शिवरात्रि का पर्व बीत चुका है. यह दिन दुनिया में शिव तत्व का ज्ञान हासिल करने के लिए मनाया जाता है. इसके बाद का समय इस ज्ञान के उपयोग का है. शिव तत्व का पहला संदेश है कि कैसी भी परिस्थिति हो, सफलता चाहिए तो सबमें सामंजस्य बनाकर रखना सीखिए.
आज देश भर में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. सुबह से ही मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए शिव भक्तों की भीड़ लगी हुई है. पीएम, राष्ट्रपति, गृह मंत्री ने देशवासियों को शुभकामना दी है. वहीं भक्तों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है.
भगवान शिव की पूजा अत्यंत कठिन होने के साथ बेहद आसान भी है. महादेव को खुश करके अपनी मनोकामना पूरी करवा लेना बेहद सरल है. लेकिन इसके लिए हृदय शुद्ध होना चाहिए. क्योंकि अशुद्ध मन से आप चाहे जितने कर्मकांड और जाप कर लें, वह निष्फल होगा. आईए आपको बताते हैं कि इस महाशिवरात्रि पर आप महादेव को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि(Mahashivaratri) का त्योहार नजदीक है. इस साल 21 फरवरी को देवताओं के भी देवता(देवाधिदेव) महादेव की उपासना की जाएगी. महाशिवरात्रि का दिन सिर्फ पृथ्वी ही नहीं बल्कि समस्त ब्रह्मांड के लिए अति महत्वपूर्ण तिथि है. महाशिवरात्रि वही दिन है, जिस तिथि को आदिनाथ सदाशिव की ज्योति इस धरा पर प्रकट हुई थी. इसी विशेष दिन को धरती के प्राणियों का मोह नष्ट हुआ और उन्हें शिव तत्व का ज्ञान प्राप्त हुआ. इसी दिन की याद में प्रति वर्ष महाशिवरात्रि मनाई जाती है.
अगर आप शिव भक्त हैं या विज्ञान से आगे किसी को नहीं मानते तो ज़ी हिन्दुस्तान की खास पेशकश 'मिस्ट्री' में देखिए विज्ञान को हैरान करने वाली अविश्वसनीय घटना.
भक्त तुलसीदास रचित रामचरितमानस सनातन धर्म का अन्यतम ग्रंथ है. इस पूरी किताब में 'सुंदरकांड' की महिमा सबसे ज्यादा बखानी जाती है. जिसमें बजरंग बली हनुमान के कृत्यों का वर्णन है. आईए आपको बताते हैं कि 'सुंदरकांड' का इतना महत्व क्यों है और इसका पाठ कैसे किया जाए-
सिर के पिछले हिस्से में शिखा रखने की परंपरा भारत में सदियों पुरानी है. आज भी सनातन परंपरा को मानने वाले बहुत से लोग अपने सिर पर शिखा धारण करना पसंद करते हैं. आईए आपको बताते हैं कि इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या है?
भारत में पिछले कुछ दिनों से एक अजीब ट्रेंड देखा जा रहा है कि चुनावी जीत या हार से हिंदुत्व को जोड़कर देखा जाने लगा है. जैसे किसी खास राजनीतिक पार्टी की जीत ही 'हिंदुत्व की जीत' है या फिर किसी उसकी हार 'हिंदुत्व की हार' बता दी जाती है. ये उचित नहीं है. धर्म आदिकाल से शेष सनातन है. वह अपने आप में इतना मजबूत है कि देश को कोई भी राजनीतिक दल उसकी उपेक्षा नहीं कर पा रहा है. इसी में हिंदुत्व की जीत है.
प्रेम का उत्सव मनाने का सप्ताह चल रहा है. विदेशियों की नकल करने की तर्ज पर शुरु हुआ ये त्योहार प्रेम को बढ़ाता है या सिर्फ शारीरिक आकर्षण को ये शोध का विषय है. लेकिन अगर प्रेम की पराकाष्ठा देखनी हो तो किसी विदेशी संदर्भ की जरुरत नहीं है. हमारे सर्वप्रिय देवता महादेव और पार्वती को देख लें तो किसी और उदाहरण की जरुरत नहीं.
श्री कृष्ण भगवान के सिर पर शोभित मोर पंख मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, इन्द्र देव, कार्तिकेय, श्री गणेश सभी को मोर पंख किसी न किसी रूप में प्रिय है. यह जितना सुन्दर है, इसके गुण भी उतने सुन्दर हैं..
शनिदेव का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं. उनकी साढ़ेसाती या ढैया शुरु होती है तो इंसान को लगता है जैसे सिर पर पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन शनिदेव डराते नहीं बल्कि हमारा परम कल्याण करते हैं. आईए बताते हैं कैसे-
धर्मो रक्षति रक्षित: यानी आप धर्म की रक्षा करें, धर्म आपकी रक्षा करेगा. ये हम सबने कभी ना कभी जरुर सुना होगा. दरअसल धार्मिक नियमों की स्थापना ही मनुष्य मात्र के भले के लिए की गई है. यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. जब आप धर्म के सनातन नियमों का पालन करते हैं, तो स्वयं ही लाभान्वित होने लगते हैं.
लोधेश्वर महादेव मंदिर, महाभारत कालीन एक प्राचीन मंदिर है. महादेव को समर्पित ये मंदिर उत्तर प्रदेश के बारांबकी में स्थित है. लोधेश्वर मंदिर में स्थित शिवलिंग बेहत प्राचीन है. महाभारत में भी इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख हुआ है. ऐसा माना जाता है कि लोधेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना महाभारत काल में पांडवो ने की थी. इस मंदिर को पांडवो ने अज्ञातवास के दौरान स्थापित किया था. उस समय बाराबंकी को बाराह वन कहा जाता था और यहां पर घने और विशाल जंगल थे. योगमाया मंदिर भारत का प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है. ये मंदिर नई दिल्ली के महरौली, इलाके में बना है. योगमाया मंदिर को जोगमाया नाम से भी जाना जाता है. माना जाता
हम सभी अपने आप में अधूरापन या खालीपन सा महसूस करते हैं. यही हमारे दुख का कारण भी होता है, लेकिन इसका समाधान हम बाहरी सुखों में तलाश करते हैं. लेकिन क्या ये हमारी अपूर्णता का स्थायी समाधान है.
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना की, लेकिन वह प्रसन्न नहीं थे. सृष्टि मौन थी और ब्रह्मा रिक्तता का अनुभव कर रहे थे. इस रिक्तता की प्रेरणा से उन्होंने स्त्री देवी की कल्पना की और उनका सृजन किया. देवी की उत्पत्ति के बाद सृष्टि में वाणी आ गई. यही देवी सरस्वती थीं, जिन्होंने ब्रह्मा की सृष्टि को सरस बनाया.
जीवन में मुश्किलें और चुनौतियां आते देखकर हम सब घबरा जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये संघर्ष हमें मजबूत बनाता है. पढ़िए ये छोटी सी कहानी जिसमें बड़ा आध्यात्मिक संदेश छुपा हुआ है.
आम तौर पर पतिव्रत धर्म की बात आती है तो पार्वती,लक्ष्मी और सरस्वती जैसी देवियों का नाम लिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह दैवीय शक्तियां नहीं बल्कि एक मानवी को दुनिया की सबसे बड़ी पतिव्रता माना जाता है. जिन्होंने अपने पतिव्रत धर्म से ब्रह्मा विष्णु और महेश को दूध पीता बच्चा बना दिया था.
जिस प्रकार से जनवरी महीने में उत्तर भारत में मकर संक्रांति मनाई जाती है, ठीक उसी समय दक्षिण भारत में पोंगल का त्योहार मनाया जाता है. पोंगल के दिन से ही तमिल नव वर्ष की शुरुआत होती है.