नन्हे की कहानी, जब भारत के एक प्रधानमंत्री ने बैंक में कार लोन के लिए किया आवेदन
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नन्हे की कहानी, जब भारत के एक प्रधानमंत्री ने बैंक में कार लोन के लिए किया आवेदन

Chunavi Kissa: लाल बहादुर शास्त्री का नाम जेहन में आते ही देशवासयों के मन में विशेष स्नेह और आदर भाव उमड़ पड़ता है. वह देश के ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने परिवार के लिए कार खरीदने के लिए बैंक से लोन लिया था. आगे पढ़िए पूरा किस्सा. 

नन्हे की कहानी, जब भारत के एक प्रधानमंत्री ने बैंक में कार लोन के लिए किया आवेदन

Lal Bahadur Shastri: हां. ऐसे प्रधानमंत्री हमारे देश में हुए हैं. वह सादगी और ईमानदारी के मिसाल थे. लोग कहते हैं कि आज नहीं, अगले 100 साल बाद भी लोग उनका उदाहरण देंगे. वह कोई और नहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे. आजकल लोग थोड़ी सी प्रतिष्ठा, सम्मान, पद पाकर दिखावा करने लगते हैं लकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद भी शास्त्री जी के पास कार नहीं थी. 

घर के लोग उनसे कार खरीदने के लिए दबाव डालने लगे. कई दिनों तक बातें चलती रहीं. आखिर में उन्होंने कार खरीदने का फैसला किया. आपको लगेगा कि एक प्रधानमंत्री को आसानी से कार मिल सकती थी. हालांकि शास्त्री जी के पास इतने पैसे नहीं थे. उन्होंने घरवालों की इच्छा पूरी करने के लिए बैंक में कार लोन के लिए आवेदन किया. कहा जाता है कि शायद वह पहले प्रधानमंत्री हुए हैं जिन्होंने कार्यकाल के दौरान लोन लिया. 

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कार की कीमत 12,000 रुपये थी. जो तस्वीर आप देख रहे हैं यह वही कार है. इसे उनके परिवार के लोगों ने ही सोशल मीडिया पर शेयर किया है. कार के लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से लोन लिया था. 5,000 रुपये का लोन लेते समय उन्होंने बैंक के अधिकारियों से कहा था कि जो सुविधा उन्हें मिल रही है वही आम नागरिक को भी मिलनी चाहिए.

सरकारी कार से निजी काम नहीं

शास्त्री जी के बेटे अनिल शास्त्री ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह कभी-कभार ही सरकारी कार का इस्तेमाल कर पाते थे क्योंकि रोजमर्रा के काम के लिए पिता जी ने मना कर रखा था. उनका साफ निर्देश था कि सरकारी कार का इस्तेमाल प्राइवेट काम के लिए नहीं होगा. 1964 की बात है. पीएम के स्पेशल असिस्टेंट वीएस वेंकटरमण हुआ करते थे. शास्त्री जी ने उनसे पता करवाया कि नई फिएट कार कितने की आएगी. पता चला कि 12,000 रुपये में. परिवार के बैंक खाते में सिर्फ 7,000 रुपये थे. इसके बाद पीएम ने कार लोन के लिए अप्लाई किया और उसी दिन लोन मंजूर हो गया. 

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दुखद यह है कि शास्त्री जी कार का लोन चुका पाते उससे पहले ही उनका निधन हो गया. बाद में इंदिरा गांधी ने लोन माफ करने की पेशकश की लेकिन शास्त्री जी की पत्नी ललिता शास्त्री राजी नहीं हुईं. शास्त्री जी की मौत के चार साल बाद तक वह कार की ईएमआई भरती रहीं. इस तरह उन्होंने कार लोन का एक-एक पैसा बैंक को चुका दिया था. 

लाल बहादुर शास्त्री के बारे में

शास्त्री जी 9 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में हुआ था. उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे. जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ साल के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था. घर पर सब उन्हें नन्हे के नाम से पुकारते थे. वह कई मील की दूरी नंगे पांव से ही तय कर विद्यालय जाते थे, यहां तक की भीषण गर्मी में जब सड़कें अत्यधिक गर्म हुआ करती थीं तब भी उन्हें ऐसे ही जाना पड़ता था.

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