पिछले 2 से 3 दशकों में पैक्ड जूस का चलन भारत में तेजी से बढ़ा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो कंपनी का प्रोडक्ट आप खरीद रहे हैं वो कितना असली है.
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Packed Fruit Juice: गर्मी के मौसम में हम में से कई लोग, पैक्ड जूस पीना पसंद करते हैं. ये मार्केट में आसानी से मिल जाता है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग लोग इसे काफी पसंद करते हैं, क्योंकि ये काफी टेस्टी होते हैं. इसके बोतल और पैकेट में असली फलों के होने का दावा किया जाता है, लेकिन जरूरी नहीं कि यहां रियल फ्रूट ही हों. आप दावों पर न जाएं, अपनी अक्ल जरूर लगाएं.
पैकेट में नाम मात्र के फल
आईसीएमआर (ICMR) की हाल की एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है कि बोतल और टेट्रापैक में मिल रहे फ्रूट जूस में फलों की मात्रा महज 10 फीसदी तक ही पाई जाती है. संस्था ने कई मिसाल देते हुए बताया है कि इसे हेल्दी बताकर ग्राहकों को गुमराह किया जाता है. कहा जाता है कि ये नेचुरल और न्यूट्रिएंट्स से भरपूर है, लेकिन ये बातें अक्सर झूठ होती हैं. इन कंपनीज के क्लेम और फैक्ट में जमीन आसमान का फर्क हो सकता है.
लेबल अच्छी तरह पढ़ें
आईसीएमआर ने सलाह दी है कि इन पैक्ड जूस को खरीदने से पहले कस्टमर्स को पैकेट पर लिखे लेबल को अच्छी तरह पढ़ना चाहिए. साथ ही ये भी पता लगाना चाहिए कि एक सर्विंग में शरीर को कितना न्यूट्रिएंट मिल रहा है. कई बार प्रोडक्ट के ऑर्गेनिक होने का दावा किया जाता है, ये कहा जाता है कि इसमें लो कैलोरी, लो फैट और हाई फाइबर से भरा जूस है, लेकिन आप ये जरूर देखें कि इसमें मौजूद इंग्रेडिएंट्स इन दावों की पुष्टि करते हैं या नहीं.
गुमराह करती हैं कंपनीज
आपको इस बात का भी ख्याल रखना है कि आईसीएमआर ने ऐसी चेतावनी सिर्फ पैक्ड जूस को लेकर ही नहीं बल्कि तमाम तरह के डिब्बाबंद फूड पर भी दी है. हाल में ही हैदराबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नयूट्रीशन (National Institute of Nutrition, Hyderabad) या एनआईएन (NIN) ने भारतीयों के लिए रिवाइज्ड डाइटरी गाइडलाइंस जारी की है. इसमें बताया गया है कि एफएसएसएई (FSSAI) ने फूड पैकेट्स को लेकर कड़े क्राइटेरिया रखें, लेकिन कंपनीज ग्राहकों को गुमराह करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाती है. इसलिए बेहतर है कि आप ताजे फलों को तरजीह दें.