Repo Rate: पिछले करीब 20 महीने से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत के स्तर पर ही कायम है. फेड रिजर्व की तरफ से ब्याज दर में कटौती किये जाने के बाद आरबीआई पर दबाब कटौती का दवाब बढ़ गया है. आने वाले महीनों में इसका असर देखने को मिल सकता है.
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Home Loan Interest Rate: महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से साल 2022 में नीतिगत दर में इजाफा करने का फैसला किया गया. करीब डेढ़ साल पहले इसे आखिरी बार बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था. इसका असर यह हुआ कि बैंकों और एनबीएफसी (NBFC) की तरफ से दिये जाने वाला लोन महंगा हो गया. रियलएस्टेट इंडस्ट्री की तरफ से लगातार होम लोन की ब्याज दर को कम किये जाने की मांग की जा रही है. लेकिन जानकारों का कहना है कि हाल-फिलहाल में इसमें राहत मिलने की उम्मीद कम ही है.
प्रोसेसिंग शुल्क पूरी तरह से माफ की गई
इधर फेस्टिव सीजन में कई सरकारी बैंकों की तरफ से होम लोन की मांग बढ़ाने के लिए प्रोसेसिंग फी माफ कर दी है. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक समेत कई बैंकों की तरफ से अपनी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार दिसंबर 2024 से मार्च 2025 तक की अवधि के लिए प्रोसेसिंग शुल्क पूरी तरह से माफ की गई है. इंडियन ओवरसीज बैंक की तरफ से भी होम लोन की प्रोसेसिंग फी को माफ किया गया है.
इंडियन ओवरसीज बैंक के लोन में 19% की तेजी देखी गई
मौजूदा वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में इंडियन ओवरसीज बैंक के लोन में 19% की तेजी देखी गई. यह बढ़कर 1,849.67 करोड़ रुपये के आंकड़े पर पहुंच गया है. इंडियन ओवरसीज बैंक के एमडी और सीईओ अजय श्रीवास्तव ने कहा, फेस्टिव सीजन में नई चीजें जैसे घर आदि खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. इस मौके को यादगार बनाने के लिए बैंक की तरफ से होम लोन पर लगने वाली प्रोसेसिंग फीस को पूरी तरह माफ करने की घोषणा की गई है. उन्होंने कहा कि यह मौजूदा ग्राहकों से ज्यादा बिजनेस करने और नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बड़ा कदम है.
प्राइवेट बैंकों ने किसी तरह की छूट का ऐलान नहीं किया
सरकारी बैंकों के उलट प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की तरफ से इस तरह की किसी भी छूट का ऐलान नहीं किया गया है. सरकारी बैंक आमतौर पर ज्यादा आकर्षक होम लोन दर प्रदान करते हैं. आपको बता दें पिछले दिनों अमेरिका में फेड रिजर्व की तरफ से ब्याज दर में कटौती किये जाने के बाद आरबीआई के ऊपर भी ब्याज दर कम करने का दवाब बढ़ गया है. दिसंबर में होने वाली एमपीसी की बैठक में ब्याज दर को कम करने पर फैसला किया जा सकता है.