प्राचीन अंबरनाथ शिव मंदिर के दर्शन से संतान पाने की मनोकामना पूरी होगी. कहते हैं यहां शिव विवाहितों को संतान का आशीर्वाद देते हैं और अगर भगवान शिव आपसे रुठे जाएं तो क्या करें? कैसे मनाएंगे भगवान भोलेनाथ को? देखिए, आराधना...
कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी नहीं होनी चाहिए कि कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए जो उपाय किये जा रहे हैं, वो हिन्दू संस्कृति के संस्कार हैं.
आज भानु सप्तमी है, भानु सप्तमी पर कैसे भाग्य चमकेगा? कैसे रोग और पाप से मुक्ति मिलेगी? साथ ही जानें रविवार की शीतला सप्तमी का महत्व, आज सुख-शांति के लिए शीतला देवी की आराधना करें. देखिए, आराधना...
कोरोना वायरस के कहर का अभी कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके बचाव को ही अभी तक इसका इलाज बताया जा रहा है. ऐसे में स्वच्छता रखना ही एकमात्र उपाय है. चेचक का रोग भी गंदगी और वातावरण के संक्रमण काल से होने वाला रोग है. शीतला अष्टमी का व्रत स्वच्छ जीवन शैली अपनाने के लिए कहता है. इसके जरिए संक्रामक बीमारियों से बचा जा सकता है.
14 मार्च यानी आज से मलमास की शुरुआत हो रही है. यानी यह पूरा माह (14 अप्रैल तक) अधिकमास, अधिमास या पुरुषोत्तम मास कहलाता है. इसमें शुभ कार्य वर्जित हैं, लेकिन विष्णु पूजा सबसे अधिक फलदायी है.
प्रगट संतोषी माता मंदिर के दर्शन करें, यहां संतोषी मां के सिर पर शेषनाग की छाया है और संतोषी माता लाल चुनर ओढे हैं और आज है रंग-पंचमी, क्यों मानया जाता है रंग-पंचमी? क्या है रंग-पंचमी की मान्यताएं ? देखिए, आराधना...
गोदावरी तीर शक्तिपीठ भगवती के जाग्रत मंदिरों में से एक है, विख्यात देवी का शक्तिपीठ कोटिलिंगेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और कुरुक्षेत्र में बना है देवी का शक्तिपीठ, श्रीदेवी कूप भद्रकाली मंदिर से जुड़ी कई प्राचीन मान्यताएं हैं. देखिए, आराधना...
भगवान श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियां थीं. इनके अलावा आठ श्रेष्ठ पटरानियां थीं. जिसमें से एक भालुओं के राजा ऋक्षराज जाम्बवंत की बेटी जाम्बवंती भी थी. भगवान श्रीहरि के उससे विवाह की बड़ी दिलचस्प कथा है. इसके पहले कृष्ण जी को अपने ससुर ऋक्षराज जाम्बवंत से 21 दिन तक युद्ध करना पड़ा था. ये वही जाम्बवंत हैं जो त्रेतायुग में भगवान राम की सेना में शामिल थे.
दगडूसेठ हलवाई गणपति मंदिर के दर्शन से मिलेगा बप्पा का आशीर्वाद, यहां हर मुराद पूरी होती है और साथ ही जानिए बजरंगबली की अलग-अलग मुद्राओं का क्या है महत्व? हनुमान की किस मुद्रा वाली प्रतिमा से मिलता है कौन-सा आशीर्वाद? देखिए, आराधना...
होली के मौके पर भक्त प्रह्लाद, उसके असुर पिता हिरण्यकशिपु और बुआ होलिका की कहानी से तो सभी वाकिफ होंगे. लेकिन होली का त्योहार भगवान शिव से भी जुड़ा हुआ है. आईए जानते हैं होली से जुड़ी भगवान शिव के शरभ अवतार की कथा. यही अवतार ग्रहण करने के बाद महादेव ने वस्त्रों के रुप में सिंहचर्म का इस्तेमाल शुरु किया था.
क्या है आज होलिका दहन का शुभ मुहूर्त? होलिका दहन की पौराणिक कथा और क्यों होता है होलिका दहन? साथ ही दर्शन कीजिए भगवान विष्णु के एक ऐसे मंदिर के, जहां भगवान विष्णु के पैरों के निशान आज भी मौजूद हैं. विष्णु पदचिह्न के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. देखिए, आराधना...
राशिफल: जानें कैसा रहेगा आपका 09 मार्च का दिन | Horoscope 09 मार्च 2020 आपका Astro क्या कहता है? वाणी में सौम्यता तो रहेगी, परन्तु धैर्यशीलता में कमी भी हो सकती है।
होली दो दिनों का त्योहार है जबकि श्री कृष्ण की नगरी मथुरा, वृंदावन, गोकुल और बरसाना में इस त्योहार की शुरुआत वसंत पंचमी से ही हो जाती है. मथुरा-वृंदावन में जहां फूलों से होली खेली जाती है, वहीं नंदगांव और बरसाना में लट्ठमार होली होती है. आज आराधना में देखिए क्यों खेली जाती है लट्ठमार होली? कैसे और कब हुई इसकी शुरुआत हुई और क्यों होती राधा-कृष्ण की संग-संग आराधना? क्या है कृष्ण की प्रेम लीला की प्रेम गाथा?
शब्द ब्रह्म वह है जो बिना किसी कारण के उत्पन्न होता है. इसे अनाहत नाद भी कहते हैं. क्योंकि आम तौर पर कोई भी ध्वनि किसी स्रोत से उत्पन्न होती है. लेकिन शब्द ब्रह्म(अनाहत नाद) को कोई स्रोत नहीं होता. यह शब्द ब्रह्म काफी ध्यान साधना के बाद योगियों को सुनाई देता है. इसे सुनने की विधि क्या है और इसका क्या महत्व है? इस विशेष आलेख में पढ़िए
सामाजिक तौर पर होली केवल एक त्योहार है जिसे रंग खेलकर उल्लास दिखाते हैं. उल्लास की यह मानसिक अवस्था सारे भेद मिटा देती है. लाल-पीले-हरे रंगों में रंगे चेहरे अपना निजी और अस्तित्व भूल जाते हैं और स्रष्टा की सृष्टि में केवल एक ईकाई बने नजर आते हैं, लेकिन सवाल है कि क्या होली का इतना ही अर्थ है?
राशिफल: जानें कैसा रहेगा आपका 7 March का दिन | Horoscope 7 March 2020 आपका Astro क्या कहता है. वाणी में सौम्यता तो रहेगी, परन्तु धैर्यशीलता में कमी भी हो सकती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार वसंत पंचमी से बाबा विश्वनाथ के वैवाहिक कार्यक्रम का जो सिलसिला शुरू होता है वह होली तक चलता है. वसंत पंचमी पर होलिका गाड़े जाने के साथ बाबा का तिलकोत्सव मनाया गया तो महाशिवरात्रि पर विवाह और अब रंगभरी एकादशी पर गौरा की विदाई होगी. इसके अगले ही दिन बाबा अपने बारातियों के साथ महाश्मशान पर दिगंबर रूप में होली खेलते हैं.