Filmfare Awards: इस फिल्म को मिले थे सात फिल्मफेयर, मगर एक्टर हुए नाराज कि क्यों मिले अवार्ड
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Filmfare Awards: इस फिल्म को मिले थे सात फिल्मफेयर, मगर एक्टर हुए नाराज कि क्यों मिले अवार्ड

Bollywood Awards: क्या आप जानते हैं कि 1972 में आई फिल्म पाकीजा को आज भले ही क्लासिक कहलाए, पुरस्कारों की दौड़ में वह आज गुमनाम फिल्म बे-ईमान से मीलों पिछड़ गई थी. गुममान को सात अवार्ड मिले थे और पाकीजा को सिर्फ एक. जबकि बे-ईमान के कलाकार खुद पुरस्कारों से हैरान थे.

 

Filmfare Awards: इस फिल्म को मिले थे सात फिल्मफेयर, मगर एक्टर हुए नाराज कि क्यों मिले अवार्ड

Manoj Kumar Film: यह जानकर ही आश्चर्य होता है कि किसी फिल्म को ढेर सारे अवार्ड मिलें, मगर उसके कलाकारों को ही लगता हो कि फिल्म तो इस लायक नहीं है. मामला है 1973 के फिल्मफेयर पुरस्कारों का. इस समारोह में निर्देशक सोहनलाल कंवर की फिल्म बे-ईमान (1972) को विभिन्न श्रेणियों में फिल्मफेयर 7 पुरस्कार मिले थे. फिल्म में मनोज कुमार, राखी, प्राण, प्रेमनाथ, प्रेम चोपड़ा जैसे कलाकार थे. खुद मनोज कुमार ने कहा कि फिल्म भले ही हिट रही, परंतु उनके प्रशंसकों को पसंद नहीं आई. उनके दोस्तों और प्रशंसकों ने उन्हें ऐसी फिल्में न करने के लिए कहा. रोचक बात यह कि फिल्म में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार प्राण (Pran Sikand) ने ठुकरा दिया था. बाद में राखी ने बताया कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (Best Actress) का पुरस्कार दिया जा रहा था, परंतु प्रस्ताव आते ही मैंने इंकार कर दिया था. यह पुरस्कार हेमा मालिनी (Hema Malini) के खाते में गया. फिल्म थी, सीता और गीता.

प्राण ने जताया विरोध
बेईमान की कहानी मोहन (मनोज कुमार) नाम के ऐसे युवक की थी, जो अपनी प्रेमिका से सगाई से ठीक एक दिन पहले भागकर चोर बन जाता है. वह तिजोरी तोड़ने में भी माहिर है. आखिर वह क्या बात थी, जो मोहन एक चोर और तिजोरी तोड़ने वाला बन गया? कहानी इसी सवाल का जवाब ढूंढती है. फिल्म को इसके कलाकारों ने ही बनने के बाद पसंद नहीं किया. मगर प्राण ने जब सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार ठुकराया, तो उसकी वजह हैरान करने वाली थी. असल में उस साल सर्वश्रेष्ठ संगीत के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार पाकीजा (Pakeezah,1972) की जगह बे-इमान (1972) के लिए शंकर जयकिशन को दिया गया. प्राण ने इसके विरोध में अपना पुरस्कार त्याग दिया. प्राण के मुताबिक यह पुरस्कार पाकीजा के स्वर्गीय संगीतकार गुलाम मोहम्मद को दिया जाना चाहिए था.

आज कहां है बे-ईमान
कमाल की बात यह कि सात पुरस्कारों के बावजूद सोहनलाल कंवर की बे-ईमान को भुला दिया गया. वहीं उसके मुकाबले खड़ी कमाल अमरोही की पाकीजा आज क्लासिक के रूप में फिल्म प्रेमियों को लुभाती है. बे-ईमान को उस साल बेस्ट फिल्म, बेस्ट एक्टर, बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर, बेस्ट लिरिसिस्ट, बेस्ट प्लेबैक सिंगर (मेलः मुकेश) के सात फिल्मफेयर मिले थे. जबकि पाकीजा को छह नामांकनों में से सिर्फ एक अवार्ड मिला था, बेस्ट आर्ट डायरेक्शन. बाद में राखी गुलजार ने बे-ईमान को मूर्खतापूर्ण और कमजोर फिल्म कहा. उन्होंने कहा के मुझे इसके लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दे रहे थे, तो मैंने मना कर दिया. जबकि कुछ साल पहले उन्होंने मुझे शर्मीली (1971) के बढ़िया परफॉरमेंस के लिए पुरस्कार योग्य नहीं समझा था. उस साल यह पुरस्कार आशा पारेख को कटी पतंग के लिए दिया गया था.

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