Bollywood Film: देव आनंद अपने दौर के उन सितारों में थे, जिनके नाम और अंदाज पर फिल्म सफल होने की गारंटी दी जाती थी. उनका रूमानी अंदाज और कुछ गाने, फिल्म को कामयाब बनाने का फार्मूला थे. इसके बावजूद गुरु दत्त ने देव आनंद के साथ ऐसी फिल्म बनाने का फैसला किया, जिसमें जोखिम था.
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Guru Dutt And Dev Anand: पुराने लोग दोस्ती निभाते थे और अपने वादों के भी पक्के होते थे. देव आनंद और गुरु दत्त की दोस्ती के किस्से आज भी सुनाए जाते हैं. दोनों स्ट्रगल के दिनों के साथी थे. देव आनंद ने गुरु दत्त से वादा किया था कि जब भी वह फिल्म प्रोड्यूस करेंगे तो उस फिल्म के डायरेक्टर गुरु दत्त ही होंगे और गुरु दत्त ने भी इसी तरह का वादा देव आनंद से किया कि उनके द्वारा प्रोड्यूस फिल्म में देव आनंद हीरो होंगे. यही कारण है कि देव आनंद के प्रोडक्शन की पहली फिल्म बाजी को गुरुदत्त ने डायरेक्ट किया था तथा गुरु दत्त द्वारा प्रोड्यूस फिल्म सीआईडी में देव आनंद हीरो थे. हालांकि गुरु दत्त ने सीआईडी से पहले आर पार तथा मिस्टर एंड मिसेज 55 प्रोड्यूस की थी लेकिन दोनों में वह खुद ही हीरो थे. सीआईडी में गुरु दत्त ने अपने असिस्टेंट राज खोसला को फिल्म डायरेक्शन का मौका दिया. अपने समय की यह बेस्ट क्राइम थ्रिलर फिल्म थी. देव आनंद के अलावा वहीदा रहमान, शकीला, जॉनी वॉकर तथा के एन सिंह की मुख्य भूमिकाएं थी. वहीदा रहमान की यह पहली हिंदी फिल्म थी.
आंखों ही आंखों में
देव आनंद को अपने दोस्त गुरु दत्त की फिल्म तो करनी ही थी लेकिन वह यह सुनकर दंग रह गए कि उन पर कोई गाना नहीं फिल्माया जाएगा. उन्होंने शर्त रख दी कि वह फिल्म तभी साइन करेंगे जब फिल्म में लगभग आधा दर्जन गाने होंगे. उनका कहना था कि उन पर कोई गाना नहीं शूट होगा तो कॉलेज का क्राउड यह फिल्म देखने आएगा ही नहीं और फिल्म फ्लॉप हो जाएगी. चूंकि इस फिल्म में देव आनंद सीआईडी इंस्पेक्टर की भूमिका में थे, तो डायरेक्टर राज खोसला का मानना था कि यह बहुत ही मूर्खतापूर्ण दिखेगा कि कोई सीआईडी इंस्पेक्टर गाना गा रहा है. गुरु दत्त भी देव आनंद की बातों से सहमत थे. फाइनली देव आनंद पर एक गाना फिल्माया गया, आंखों ही आंखों में इशारा हो गया. बाकी कुछ गानों में भी वह दिखाई दिए थे.
कहानी सीआईडी की
फिल्म ऐसे सीआईडी इंस्पेक्टर की कहानी थी जो एक मर्डर मिस्ट्री को सुलझाते हुए खुद ही उसमें फंस जाता है. एक अमीर और प्रभावशाली व्यक्ति के अंडरवर्ल्ड लिंक का पर्दाफाश करने वाले एक समाचार पत्र के संपादक का खून कर दिया जाता है. इस खून की जांच करने के लिए सीआईडी इंस्पेक्टर शेखर (देव आनंद) को नियुक्त किया जाता है. जांच-पड़ताल करते हुए शेखर को पता चलता है कि मर्डर के तार धर्मदास नामक व्यक्ति से जुड़े हुए हैं. लेकिन धर्मदास ऐसा जाल बुनता है कि शेखर खुद सस्पेक्ट बन जाता है तथा पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है. बाद में किस तरह से शेखर इस केस की गुत्थी सुलझाने में कामयाब होता हैं, यही फिल्म की कहानी थी.
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