Bollywood Film Reviews: निर्देशक आर.बाल्कि ने इस बार खूनी बदले की फिल्म बनाई है. जिसमें एक फिल्म डायरेक्टर बॉलीवुड फिल्म समीक्षकों की हत्याएं करता है. फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ है. यह क्लासिक फिल्म मेकर गुरु दत्त को श्रद्धांजलि बताई जा रही है.
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Serial Killer Film Director: चीनी कम, पा, शमिताभ और पैड मैन जैसी फिल्मों के राइटर-डायरेक्टर आर. बाल्कि ने अब बनाई है, चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट. फिल्म के माध्यम से वह क्लासिक फिल्म मेकर गुरुदत्त को श्रद्धांजलि दे रहे हैं लेकिन अनोखे अंदाज में. मानवीय संवेदना की फिल्में बनाने वाले गुरु दत्त को बाल्कि एक साइको थ्रिलर से याद कर रहे हैं, जिसमें एक सीरियल किलर की कहानी है. सन्नी देओल, दुलकर सलमान, पूजा भट्ट तथा श्रेया धन्वंतरि की मुख्य भूमिकाएं हैं. फिल्म 23 सितंबर को रिलीज होगी. फिल्म का ट्रेलर पांच सितंबर को रिलीज हुआ है. बाल्कि कह रहे हैं कि फिल्म चुप गुरुदत्त की कागज के फूल से प्रेरित है.
बिखरते गए गुरु दत्त
चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट ऐसे फिल्ममेकर की कहानी है, जो अपनी फिल्म की आलोचना झेल नहीं पाता और बॉलीवुड फिल्म समीक्षकों की हत्याएं करने लगता है. बाल्कि के अनुसार गुरुदत्त चुप के लिए परफेक्ट रेफरेंस पॉइंट थे. गुरु दत्त और वहीदा रहमान की फिल्म कागज के फूल 1959 में रिलीज हुई थी. इसे गुरु दत्त ने खुद डायरेक्ट किया था. फिल्म एक ऐसे निर्देशक की कहानी थी जो अपनी फिल्म की एक्ट्रेस से प्यार कर बैठता है. माना जाता है कि कागज के फूल वहीदा रहमान और गुरुदत्त की प्रेम कहानी थी. भले ही आज इस फिल्म को क्लासिक फिल्मों की श्रेणी में गिना जाता है पर रिलीज के वक्त यह फिल्म बहुत बड़ी डिजास्टर थी. हालांकि फिल्म को बेस्ट सिनेमैटोग्राफी और बेस्ट आर्ट डायरेक्शन का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था पर इस फिल्म के चलते गुरु दत्त को उस दौर में 17 करोड़ का नुकसान भी हुआ था. इस फिल्म के बाद गुरु दत्त ने अपने बैनर में किसी फिल्म को डायरेक्ट नहीं किया. इसी फिल्म पर काम करते वक्त गुरु दत्त और उनकी पत्नी गीता दत्त के बीच, वहीदा रहमान से गुरु दत्त के प्रेम संबंधों के चलते रिश्ते खराब हो गए थे. इस फिल्म के फ्लॉप होने से गुरु दत्त डिप्रेशन में चले गए.
दर्शकों को खुद सोचना चाहिए
बाल्कि का कहना है कि हमें किसी की आलोचना करते हुए सेंसेटिव होना चाहिए. किसी के बारे में अचानक कोई एक राय नहीं बना लेनी चाहिए. उनका मानना है कि कि गुरु दत्त ने कई हिट फिल्में दी. किसी भी मेकर की कृति को हिट या फ्लॉप के तराजू पर तोला नहीं जा सकता. कई फिल्में रिलीज के समय क्रिटिक्स द्वारा फ्लॉप कही गईं लेकिन बाद में इन्हें दर्शकों ने किया गया. मुकद्दर का सिकंदर के बाद अमिताभ का करियर खत्म बताया गया था. मगर फिल्म चली. समीक्षकों ने व्ही शांताराम की फिल्म झनक झनक पायल बाजे को बेकार फिल्म बताया था, जो मील का पत्थर मानी जाती है. आर बाल्कि का कहना है कि क्रिटिक्स क्या सोचते हैं, क्या लिखते हैं, इससे दर्शकों की सोच पर फर्क नहीं पड़ना चाहिए. उनका कहा हुआ गलत भी हो सकता है. इसलिए दर्शक खुद निर्णय लें कि क्या सही है और क्या गलत.
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