Russia-Ukraine War: जंग में रूस की किरकरी! जिस इलाके पर कराया था जनमत संग्रह; उस पर अब यूक्रेन का कब्जा
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Russia-Ukraine War: जंग में रूस की किरकरी! जिस इलाके पर कराया था जनमत संग्रह; उस पर अब यूक्रेन का कब्जा

Ukraine-Russia War Updates: रूसी रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि करते हुए कहा कि सेना ने क्रेमलिन के रणनीतिक फैसले के बाद निप्रो नदी के पश्चिमी क्षेत्र को पूरी तरह से खाली कर दिया है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि किसी भी तरह का हथियार या फिर उपकरण वहां नहीं बचा है. 

Russia-Ukraine War: जंग में रूस की किरकरी! जिस इलाके पर कराया था जनमत संग्रह; उस पर अब यूक्रेन का कब्जा

Why Russia-Ukraine Fighting: रूस की सेना के खेरसॉन शहर से निकलने के बाद यूक्रेनी सेना शुक्रवार को वहां दाखिल हो गई.  रूस से जारी युद्ध में यूक्रेन के लिए यह बेहद अहम मोड़ है क्योंकि खेरसॉन उन इलाकों में से एक था, जिस पर रूस ने कब्जा कर वहां जनमत संग्रह कराया था. खेरसॉन से रूसी सेना का निकलना राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए  बड़ा झटका माना जा रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों और वीडियोज में नजर आ रहा है कि खेरसॉन के शुमेन्स्की जिले में यूक्रेनी सेनाओं का नागरिकों ने स्वागत किया. रूस की सेना पूरी तरह इस शहर को छोड़ चुकी है. 

रूसी सेना ने छोड़ा खेरसॉन

रूसी रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि करते हुए कहा कि सेना ने क्रेमलिन के रणनीतिक फैसले के बाद निप्रो नदी के पश्चिमी क्षेत्र को पूरी तरह से खाली कर दिया है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि किसी भी तरह का हथियार या फिर उपकरण वहां नहीं बचा है. सारे रूसी सैनिक नीपर के बाएं तट पर आ गए हैं. यूक्रेनी सरकार ने पहले यह आशंका जताई थी कि खेरसॉन में अपनी स्थिति से पीछे हटने पर रूसी सेना बहुत नुकसान कर सकती है. हालांकि इन आशंकाओं की एक बार फिर पुष्टि हो गई क्योंकि वीडियो से पता चला कि निकासी के बाद निप्रो नदी पर एंटोनिव्स्की ब्रिज क्षतिग्रस्त हो गया. 

मौसम की पड़ेगी मार

नीपर नदी पर काला सागर बंदरगाह का यह एकमात्र प्रमुख शहर है जिस पर रूस कब्जा करने में कामयाब रहा है और यह खेरसॉन ओब्लास्ट की प्रशासनिक राजधानी है, जो सितंबर में रूस के कब्जा किए गए चार क्षेत्रों में से एक था. वहीं उत्तरी और मध्य यूक्रेन में, संघर्ष तेजी से स्थिर होता जा रहा है, हालांकि दोनों तरफ युद्ध की बेताबी खत्म नहीं हुई है. मौसम में बदलाव दोनों पक्षों के लिए तेजी से आगे बढ़ना मुश्किल कर देता है. अब चूंकि मौसम का मिजाज बिगड़ रहा है, अग्रिम मोर्चे पर, जमीनी सेना को गिरते तापमान से बचने के लिए संघर्ष करना होगा.

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