Sheikh Hasina Extradition: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने ऐलान किया है कि वे भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे.
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India Bangladesh News: निर्वासन झेल रहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वतन भेजने की भारत से मांग करेगा. बांग्लादेश में अगस्त में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शनों के चलते सत्ता से बेदखल होने के बाद हसीना भारत चली गई थीं.
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100 दिन पूरे होने पर संबोधन
अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र के नाम संबोधन में मोहम्मद यूनुस ने यह भी कहा कि उनकी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने हरसंभव प्रयास जारी रखे हुए है. सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस ने यूनुस के हवाले से कहा, ''हमें हत्या के हर मामले में न्याय सुनिश्चित करना होगा...हम भारत से यह भी कहेंगे कि वह सत्ता से अपदस्थ तानाशाह शेख हसीना को वापस भेज दे.''
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यूनुस सरकार का यू-टर्न
मोहम्मद यूनुस की यह टिप्पणी 'यू-टर्न' का संकेत दे रही है, क्योंकि पिछले ही महीने ब्रिटेन के फाइनेंशियल टाइम्स अखबार को दिए साक्षात्कार में यूनुस ने कहा था कि उनकी सरकार भारत से हसीना को भेजने की तत्काल मांग नहीं करेगी. 8 अगस्त को पदभार ग्रहण करने वाले यूनुस ने दावा किया कि हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों और श्रमिकों सहित लगभग 1500 लोग मारे गए, जबकि 19,931 घायल हुए.
उन्होंने कहा, ''हमारी सरकार प्रत्येक मौत के बारे में सावधानीपूर्वक जानकारी एकत्र कर रही है. सरकार ने घायलों के लिए विभिन्न विशेष अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था की, जिनमें ढाका के 13 अस्पताल भी शामिल हैं.''
छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद देना पड़ा था इस्तीफा
शेख हसीना (77) ने सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ छात्रों और अन्य लोगों द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था और भारत चली गई थीं. हसीना 5 अगस्त को दिल्ली के निकट हिंडन एयरबेस पर उतरीं. ऐसा माना जाता है कि बाद में उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया और तब से उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है. हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के क्रूर दमन का आदेश देने का आरोप है, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई-अगस्त के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई लोग हताहत हुए.
यूनुस ने कहा कि उनकी सरकार उन सभी मामलों की जांच कर रही है, जहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा की गई. उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, ''हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कि हिंदू समुदाय के सदस्यों समेत देश का कोई भी नागरिक हिंसा का शिकार न बने. हम यह प्रयास जारी रखेंगे.'' उन्होंने कहा कि जब अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली थी, तब बांग्लादेश पूरी तरह असुरक्षित देश था. यूनुस ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों में अनावश्यक भय फैलाने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा, ''कुछ मामलों में, उन्हें हिंसा का भी सामना करना पड़ा है. लेकिन इस बारे में जो भी प्रचार किया गया वह पूरी तरह से अतिशयोक्तिपूर्ण है. हिंसा के जो छोटे-मोटे मामले हुए वे मुख्य रूप से राजनीतिक थे.''
देश को अस्थिर करने का प्रयास
मोहम्मद यूनुस ने कहा कि इन घटनाओं को धार्मिक रंग देकर देश को फिर से अस्थिर करने के प्रयास किए गए. लेकिन सरकार ने सभी के सहयोग से स्थिति से दृढ़ता से निपटा. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के सत्ता में आने के 2 महीने बाद देश भर में लगभग 32,000 पूजा मंडपों में दुर्गा पूजा मनाई गई. सरकार ने दुर्गा पूजा के दौरान व्यापक सुरक्षा तैयारियां की ताकि हिंदू समुदाय के सदस्य त्योहार को अच्छे से मना सकें. बांग्लादेश की 17 करोड़ आबादी में हिंदुओं की संख्या करीब 8 प्रतिशत है. यूनुस ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) का गठन जल्द ही किया जाएगा, जबकि चुनावी प्रणाली में सुधारों के बाद चुनाव रोडमैप की घोषणा की जाएगी. (भाषा)