्छा लगा कि उनका बच्चा अभी भी किसी को नया जीवन दे सकता है. माता-पिता ने उसके सभी अंगों को दान करने के लिए सहमति दे दी. रिशांत की दो किडनी एम्स में ही एक 5 साल के बच्चे को लगाई गईं और उसका लिवर दिल्ली के मैक्स अस्पताल में एक 6 महीने की बच्ची में ट्रांसप्लांट किया गया है. रिशांत के हॉट वॉल और कॉर्निया को एम्स के ऑर्गन डोनेशन बैंक में सुरक्षित रख लिया गया है.
परिवार ने अंगदान पर दी सहमति
रिशांत के पिता ने रोते हुए यह बताया कि वह सुबह जल्दबाजी में काम के लिए निकल गए थे और अपने बच्चे को गोद में भी नहीं उठा पाए थे. उसी 17 अगस्त की दोपहर को घर से रिशांत को चोट लगने की बुरी खबर उन तक पहुंची. रिशांत के जाने के बाद से घर में गम का माहौल है लेकिन दो लोगों को नया जीवन मिलने से परिवार को थोड़ा सुकून मिला है. एम्स में ऑर्गन डोनेशन की प्रमुख डॉक्टर आरती विज के मुताबिक यह एक मुश्किल प्रक्रिया है और पहले परिवार को ऑर्गन डोनेशन के लिए मनाना, फिर तय समय में दान किए गए अंगों को सही तरह से इस्तेमाल कर लेना इसमें बहुत से डिपार्टमेंट मिलकर काम करते हैं. तब जाकर किसी को नया जीवन मिल पाता है.
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