Sanjay Pooran Singh Chouhan: संजय पूरन सिंह चौहान की डेब्यू फिल्म लाहौर ने हर तरफ अपने प्रशंसक बनाए. उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिला. अब वह अपने दूसरे नेशनल अवार्ड के साथ फिल्म ला रहे हैं, 72 हूरें. फिल्म आतंकवाद की हकीकत से पर्दा हटाएगी कि कैसे युवाओं को ब्रेनवॉश करके गुमराह किया जाता है. फिल्म थियेटरों में आ रही है.
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72 Hoorain Controversy: द कश्मीर फाइल्स और द केरल स्टोरी के बाद अब फिल्म 72 हूरें रिलीज के लिए तैयार है. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान की यह फिल्म सात जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) में कश्मीरी पंडितों पर आतंकियों के अत्याचार की कहानी थी, वहीं द केरल स्टोरी (The Kerala Story) में राज्य की युवतियों को आईएसआईएस (ISIS) के द्वारा लुभाने की सच्ची घटनाओं को दिखाया गया था. लेकिन 72 हूरें इनसे अलग है. यह फिल्म आतंकवाद की दुनिया के अंदर जाकर बताती है कि आखिर कैसे मुस्लिम (Muslim) युवाओं को आतंकवादी बनने के लए ब्रेनवॉश किया जाता है.
अस्पताल में आत्माएं
अपनी डेब्यू फिल्म लाहौर (2010) के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके संजय पूरन सिहं को 2019 में 72 हूरें के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (Best Director) का राष्ट्रीय पुरस्कार (National Award) दिया गया था. 72 हूरें एक डार्क कॉमेडी है. फिल्म में एक आतंकवादी शिविर ठिकाने पर बिलाल और हकीम नाम के दो युवकों को गुमराह किया जाता है कि अगर वे अल्लाह के नाम पर अपनी जान देते हैं, तो उन्हें जन्नत में 72 हूरें इनाम के रूप में मिलेंगी. ये दोनों मुंबई (Mumbai) पर आतंकी हमले में मारे जाते हैं. इसके बाद कहानी बताती है कि हकीम और बिलाल की आत्माएं एक अस्पताल में इस बात पर हैरान हो रही हैं कि वे जन्नत में नहीं हैं, बल्कि अस्पताल में अपने मृत शरीरों को देख रही हैं कि कैसे उनका शव परीक्षण हो रहा है. फिल्म आतंकियों के ब्रेनवॉश और आतंकवाद के नतीजों को सामने लेकर आती है.
भरते हैं धीमा जहर
फिल्म में पवन मल्होत्रा (Pawan Malhotra) और आमिर बशीर ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. संजय पूरन सिंह चौहान ने फिल्म का संपादन भी किया है. उन्होंने कहा कि फिल्म बताती है कि आतंकवाद की जड़ में जो बातें हैं, उन्हें खत्म करने की जरूरत है. यह कहानी इस बात को सामने लाती है कि जिहाद के नाम पर कैसे धर्म की आड़ में युवाओं के दिमाग का धीमा जहर भरकर उन्हें आत्मघाती हमलावरों में बदल दिया जाता है. जबकि वे समान्य परिवारों से आते हैं. उन्हें 72 हूरों के भ्रम में फंसकर बर्बादी के रास्ते पर धकेल दिया जाता है और अंत में जब सच्चाई का सामना करते हैं तो देर हो चुकी होती है. 2019 में गोवा के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (FICCI) में इंडियन पैनोरमा (Indian Panorama) सेक्शन के तहत 72 हूरें का प्रीमियर हुआ था. फिल्म का निर्माण गुलाब सिंह तंवर ने किया है. जबकि अशोक पंडित (Ashok Pandit) को-प्रोड्यूसर हैं. उन्होंने कहा कि दर्शकों तर्कसंगत ढंग से इस फिल्म को देखना चाहिए.