क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी है, जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है. भारत में इस बीमारी के 5.5 करोड़ मामले दर्ज किए गए हैं.
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क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी है, जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है. भारत में इस बीमारी के 5.5 करोड़ मामले दर्ज किए गए हैं, जो इसे देश में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक बनाते हैं. सीओपीडी का मुख्य कारण लंबे समय तक हानिकारक पदार्थों (जैसे तंबाकू के धुएं, वायु प्रदूषण और इंडस्ट्रियल धूल) के संपर्क में रहना है.
पी.डी. हिंदुजा अस्पताल (मुंबई) में एमएस ईएनटी डॉ. अर्पित शर्मा बताते हैं कि इस बीमारी के आम लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, खांसी और थकावट शामिल हैं. लेकिन यह केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है. सीओपीडी का प्रभाव कान, नाक और गले (ईएनटी) पर भी पड़ता है, जो कम चर्चा का विषय है. यह जटिलता बीमारी के व्यापक प्रभावों को उजागर करती है.
कैसे ईएनटी सीस्टम को प्रभावित करता है सीओपीडी
सुनने की कमी: फेफड़ों की खराब कार्यक्षमता से ऑक्सीजन की कमी होती है, जो कान के अंदरूनी हिस्से (कोक्लिया) को प्रभावित करती है. यह धीरे-धीरे सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है.
टिनिटस और संतुलन की समस्या: ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा के कारण कानों में घंटी बजने और चक्कर आने की समस्या हो सकती है.
बार-बार कान के संक्रमण: बलगम के जमाव और नाक की भीड़ के कारण कान के मध्य भाग में संक्रमण हो सकता है.
साइनस की समस्या: सीओपीडी से जुड़े सूजन नाक और साइनस को प्रभावित कर सकती है, जिससे क्रॉनिक साइनसाइटिस और नाक की भीड़ हो सकती है.
आवाज में बदलाव: लगातार खांसी और गले में जलन के कारण आवाज भारी या थकी हुई महसूस हो सकती है.
कैसे करें मैनेज?
नियमित जांच: ईएनटी एक्सपर्ट और पल्मोनोलॉजिस्ट के पास समय-समय पर जांच कराएं.
लाइफस्टाइल में बदलाव: धूम्रपान से बचें और वायु प्रदूषण से बचने की कोशिश करें.
सही दवाएं: सीओपीडी और ईएनटी लक्षणों को कम करने के लिए दवाओं का सही इस्तेमाल करें.
हाइड्रेशन और ह्यूमिडिफिकेशन: गले और नाक की नमी बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी पिएं और ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें.
जागरूकता जरूरी
सीओपीडी के बढ़ते मामलों और इसके ईएनटी प्रभावों पर ध्यान देना आवश्यक है. समय पर निदान और रोकथाम के प्रयास से इस बीमारी के नुकसानों को कम किया जा सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.