Kissa Kursi Ka: राजा हूं... 8 बार के सांसद मानवेंद्र शाह ने क्यों ठुकरा दिया था मंत्री पद का ऑफर?
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Kissa Kursi Ka: राजा हूं... 8 बार के सांसद मानवेंद्र शाह ने क्यों ठुकरा दिया था मंत्री पद का ऑफर?

Lok Sabha Election 2024 News: बोलांदा बदरी (बोलते बदरीनाथ) कहे जाने वाले आठ बार के सांसद मानवेंद्र शाह लोकसभा चुनाव प्रचार में जाते थे तो उनके समर्थक और प्रशंसक उनको मंत्री बनाए जाने की बात कहते थे. शाह हमेशा इससे अलग राय रखते थे. वह कहते थे कि मैं मंत्री क्यों बनूंगा? मैं तो राजा हूं.

Kissa Kursi Ka: राजा हूं... 8 बार के सांसद मानवेंद्र शाह ने क्यों ठुकरा दिया था मंत्री पद का ऑफर?

Manvendra Shah Tehri Garhwal: लोकसभा चुनाव 2024 में सत्तारूढ़ पार्टी से कई केंद्रीय मंत्रियों के टिकट कट गए. वहीं, कुछ उम्मीदवार प्रचार अभियान में चुनाव जीतकर संसद पहुंचने पर कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की बात कह रहे हैं. हालांकि, देश की राजनीति में कुछ सांसदों ने कभी मंत्री बनने में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई.

हर कोई मुझे केंद्रीय मंत्री बनाने पर तुला हुआ है, जबकि.....

उत्तराखंड के टिहरी लोकसभा क्षेत्र से 8 बार सांसद रहे मानवेंद्र शाह जनता के बीच काफी लोकप्रिय और आदर पाने वाले नेता थे. राजशाही खत्म किए जाने से पहले टिहरी राजवंश के आखिरी राजा मानवेंद्र शाह ने केंद्रीय मंत्री बनने की मांग ठुकरा दी थी. वह कहते थे कि हर कोई मुझे मंत्री बनाने पर तुला हुआ है, जबकि मुझको इसकी कोई जरूरत ही नहीं है. आइए, किस्सा कुर्सी का में आज इस पूरी कहानी के बारे में जानते हैं.

बोलांदा बदरी (बोलते हुए बदरीनाथ) कहे जाते थे मानवेंद्र शाह

उत्तराखंड की मौजूदा देवप्रयाग विधानसभा सीट के वोटर लोकसभा चुनाव 2009 से पहले टिहरी लोकसभा क्षेत्र के लिए मतदान करते थे. नई परिसीमन के बाद उनकी सीट बदल गई. टिहरी लोकसभा से रिकॉर्ड आठ बार सांसद चुने गए टिहरी रियासत के अंतिम शासक मानवेंद्र शाह का देवप्रयाग क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव रहा था. लोग उन्हें सम्मान से बोलांदा बदरी (बोलते हुए बदरीनाथ) कहा करते थे. देवभूमि में भगवान बदरी विशाल से राजा की तुलना बहुत बड़ी बात है. 

बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों के स्थायी निवास देवप्रयाग में प्रचार

मानवेंद्र शाह अपने चुनाव प्रचार अभियान में बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों के स्थायी निवास देवप्रयाग जरूर पहुंचते थे. लोकसभा चुनाव 1999 में भी चुनाव प्रचार के दौरान देवप्रयाग बस अड्डे पर उनकी जनसभा आयोजित की गई थी. इसमें मंच से बोलने वाले सभी नेताओं ने महाराजा को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की वकालत की. सभा में मौजूद जमता ने भी तालियों और नारेबाजी से इसका जोरदार समर्थन किया.

मानवेंद्र शाह ने माइक थामते ही सबको अचानक चुप करा दिया

बाद में जब महाराजा मानवेंद्र शाह के बोलने की बारी आई तो उन्होंने माइक थामते ही सबको चुप करा दिया. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि हर कोई मुझे मंत्री बनाने पर तुला है, जबकि मुझे इसकी कोई जरूरत ही नहीं है. मैं तो राजा हूं, मंत्री क्यों बनूंगा? मानवेंद्र शाह ने कहा था कि मैं राजा हूं, मंत्री नहीं बनूंगा. मानवेंद्र शाह के समर्थक और प्रशंसक नेताओं को लगता था कि महाराजा उनके भाषण पर जरूर खुश होंगे. हालांकि, इसका उलटा असर हुआ. 

13वें आम चुनाव के दौरान प्रचार के लिए आयोजित जनसभा की घटना 

13वें आम चुनाव के दौरान आयोजित इस जनसभा में अपने संबोधन में मानवेंद्र शाह को खुश करने के लिए भाजपा सरकार में उन्हें मंत्री बनाए जाने की पैरवी करने वाले सभी नेता खामोश हो गए. उनके जबरदस्त भाषण के बाद तालियां बजाने वाली जनता और उनके नेताओं ने फिर कभी उनके सामने मंत्री पद को लेकर कोई बात नहीं की. मानवेंद्र शाह ने खुद अपने मंत्री बनाए जाने की मांग को ठुकरा दिया था. 

तीन बार कांग्रेस और पांच बार भाजपा के टिकट पर जीता लोकसभा चुनाव

तीन बार कांग्रेस और पांच बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले मानवेंद्र शाह की मंत्री पद में कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही. हालांकि, वह चाहते तो किसी भी सरकार में कभी भी मंत्री बनाए जा सकते थे. इसके बावजूद उन्होंने कभी भी मंत्री पद के ऑफर को भाव नहीं दिया. कहा जाता है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर बाद के लगभग सभी प्रधानमंत्री मानवेंद्र शाह का निजी तौर पर सम्मान करते थे. 

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दूसरे आम चुनाव 1957 में मानवेंद्र शाह चुने गए टिहरी के दूसरे सांसद 

टिहरी के महाराजा नरेंद्र शाह ने साल 1946 में मानवेंद्र शाह को टिहरी रियासत की बागडोर सौंपी थी. मानवेंद्र शाह टिहरी के आखिरी शासक रहे. वह 1946 से 31 जुलाई 1949 को टिहरी राज्य के भारत गणराज्य में विलय होने तक शासक रहे. देश में हुए पहले आम चुनाव में टिहरी लोकसभा सीट से महारानी कमलेंदुमति शाह पहली सांसद चुनी गईं. उनके बाद दूसरे आम चुनाव 1957 में मानवेंद्र शाह टिहरी के दूसरे सांसद चुने गए. उसके बाद वह लगातार लोकसभा में पहुंचते रहे. 26 मई 1921 को टिहरी में जन्मे मानवेंद्र शाह का 5 जनवरी 2007 को 85 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया.

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