Red Sea Crisis: भारत के लिए क्यों बड़ी ‘मुश्किल’ बन सकता है लाल सागर का संकट ?
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Red Sea Crisis: भारत के लिए क्यों बड़ी ‘मुश्किल’ बन सकता है लाल सागर का संकट ?

US-UK Attack on Houthi Rebels: यूएस-यूएके ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमला किया है.  हूती विद्रोही पिछले कई हफ्तों से लाल सागर में नागरिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं.  इन हमलों के खिलाफ ही 

Red Sea Crisis: भारत के लिए क्यों बड़ी ‘मुश्किल’  बन सकता है लाल सागर का संकट ?

Attack on Houthi Rebels:  हूती विद्रोहियों पर अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों से लाल सागर में पैदा हुई मुश्किलों ने अब शिपिंग शेड्यूल को अनियमित बनाने के अलावा सप्लाई चेन को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है. निर्यातकों ने कहा कि क्षेत्र में तनाव बढ़ने की आशंका से लागत में वृद्धि होगी. भारत के लिए भी चिंता की लकीरें खिंच गई हैं.

गौरतलब है कि हूती विद्रोही पिछले कई हफ्तों से लाल सागर में नागरिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं.  यह दुनिया के सबसे बिजी कमर्शियल शिपिंग मार्गों में से एक है.  हूतियों का कहना है कि उनकी ये कार्रवाई गाजा पट्टी में इजरायल के मिलिट्री एक्शन का बदला है.  हूती विद्रोहियों के हमलों के खिलाफ ही यूएस-यूएके ने उनके खिलाफ मिलिट्री एक्शन लिया है. 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वाणिज्य विभाग कुछ चिंताओं को दूर करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सप्लाई प्रभावित न हो, अगले सप्ताह एक अंतर-मंत्रालयी परामर्श पर काम कर रहा है.

तेल कंटेनर की दरें बढ़ीं
शुक्रवार को तेल की कीमतों में 2% की वृद्धि हुई, ब्रेंट क्रूड भारतीय समयानुसार रात 9.15 बजे के आसपास 79 डॉलर बैरल से अधिक हो गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड बढ़कर 73.53 डॉलर हो गया.

कंटेनर दरें पहले ही बढ़ चुकी हैं और बेंचमार्क शंघाई कंटेनरीकृत फ्रेट इंडेक्स सप्ताह-दर-सप्ताह 16% बढ़कर 2,206 अंक हो गया है. शंघाई से यूरोप तक 20 फीट के कंटेनर की स्पॉट रेट एक सप्ताह में 8% बढ़कर 3,103 डॉलर के शीर्ष पर पहुंच गए हैं.

भारत पर असर
भारत में भी कीमतें बढ़ी हैं इसके साध ही दूसरी रुकावटें भी उभर रही हैं. उदाहरण के लिए, एक प्रमुख बीमा कंपनी ने समुद्री बीमा प्रदान करना बंद कर दिया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक फियो (Fieo) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘सरकार को कंपनियों पर बीमा प्रदान करने के लिए दबाव डालना चाहिए क्योंकि निर्यातक अधिक प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं. कवर के अभाव में, उन्हें बिना बीमा के सामान भेजना होगा.’

एम्स्टर्डम-एशिया रूट पर, युद्ध जोखिम प्रीमियम दिसंबर की शुरुआत में 0.1% से बढ़कर 0.5 से 0.7% की मौजूदा सीमा तक बढ़ गया है. तनाव बढ़ने की स्थिति में यह और भी बढ़ सकता है.

व्यापरियों को अब जिस प्रमुख समस्या का सामना करना पड़ रहा है वह है देरी, क्योंकि जहाज केप ऑफ गुड होप के आसपास से जा रहे हैं, जिसमें अधिक समय लग रहा है. उन्हें लगभग 14 दिनों के लिए अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ रही है.

सूत्रों ने बताया कि वीकली कंटेनर शिपिंग सर्विस प्रदान करने वाली शिपिंग लाइनों पर इसका असर अधिक होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि चूंकि जहाजों को चक्कर लगाने में लगभग दो सप्ताह का अतिरिक्त समय लग रहा है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि सेवाएं प्रभावित होंगी.

सहाय ने कहा कि कुछ शिपिंग लाइनें तय कार्यक्रम का पालन नहीं कर रही हैं और यहां तक कि जब वे रवाना होने का इरादा रखती हैं तो नई तारीख लेने को भी तैयार नहीं हैं.

जल्द हो सकती है कंटेनरों की कमी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक लंबी यात्रा में लगने वाला समय बाजार में कंटेनर की उपलब्धता पर भी असर डालेगा. वाणिज्य विभाग के अधिकारी, ने कहा कि अभी तक आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई है, लेकिन समस्या बनी रही तो दिक्कत हो सकती है.

शुक्रवार को टेस्ला ने सप्लाई चेन में देरी के कारण अपने बर्लिन प्लांट को 29 जनवरी से 11 फरवरी तक बंद करने की घोषणा की.

अनुमान के मुताबिक, ग्लोबल शिपिंग का लगभग 10-15% लाल सागर से होकर गुजरता है और यह समुद्री तेल और एलएनजी सहित वाणिज्यिक वस्तुओं के लिए महत्वपूर्ण लिंक है. एशिया-यूरोप व्यापार का लगभग 40% इसी रूट से होकर गुजरता है.

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