Share Market Update: कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि आगे चलकर हमारा मानना है कि मुद्रास्फीति से एफपीआई का रुख तय होगा.
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Share Market: दुनिया में मंदी की आशंका जताई जा रही है. जिसके कारण कई देशों के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है. वहीं इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल रहा है. भारतीय शेयर बाजार में पिछले काफी वक्त से गिरावट देखने को मिली है. वहीं विदेशी निवेशक भी लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) पिछले करीब 9 महीने से भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं. जिसके कारण बाजार में काफी गिरावट भी देखने को मिली है. वहीं माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में भी शेयर बाजार में और गिरावट देखने को मिल सकती है.
करोड़ों के बेचे शेयर
एफपीआई की भारतीय बाजारों से निकासी का सिलसिला जून में लगातार नौवें महीने भी जारी रहा. जून में एफपीआई ने शुद्ध रूप से 50,203 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. यह पिछले दो साल का निकासी का सबसे ऊंचा स्तर है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक के आक्रामक रुख, ऊंची मुद्रास्फीति और घरेलू शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन की वजह से विदेशी निवेशक लगातार अपने शेयर बेच रहे हैं.
इतनी की निकासी
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार 2022 के पहले छह महीने में एफपीआई भारतीय शेयर बाजारों से 2.2 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं. भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालने का यह सबसे ऊंचा आंकड़ा है. इससे पहले 2008 के पूरे साल में एफपीआई ने शेयर बाजारों से 52,987 करोड़ रुपये निकाले थे. वहीं दूसरी तरफ विश्लेषकों ने भी आगाह किया है और कहा है कि अभी एफपीआई की निकासी जारी रह सकती है.
क्या रहेगा रुख?
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘‘आगे चलकर हमारा मानना है कि मुद्रास्फीति से एफपीआई का रुख तय होगा. इसके अलावा बॉन्ड और शेयरों पर प्राप्ति का अंतर भी लगातार कम रहा है. इससे भी एफपीआई निकासी कर रहे हैं.’’ आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने जून में शेयरों से शुद्ध रूप से 50,203 करोड़ रुपये निकाले. यह मार्च, 2020 के बाद उनकी निकासी का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. उस समय एफपीआई ने भारतीय शेयरों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे.
इस कारण हो रही बिकवाली
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि, ऊंची मुद्रास्फीति और शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन की वजह से एफपीआई भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाल बने हुए हैं.’’ श्रीवास्तव ने कहा कि भारत को लेकर व्यापक रुझान नकारात्मक बना हुआ है, जिसकी वजह से घरेलू शेयर बाजारों को लेकर एफपीआई का रुख सतर्कता वाला बना हुआ है. जून में अन्य उभरते बाजारों मसलन इंडोनेशिया, फिलिपीन, दक्षिण कोरिया,ताइवान और थाइलैंड में भी एफपीआई बिकवाल बने रहे.
(इनपुट: भाषा)
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