NASA Milestone: नासा का कमाल, एस्ट्रोनॉट्स के पेशाब और पसीने से बनाया पीने का पानी
Advertisement
trendingNow11755241

NASA Milestone: नासा का कमाल, एस्ट्रोनॉट्स के पेशाब और पसीने से बनाया पीने का पानी

NASA Budget: टीम ने माना कि रीसाइकिल हुआ पेशाब पीने का विचार कुछ लोगों को परेशान कर सकता है. लेकिन वे इस बात पर जोर देते हैं कि आखिरी रिजल्ट जमीनी स्तर पर नगर निगम के वाटर सिस्टम के उत्पादन से कहीं बेहतर है.

NASA Milestone: नासा का कमाल, एस्ट्रोनॉट्स के पेशाब और पसीने से बनाया पीने का पानी

Water Conservation: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अनोखी सफलता हासिल की है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स के लगभग 98 प्रतिशत मूत्र और पसीने को पीने के पानी में बदलने में उसने कामयाबी हासिल की है. यह भविष्‍य में चंद्रमा और मंगल पर भेजे जाने वाले मिशनों के लिए काफी मददगार हो सकता है.

यह सिस्टम में वेस्ट वाटर को जमा कर उसे वॉटर प्रोसेसर असेंबली (डब्ल्यूपीए) में भेजा जाता है, जो उसे पीने योग्य पानी बनाती है. 

क्या है तरीका

एक खास कंपोनेंट ड्राइवर दल की सांस में मौजूद नमी और पसीने से केबिन की हवा में जारी नमी को पकड़ने के लिए एडवांस डी-ह्यूमिडिफ़ायर का इस्तेमाल करता है. एक अन्य सब सिस्टम, यूरिन प्रोसेसर असेंबली (यूपीए), वैक्यूम आसवन का इस्तेमाल करके पेशाब से पानी निकालती है. आसवन से पानी और पेशाब का नमकीन पानी बनता है जिसमें अभी भी कुछ फिर हासिल करने योग्य पानी होता है. 

इस बचे हुए वेस्ट वाटर को निकालने के लिए विकसित ब्राइन प्रोसेसर असेंबली (बीपीए) का इस्तेमाल करके, एस्ट्रोनॉट्स ने 98 प्रतिशत पानी फिर पाने का टारगेट अचीव किया, जो पहले 93 और 94 प्रतिशत के बीच था.

अंतरिक्ष स्टेशन के लाइफ सपोर्ट सिस्टम का मैनेजमेंट करने वाले जॉनसन स्पेस सेंटर की टीम के सदस्य क्रिस्टोफर ब्राउन ने कहा, लाइफ सपोर्ट सिस्टम के विकास में यह एक बहुत ही अहम कदम है. मान लीजिए कि आप स्टेशन पर 100 पाउंड पानी इकट्ठा करते हैं। आप उसमें से दो पाउंड खो देते हैं और बाकी 98 प्रतिशत यूं ही घूमता रहता है. इसे चालू रखना एक बहुत बढ़िया उपलब्धि है.

क्या बोले एक्सपर्ट

बीपीए यूपीए की ओर से  पैदा नमकीन पानी लेता है और इसे एक खास झिल्ली तकनीक से चलाता है, फिर पानी को एवोपोरेट करने के लिए नमकीन पानी के ऊपर गर्म, शुष्क हवा फेंकता है. यह सिस्टम आर्द्र हवा बनाती है, जो चालक दल की सांस और पसीने की तरह, स्टेशन के वाटर कंजर्वेशन सिस्टम से जमा की जाती है.

टीम ने माना कि रीसाइकिल हुआ पेशाब पीने का विचार कुछ लोगों को परेशान कर सकता है. लेकिन वे इस बात पर जोर देते हैं कि आखिरी रिजल्ट जमीनी स्तर पर नगर निगम के वाटर सिस्टम के उत्पादन से कहीं बेहतर है.

(इनपुट-पीटीआई)

Trending news