Lok Sabha Chunav: मैं घोड़ा नहीं... देश का वो चुनाव आयुक्त, जिसने कहा था मैं भारत सरकार का हिस्सा नहीं हूं
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Lok Sabha Chunav: मैं घोड़ा नहीं... देश का वो चुनाव आयुक्त, जिसने कहा था मैं भारत सरकार का हिस्सा नहीं हूं

Kissa Kursi Ka: टीएन शेषन, एक ऐसा नाम जो चुनाव आयोग की सख्त छवि के लिए जाने गए. वह जो दो टूक कहते कि चुनाव आयोग में रहते हुए वह भारत सरकार का हिस्सा नहीं हैं. चुनौती मिलने पर एक बार उन्होंने बस भी चलाई थी. 

Lok Sabha Chunav: मैं घोड़ा नहीं... देश का वो चुनाव आयुक्त, जिसने कहा था मैं भारत सरकार का हिस्सा नहीं हूं

Election Commission TN Seshan: जब भी देश में चुनाव हो रहे होते हैं, गाहे - बगाहे एक चुनाव आयुक्त का जिक्र जरूर होता है. वह थे टीएन शेषन. शायद आज की पीढ़ी इस नाम से ज्यादा परिचित न हो. हालांकि जब भी चुनाव आयोग पर सवाल उठते हैं तो लोग टीएन शेषन की मिसाल दिया करते हैं. वह देश के एकमात्र ऐसे चुनाव आयुक्त हुए जिनकी छवि तेजतर्रार अफसर की रही. वह सीधा बोलते थे और सरकार के सामने कभी नहीं झुके. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि सरकार के हर पेपर में वे (सरकार की तरफ से) लिखते थे 'मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत सरकार'. मैंने कहा- सॉरी, मैं भारत सरकार का हिस्सा नहीं हूं. मैं इस देश के स्ट्रक्चर का हिस्सा हूं लेकिन मैं गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का पार्ट नहीं हूं. 

एक दिन पीएम का फोन आया

शेषन एक किस्सा सुनाते थे कि तब चुनाव आयोग को सरकार के सहयोगी के तौर पर माना जाता था. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था, 'जब मैं कैबिनेट सचिव था. एक दिन प्रधानमंत्री ने फोन किया और बोले कि शेषन, मुख्य चुनाव आयुक्त से बोलो कि हम इलेक्शन चाहते हैं और.... मैंने उनसे कहा कि हम यह कैसे कह सकते हैं. हां, हम यह जरूर कह सकते हैं कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं लेकिन शेड्यूल तय करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से चुनाव आयोग की है.'

मंत्री के रूम के बाहर होते थे चुनाव आयुक्त

वह बताते थे कि तब चीफ इलेक्शन कमिश्नर कानून मंत्री के रूम के बाहर इंतजार करते थे कि कब वह फ्री हों और उन्हें अंदर मिलने के लिए बुलाएं लेकिन मैंने कह दिया था कि मैं कभी ऐसा नहीं करूंगा. मैं किसी भी समय उपलब्ध हूं लेकिन ऑफिस के साथ सम्मान से पेश आया जाए. 

बिहार में कई चरणों में कराए चुनाव

शेषन 1955 बैच के आईएएस अधिकारी थे. केरल के पलक्कड़ में जन्मे टीएन शेषन 1990 में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त बने. उनके कार्यकाल में निष्पक्ष चुनाव के लिए नियमों का सख्ती से पालन किया गया था. तब बिहार में बूथ कैप्चरिंग होती थी. इससे निपटने के लिए पहली बार कई चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया गया. उनके कार्यकाल में ही पहली बार वोटर आईडी कार्ड का इस्तेमाल शुरू हुआ. 

जब नरसिम्हा राव से बोले, मैं घोड़ा नहीं हूं

एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से वह भिड़ गए. विधि सचिव ने उनसे फोन पर कहा था कि अभी इटावा का उपचुनाव न कराया जाए. शेषन ने प्रधानमंत्री को फोन लगा दिया. वह बोले कि सरकार को शायद गलतफहमी है कि मैं घोड़ा हूं और सरकार घुड़सवार. मैं यह नहीं मानूंगा. फैसला मैं लूंगा. आपके पास अच्छा कारण है तो बता दीजिए लेकिन मैं किसी हुक्म का पालन नहीं करूंगा.  

जब 80 किमी चलाई बस

हां, तब टीएन शेषन चेन्नई में यातायात आयुक्त हुआ करते थे. 3 हजार बसें और 40 हजार कर्मचारी उनके अधीन थे. एक ड्राइवर ने एक दिन पूछ लिया कि अगर आपको ड्राइविंग और बस के इंजन की जानकारी नहीं है तो ड्राइवरों की समस्या कैसे दूर करेंगे? शेषन ने इस बात को गंभीरता से लिया. उन्होंने बस वर्कशॉप में समय बिताया और ड्राइविंग सीखी. एक दिन वह ड्राइवर की सीट पर जा बैठे और यात्रियों से भरी बस 80 किमी तक ले गए थे. 

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