Sarva Dharam Sansad 2023: शिकागो में 130 साल बाद खुद को दोहरा रहा इतिहास, विश्व सर्वधर्म संसद में जुटे 6 हजार धार्मिक विद्वान
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Sarva Dharam Sansad 2023: शिकागो में 130 साल बाद खुद को दोहरा रहा इतिहास, विश्व सर्वधर्म संसद में जुटे 6 हजार धार्मिक विद्वान

Sarva Dharam Sansad 2023 News: अमेरिका के शिकागो शहर में 130 साल बाद इतिहास खुद को दोहरा रहा है. वहां पर विश्व धर्मसंसद में दुनियाभर के 6 हजार धार्मिक विद्वान भाग ले रहे हैं. 

Sarva Dharam Sansad 2023: शिकागो में 130 साल बाद खुद को दोहरा रहा इतिहास, विश्व सर्वधर्म संसद में जुटे 6 हजार धार्मिक विद्वान

Sarva Dharam Sansad 2023 at Chicago USA: करीब 130 साल बाद इतिहास एक बार फिर अपने आप को दोहराने जा रहा है. अमेरिका के शिकागो शहर में सोमवार से सर्वधर्म संसद का आयोजन शुरू हुआ. इस आयोजन में विभिन्न आस्थाओं को मानने वाले दुनियाभर के करीब 6 हजार लोग भाग ले रहे हैं. आयोजकों ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा सर्वधर्म समागम होने का दावा किया है.

वर्ष 1893 में हुई थी शुरुआत 

बता दें कि सर्वधर्म संसद (Sarva Dharam Sansad 2023) की शुरुआत 1893 में शिकागो से हुई थी. पिछले 30 वर्ष में 6 बार इसका आयोजन हुआ है. कनाडा के टोरंटो में वर्ष 2018 में हुए सम्मेलन में दुनियाभर से सभी धर्मों के नेता जुटे थे. इस सप्ताह होने वाले कार्यक्रमों में हिंदू, बौद्ध, बहाई, जैन, सिख, ईसाई, इस्लाम और अन्य विभिन्न धर्मों के वक्ता भाग लेंगे. वे अपने-अपने धर्म की शिक्षाओं को दुनिया के सामने रखेंगे. 

सम्मेलन को ये वक्ता करेंगे संबोधित

इस बार सर्वधर्म संसद (Sarva Dharam Sansad 2023) के एजेंडा में जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार, खाद्य असुरक्षा, नस्लवाद और महिला अधिकार जैसे विषय शामिल हैं. विश्व धर्म संसद के इस बार के वक्ताओं में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंतोनियो गुतारेस, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की पूर्व अध्यक्ष नैंसी पेलोसी, अभिनेता और बहाई धर्मावलंबी राईन विल्सन समेत कई सेलेब्रेटी शामिल हैं. सम्मेलन के मुख्य वक्ता शिकागो के मेयर ब्रांडन जॉनसन रहेंगे. 

स्वामी विवेकानंद ने दिया था ओजस्वी भाषण

बताते चलें कि वर्ष 1893 में शिकागो में हुई विश्व धर्म संसद (Sarva Dharam Sansad 2023) में भारत की ओर से महान तपस्वी स्वामी विवेकानंद ने भाग लिया था. कहते हैं कि उस वक्त सनातन धर्म को नीचा दिखाने के लिए भागवत गीता को सभी धर्म पुस्तको में सबसे नीचे रखा गया था. जब स्वामी विवेकानंद ने भागवतगीता को देखा तो इस बात का तनिक भी विरोध नहीं किया. अपने ओजस्वी भाषण में स्वामी विवेकानंद ने कहा कि भागवदगीता तो सभी धर्मों की नींव और सार है. वह पंथ विशेष के मानने के नियम नहीं बल्कि बेहतर ढंग से जीवन जीने का सिद्धांत सिखाती है. उनके इस भाषण पर सम्मेलन में जमकर तालियां बजी थीं.

(एजेंसी भाषा)

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