उत्तर प्रदेश के कानपुर में लक्ष्मीपत सिंघानिया इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड कार्डिएक सर्जरी ने दिल के मरीजों के लिए एक इमरजेंसी पैक तैयार किया है जिसे 'राम किट' नाम दिया गया है.
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उत्तर प्रदेश के कानपुर में लक्ष्मीपत सिंघानिया इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड कार्डिएक सर्जरी ने दिल के मरीजों के लिए एक इमरजेंसी पैक तैयार किया है जिसे 'राम किट' नाम दिया गया है. इसका नाम पारंपरिक चिकित्सा कहावत 'हम इलाज करते हैं, वो ठीक करता है' के आधार पर रखा गया है. इसमें राम मंदिर की तस्वीर, जरूरी दवाएं और मेडिकल संपर्क नंबर हैं.
प्रयागराज में स्थित कैंट अस्पताल 13 जनवरी से प्रदेश के पहले अस्पताल के रूप में संगम शहर के 5 हजार घरों को 'राम किट' प्रदान करेगा. कैंट अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. एस के पांडे ने कहा कि राम किट में तीन दवाएं शामिल हैं, जिनमें इकोस्प्रिन (ब्लड थिनर), रोसुवास्टैटिन (कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल) और सोर्बिट्रेट (दिल अच्छी तरह से काम करने के लिए) शामिल हैं, जो दिल की बीमारी से पीड़ित किसी को भी तत्काल राहत प्रदान करने में मददगार हैं. राम किट किसी को भी इमरजेंसी सपोर्ट की आवश्यकता होने पर लाभप्रद होगी और यहां तक कि जान भी बचा सकती है क्योंकि सर्दियों के दौरान दिल की बीमारी और स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते हैं.
इस दवा की खासियत
लक्ष्मीपत सिंघानिया इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड कार्डिएक सर्जरी के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नीरज कुमार ने कहा कि इस किट का नाम भगवान राम के नाम पर रखा गया है क्योंकि हर कोई उनके नाम में विश्वास करता है. उन्होंने कहा कि इस किट में मौजूद दवाओं में खून को पतला करने, नसों की रुकावट खोलने और दिल के मरीजों को तुरंत राहत देने की क्षमता है. जीवन बचाने वाले उपकरण का इससे बेहतर नाम क्या हो सकता है?" डॉ. नीरज ने कहा कि यह किट गरीबों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिसकी कीमत मात्र 7 रुपये है.
राम बाण है राम किट
गौरतलब है कि हिंदी में 'राम बाण' शब्द किसी समस्या के 'आखिरी समाधान' को दर्शाता है और यह कॉन्सेप्ट से आता है कि अयोध्या के राजकुमार, भगवान राम कभी लक्ष्य नहीं चूकते थे. राम किट में भगवान राम मंदिर की तस्वीर, आवश्यक दवाओं के नाम और अस्पताल का हेल्पलाइन नंबर शामिल है.
हार्ट अटैक में कैसे करें काम
हार्ट अटैक पड़ने पर मरीजों को दी जाने वाली तीनों दवाएं इस बॉक्स में शामिल हैं. अगर कोई व्यक्ति हार्ट अटैक या सीने में दर्द के मामले में घर पर ये दवाएं लेता है तो खतरा कुछ कम हो जाएगा और डॉक्टरों को मरीज को अस्पताल ले जाने के दौरान आकलन और देखभाल करने के लिए अधिक समय मिलेगा. लेकिन छाती में तकलीफ के मामले में डॉ. पांडे ने घर पर रहने और केवल किट पर निर्भर रहने के खिलाफ सलाह दी. उन्होंने कहा कि किट का उद्देश्य चिकित्सकों को जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण क्षण प्रदान करना है. सीने में दर्द होने पर मरीजों को किट में शामिल दवाएं लेनी चाहिए और सीधे निकटतम अस्पताल पहुंचना चाहिए.