Kissa Kursi Ka: 1 सीट पर 185 उम्मीदवार-हर बूथ पर 12 EVM,लोकसभा चुनाव 2019 में दूसरी सीट पर महज मैच ऑफ थ्री
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Kissa Kursi Ka: 1 सीट पर 185 उम्मीदवार-हर बूथ पर 12 EVM,लोकसभा चुनाव 2019 में दूसरी सीट पर महज मैच ऑफ थ्री

Lok Sabha Chunav News: लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दक्षिणी राज्य तेलंगाना में अनोखा माहौल बन गया था. एक दिलचस्प वाकए के तौर पर निजामाबाद लोकसभा सीट से देश भर में सबसे ज्यादा 185 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे. चुनाव अधिकारी वहां ईवीएम और बैलेट पेपर के इस्तेमाल को लेकर कंफ्यूज होने लगे थे. आइए, जानते हैं कि फिर आगे क्या हुआ... 

Kissa Kursi Ka: 1 सीट पर 185 उम्मीदवार-हर बूथ पर 12 EVM,लोकसभा चुनाव 2019 में दूसरी सीट पर महज मैच ऑफ थ्री

Lok Sabha Elections Story: ईवीएम और बैलेट पेपर को लेकर सवाल, विवाद, सफाई और उस पर चर्चा देश में किसी भी चुनाव से पहले एक रस्म की तरह निभाई जाने लगी है. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2019 में एक अनोखे वाकए ने इस ओर सबका ध्यान खींचा था. हालांकि, आखिर में जीत ईवीएम की हुई थी. लोकसभा चुनाव 2024 की जारी प्रक्रियाओं के बीच आपको यह सोचकर भी हैरत होगी कि किसी एक सीट पर 185 और किसी दूसरे पर महज तीन ही उम्मीदवार हों.

निजामाबाद लोकसभा सीट पर पिछले आम चुनाव में 185 उम्मीदवार

तेलंगाना राज्य की निजामाबाद लोकसभा सीट पर पिछले आम चुनाव में कुल 185 उम्मीदवार थे. जबकि, राज्य की सभी 17 लोकसभा सीटों को मिलाकर कुल 443 उम्मीदवार थे. तेलंगाना के ही मेडक लोकसभा सीट पर 10 कैंडिडेट चुनाव मैदान में थे. देश में एक ओर जहां निजामाबाद में सबसे ज्यादा 185 लोग चुनाव लड़ रहे थे. वहीं, मेघालय की तूरा लोकसभा सीट पर महज तीन उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे. 

'किस्सा कुर्सी का' में जानते हैं लोकसभा चुनाव 2019 की दिलचस्प कहानी

आइए, किस्सा कुर्सी का में लोकसभा चुनाव 2019 की इस दिलचस्प कहानी के बारे में जानते हैं. आखिर क्यों निजामाबाद सीट पर इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया था. इस सीट पर ईवीएम और बैलेट पेपर को लेकर संघर्ष कैसा रहा और किसके जरिए मतदान करवाए गए थे? साथ ही यहां चुनाव के नतीजे कैसे रहे? वहीं, उस दौरान देश में सबसे ज्यादा कैंडिडेट वाली टॉप लोकसभा सीट और कौन-कौन सी थी?

बैलेट पेपर की चर्चा को पीछे छोड़ हर बूथ पर 12-12 ईवीएम से मतदान

लोकसभा चुनाव 2019 में सबसे ज्यादा उम्मीदवारों के संख्या को लेकर निजामाबाद में ईवीएम नहीं बल्कि बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया. चुनाव आयोग के स्थानीय अधिकारी इसकी व्यवस्था में भी जुट गए. तेलंगाना के तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी रजत कुमार ने चुनाव मतपत्र से कराने की मंजूरी के लिए चुनाव आयोग में चर्चा भी की. हालांकि, यहां हर बूथ पर मतदान के लिए 12 ईवीएम का इस्तेमाल करना पड़ा था.

रजत कुमार ने बाद में कहा था, ''यह दुनिया में पहली बार हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को लेकर इतनी बड़ी संख्या में ईवीएम का उपयोग करके चुनाव कराया जा रहा है. ईवीएम में जितने उम्मीदवारों के नाम समायोजित हो सकते हैं, उससे अधिक संख्या में उम्मीदवार होने के चलते शुरुआत में हुए कंफ्यूजन को दूर कर लिया गया था."

चुनाव मैदान में क्यों उतरे थे एक साथ इतने सारे उम्मीदवार

निजामाबाद लोकसभा सीट से तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब भारत राष्ट्र समिति ) के अध्यक्ष और तत्कालीन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता फिर से चुनाव लड़ रही थीं. हल्दी और लाल ज्वार के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करने में सरकार के कथित रूप से असफल रहने का विरोध करते हुए किसानों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल कर दिए थे. चुनाव मैदान में उतरे 185 उम्मीदवारों में 178 किसान शामिल थे. हालांकि उनमें से कई प्रत्याशियों को महज एक वोट मिले थे. 

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निजामाबाद में एक घंटे बाद शुरू हुआ मतदान, कैसा था इंतजाम

तब निजामाबाद में इसके कारण मतदान भी एक घंटे बाद शुरू हुआ था. बड़ी संख्या में उम्मीदवारों और ईवीएम होने के कारण मॉक वोटिंग की योजना बनाई गई थी. चुनाव आयोग ने मतदान के दौरान होने वाली तकनीकी समस्या से निपटने के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र में 15 से 16 इंजीनियरों की जगह निजामाबाद के लिए लगभग 600 इंजीनियरों को तैनात किया था. इसके अलावा निजामाबाद सीट पर 26 हजार से अधिक बैलट यूनिट, 2,200 कंट्रोल यूनिट और लगभग 26 हजार ही वीवीपैट और एम3 प्रकार के ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था.

लोकसभा चुनाव 2019 में देश के सबसे ज्यादा उम्मीदवारों वाली टॉप 5 सीट

लोकसभा चुनाव 2019 में देश के सबसे ज्यादा उम्मीदवारों वाली टॉप 5 सीटों की बात करें तो पड़ोसी राज्य कर्नाटक की बेलगावी सीट पर 57 और तमिलनाडु की करूर, चेन्नई साउथ और तूतूकुडी लोकसभा सीटों पर क्रमश: 42, 40 और 37 उम्मीदवार चुनाव मैदान में मौजूद थे. वहीं, जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों की कई लोकसभा सीटों पर सबसे कम औसतन 5 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे थे.

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